नई दिल्ली10 मिनट पहले
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वार्डन का तर्क था कि उसने पैरेंट के रूप में स्टूडेंट को डांटा था, ताकि वह आगे वैसी गलती न करे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को डांटना उसे सुसाइड के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। जिसमें हॉस्टल वार्डन को IPC की धारी 306 के तहत स्टूडेंट को सुसाइड के लिए उकसाने का दोषी माना था।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा- कोई यह नहीं सोच भी नहीं सकता कि डांटने से ऐसी घटना हो सकती है। दरअसल, वार्डन ने एक स्टूडेंट की शिकायत पर एक अन्य स्टूडेंट को डांट लगाई थी।
इसके बाद स्टूडेंट ने अपने कमरे में फांसी लगा ली थी। वार्डन का तर्क था कि उसने पैरेंट के तौर पर स्टूडेंट को डांटा था, जिससे वो आगे से गलती न करे। वार्डन ने कहा था कि उसके और सुसाइड करने वाले स्टूडेंट के बीच कोई निजी संबंध नहीं था।
2 अन्य मामले जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसावा नहीं माना…
1. SC बोला- प्रताड़ना को आत्महत्या का उकसावा नहीं मान सकते

दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि व्यक्ति पर किसी की आत्महत्या के लिए उकसाने का दोष तभी लगाया जा सकता है, जब इसका पुख्ता सबूत हो। सिर्फ प्रताड़ना का आरोप इसके लिए काफी नहीं है।
दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने एक महिला के उत्पीड़न और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में उसके पति और ससुराल वालों को बरी करने से इनकार किया गया था।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए बरी कर दिया था। पूरी खबर पढ़ें…
2. सुप्रीम कोर्ट ने ब्रेकअप को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2024 में माना था कि ब्रेकअप या शादी का वादा तोड़ना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं हो सकता। हालांकि, ऐसे वादे टूटने पर शख्स इमोशनली परेशान हो सकता है। अगर वह सुसाइड कर लेता है, तो इसके लिए किसी दूसरे व्यक्ति को अपराधी नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को पटल दिया था। हाईकोर्ट ने आरोपी कमरुद्दीन दस्तगीर सनदी को अपनी गर्लफ्रेंड से चीटिंग और सुसाइड के लिए उकसाने का दोषी माना था।
हाईकोर्ट ने आरोपी को 5 साल की जेल और 25 हजार जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी। हालांकि, ट्रायल कोर्ट आरोपी को बरी कर चुका था। मामले की सुनवाई जस्टिस पंकज मित्तल और उज्जल भुइयां की बेंच ने की।
उन्होंने इस मामले को क्रिमिनल केस न मानकर नॉर्मल ब्रेकअप केस माना था। पूरी खबर पढ़ें…
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राजस्थान सरकार को फटकार; SC ने पूछा- स्टूडेंट्स कोटा में ही क्यों जान दे रहे, इसे रोकने के लिए क्या किया

सुप्रीम कोर्ट ने 23 मई को स्टूडेंट्स सुसाइड मामले में राजस्थान सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा, ‘कोटा में इस साल अब तक 14 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं। आप इसे लेकर क्या कर रहे हैं। स्टूडेंट्स कोटा में ही आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…