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- Jyeshtha Amavasya On 26 27 May, Significance Of Jyeshtha Amawasya In Hindi, Rituals About Shani Jayanti, Shani Puja Vidhi
26 मिनट पहले
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ज्येष्ठ मास की अमावस्या 26 और 27 मई यानी दो दिन रहेगी। 26 मई को सुबह 11 बजे अमावस्या तिथि शुरू होगी, जो कि अगले दिन यानी 27 मई सुबह 8.40 बजे तक रहेगी। श्राद्ध कर्म दोपहर में करीब 12 बजे करना चाहिए, पितरों से जुड़े ये शुभ काम 26 तारीख को करें और नदी स्नान, पूजा-पाठ सुबह-सुबह सूर्योदय के समय करना ज्यादा शुभ रहता है, इसलिए 27 तारीख की सुबह ये काम कर सकते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अभी गर्मी अपने पूरे प्रभाव में है, इन दिनों में ज्येष्ठ अमावस्या पर ऐसी चीजें दान करें, जिनसे लोगों को गर्मी से राहत मिल सकती है। इस अमावस्या पर छाता, जूते-चप्पल, कपड़े, पानी दान कर सकते हैं। इस दिन जरूरतमंद लोगों को खाना भी खिलाना चाहिए।
जानिए ज्येष्ठ अमावस्या से जुड़ी मान्यताएं…
- अमावस्या तिथि को पितरों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। विशेषकर ज्येष्ठ अमावस्या को पितरों को जलदान, तर्पण, और पिंडदान से तृप्त करने का दिन माना गया है। शास्त्रों में लिखा है कि अमावास्यायां तु विधाय जलं, पितृणां प्रसन्नता लभते, यानी अमावस्या के दिन जल अर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
- माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों स्नान विशेष पुण्य फलदायक होता है। जो लोग इस दिन नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
- इस तिथि पर वटवृक्ष की पूजा करके वट सावित्री व्रत किया जाता है। ये व्रत सत्यवान-सावित्री की कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपने तप और व्रतबल से अपने मृत पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस छुड़ा लिए थे और सत्यवान फिर से जीवित हो गया था। मान्यता है कि जो महिला ये व्रत करती है, उसके जीवन साथी को सौभाग्य, अच्छी सेहत, धन, मान-सम्मान, लंबी उम्र प्राप्त होती है।
- पौराणिक मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव प्रकट हुए थे। इस दिन शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। तेल का दान करें और पीपल की पूजा करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- ज्येष्ठ माह की तपन को देखते हुए इस दिन विशेष रूप से जल से भरे घड़े, पंखे, छाते, वस्त्र, जूते, सत्तू, गुड़, बेलपत्र आदि का दान किया जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि – ज्येष्ठे मासि तदा दत्तं, जलदानं विशेषतः। तपोनाशनं पुण्यं च, ब्रह्मलोकप्रदायकम्।। इस मास में जल दान करने से विशेष पूण्य मिलता है।
- पीपल और वटवृक्ष (बड़) की इस दिन विशेष पूजा की जाती है, क्योंकि माना जाता है कि इन वृक्षों में देवताओं का वास है। महिलाएं वटवृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
- इस दिन श्राद्ध कर्म करने के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने की परंपरा है। इससे पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है। ज्येष्ठ अमावस्या को व्रत रखने की परंपरा भी है। उपवास करके भगवान विष्णु या शिव की पूजा की जाती है।
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