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नई दिल्ली31 मिनट पहले
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फोटो प्रतीकात्मक है।
सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना को उसकी एक महिला अधिकारी को स्थायी कमीशन नहीं देने के लिए जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने नेवी के अधिकारियों से कहा कि अब बहुत हो गया है, वे अपना अहंकार त्याग दें और अपने तौर-तरीके सुधारें।
दरअसल, जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच मंगलवार को 2007 बैच की शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी सीमा चौधरी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थायी कमीशन नहीं दिया गया था।
बेंच ने अधिकारियों से पूछा कि क्या संबंधित अधिकारी सोचते हैं कि वे अदालत के आदेशों को दबा सकते हैं। आप किस तरह की अनुशासित फौज हैं। हम आपको महिला अधिकारी को स्थायी कमीशन देने के लिए एक हफ्ता देते हैं, गर्मी की छुटि्टयों के बाद मामले की जानकारी कोर्ट को दें।

कौन हैं सीमा चौधरी, क्या है यह पूरा मामला
सीमा चौधरी को 6 अगस्त 2007 को भारतीय नौसेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) ब्रांच में SSC अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 2009 में लेफ्टिनेंट और 2012 में लेफ्टिनेंट कमांडर पद पर प्रमोट किया गया। 2016 और 2018 में दो-दो साल का सेवा विस्तार दिया गया था। 5 अगस्त 2020 को उन्हें बताया गया कि 5 अगस्त 2021 से उनकी सेवा समाप्त मानी जाएगी।
इस आदेश के खिलाफ सीमा सुप्रीम कोर्ट पहुंची, उन्होंने अपील की थी कि उन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया, जबकि वे सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करती हैं।
26 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सीमा चौधरी की रिव्यू याचिका पर फैसला देते हुए कहा था कि उनका मामला स्टैंडअलोन बेसिस पर देखा जाना चाहिए।
सीमा की ACR में लिखे कमेंट्स ने रोका परमानेंट कमीशन
नौसेना अधिकारियों और केंद्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि उन्होंने सभी मापदंडों की जांच की, लेकिन सीमा की तीन एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट्स (एसीआर) में प्रतिकूल टिप्पणियां थीं, जिन्हें स्थायी कमीशन देने के लिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस पर बेंच ने कहा कि शुरुआती अधिकारियों की टिप्पणियों को रिव्यू अफसर ने खारिज कर दिया था। साथ ही फाइनल अथॉरिटी ने उन्हें पूरे 7.6 अंक भी दिए। बालासुब्रमण्यम ने कहा कि उनके अंक नहीं बल्कि टिप्पणियां बाधा थीं।