Donald Trump Tariff Controversy; US Court | Economy – Trade Partners | अमेरिकी कोर्ट ने ट्रम्प के टैरिफ पर रोक लगाई: कहा- राष्ट्रपति अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़ रहे, इकोनॉमी का हवाला देकर कुछ भी करना गलत

Actionpunjab
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वॉशिंगटन23 मिनट पहले

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2 अप्रैल 2025 को ट्रंप ने ‘लिबरेशन डे’ का नाम देते हुए दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों से आने वाले सामान पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। - Dainik Bhaskar

2 अप्रैल 2025 को ट्रंप ने ‘लिबरेशन डे’ का नाम देते हुए दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों से आने वाले सामान पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को फेडरल ट्रेड कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कहा कि ट्रंप ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और संविधान के दायरे से बाहर जाकर ये टैरिफ लगाने की कोशिश की।

मैनहट्टन की फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने ट्रंप के इस कदम को गैर-कानूनी ठहराया। कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने कहा कि ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का गलत इस्तेमाल किया। ये कानून राष्ट्रपति को आपातकाल में कुछ खास शक्तियां देता है, लेकिन कोर्ट ने माना कि ट्रंप ने इसे बिना ठोस आधार के इस्तेमाल किया।

दो मुकदमों के आधार पर फैसला दिया गया:

  • लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने 5 छोटे अमेरिकी बिजनेसेज की ओर से मुकदमा दायर किया, जो इन टैरिफ की वजह से प्रभावित हो रहे थे।
  • 12 अमेरिकी आयातकों ने भी कोर्ट में याचिका दायर की थी।

इन दोनों ने तर्क दिया कि टैरिफ से छोटे व्यवसायों को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि आयातित सामान की कीमत बढ़ने से उनकी लागत बढ़ रही थी। कोर्ट ने इन दलीलों को सही माना और कहा कि राष्ट्रपति के पास इतने बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।

कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेगा ट्रम्प प्रशासन

ट्रम्प प्रशासन ने इस फैसले के खिलाफ तुरंत अपील करने की बात कही है। ट्रम्प ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर दावा किया कि उनकी टैरिफ नीति “अमेरिका को फिर से महान बनाने” के लिए जरूरी थी। हालांकि, कोर्ट ने सुझाव दिया कि ट्रंप ट्रेड एक्ट 1974 की धारा 122 के तहत 150 दिनों के लिए 15% तक टैरिफ लगा सकते हैं, लेकिन इसके लिए भी ठोस आधार चाहिए।

अब आगे क्या?

  • अपील का इंतजार: ट्रंप प्रशासन की अपील पर कोर्ट का अगला फैसला इस मामले की दिशा तय करेगा।
  • 90 दिन की राहत: ट्रंप ने पहले ही कुछ टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया था, ताकि दूसरे देशों के साथ व्यापार समझौते हो सकें। अब कोर्ट के फैसले ने इस नीति को और कमजोर कर दिया है।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था: विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने पहले ही चेतावनी दी थी कि ट्रंप के टैरिफ से वैश्विक व्यापार में 81% तक की गिरावट आ सकती है। कोर्ट का ये फैसला इस जोखिम को कम करता है।

2 अप्रैल को ट्रम्प ने दुनियाभर के कई देशों पर टैरिफ लगाया था

2 अप्रैल 2025 को ट्रंप ने ‘लिबरेशन डे’ का नाम देते हुए दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों से आने वाले सामान पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उनका दावा था कि ये टैरिफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे और उन देशों को सबक सिखाएंगे जो अमेरिका से कम सामान खरीदते हैं और ज्यादा बेचते हैं।

हालांकि, बाद में चीन को छोड़कर बाकी देशों पर टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी। ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में चीन ने भी टैरिफ लगाया था इसी वजह से चीन को टैरिफ से राहत हीं दी गई थी। चीन का टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया गया था। बातचीत के बाद चीन पर से भी टैरिफ को कम कर दिया गया।

भारत पर टैरिफ को लेकर ट्रम्प ने कहा था,

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भारत अमेरिका पर 52% तक टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका भारत पर 26% टैरिफ लगाएगा। अन्य देश हमसे जितना टैरिफ वसूल रहे, हम उनसे लगभग आधे टैरिफ लेंगे। इसलिए टैरिफ पूरी तरह से रेसिप्रोकल नहीं होंगे। मैं ऐसा कर सकता था, लेकिन यह बहुत से देशों के लिए कठिन होता। हम ऐसा नहीं करना चाहते थे।

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टैरिफ क्या होता है?

टैरिफ दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाने वाला टैक्स है। जो कंपनियां विदेशी सामान देश में लाती हैं, वे सरकार को ये टैक्स देती हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए…

  • टेस्ला का साइबर ट्रक अमेरिकी बाजार में करीब 90 लाख रुपए में बिकता है।
  • अगर टैरिफ 100% है तो भारत में इसकी कीमत करीब 2 करोड़ हो जाएगी।

रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब क्या है?

रेसिप्रोकल का मतलब होता है- तराजू के दोनों पलड़े को बराबर कर देना। यानी एक तरफ 1 किलो भार है तो दूसरी तरफ भी एक किलो वजन रख कर बराबर कर देना।

ट्रम्प इसे ही बढ़ाने की बात कर रहे हैं। यानी भारत अगर कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर100% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उस तरह के प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ लगाएगा।

इंटरनेशनल ट्रेड से जुड़े मामलों को देखती है मैनहट्टन की फेडरल कोर्ट

मैनहट्टन की फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (CIT) अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कस्टम्स कानूनों से जुड़े मामलों को देखता है। यह कोर्ट अमेरिका की अर्थव्यवस्था, व्यापार नीतियों और वैश्विक व्यापार को सुचारू रूप से चलाने में अहम भूमिका निभाता है।

इसका अधिकार क्षेत्र पूरे अमेरिका में है, और यह विदेशों में भी मामले सुन सकता है। यह खासतौर पर उन मामलों को देखता है जो अमेरिकी कस्टम्स सर्विस, व्यापार समायोजन सहायता, या एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग ड्यूटीज से जुड़े हों।

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