द्रव्यवती में सीवर का पानी ही नहीं फैक्ट्रियों व इंडस्ट्रीज का केमिकलयुक्त पानी भी छोड़ा जा रहा है। इससे द्रव्यवती और भी दूषित होती जा रही है। निगम न तो सीवर को पानी को पूरी तरह शोधित कर पाया और ना ही फैक्ट्रियों व इंडस्ट्रीज से केमिकलयुक्त पानी को आ
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निगम-जेडीए के एसटीपी भी आउटडेटेड
वर्तमान में अपशिष्ट जल 1400 मिलियन लीटर से अधिक है, जबकि केवल 700 मिलीलीटर पानी का ही उपचार हो पा रहा है। प्लांट की क्षमता से अधिक वेस्ट को सीधा छोड़ा जा रहा है। प्लांट की ऑपरेशन-मेंटेनेंस प्रॉपर नहीं हो रही। प्लांट के मीटर चालू नहीं, जिससे फ्लो पता नहीं चलता। लाइट जाने की स्थिति में होने वाले डीजी सेट चालू नहीं है। साथ ही कचरे का डिस्पोजल भी वहीं हो रहा है, जो सीधे पानी में मिलकर बहता है। अफसर-इंजीनियरों की लापरवाही व मिलीभगत से ऐसा हो रहा है।
फैक्ट्रियों से आ रहा प्रदूषित पानी
}निगम के अधीन शहर का सबसे बड़ा देलावास ट्रीटमेंट (215 एमएलडी क्षमता) प्लांट तो बरसों से दोगुना पानी सीधे छोड़ रहा है। इसके पानी को आसपास के किसान सब्जियां सींचने के काम ले रहे हैं और वही सब्जियां मंडी में बेची भी जा रही है। इससे ही गंभीर बीमारियां होने लगी है।
}सीवर के साथ आ रहे इंडस्ट्री के पानी को ट्रीट करने के लिए वैसे तो एसटीपी बहुत कम हैं, मगर जो है वो भी सही से काम नहीं कर रहे हैं। पानी की जांच कराई है। उसमें भी सामने आया कि ट्रीटमेंट के नाम पर प्रदूषित पानी को ही पास कर रहे हैं। एनजीटी के आदेश के बाद बोर्ड ने बीओडी को घटाया भी गया, लेकिन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की आउटडेटेड टेक्नोलॉजी इस पर खरा नहीं उतर रही है।