संयुक्त राष्ट्र ने इस चर्चा के लिए बीएमवीएसएस को विशेष रूप से आमंत्रित किया था।
जयपुर फुट के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध संस्था भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बी.एम.वी.एस.एस.) की सेवाओं और विकलांगजनों के पुनर्वास के क्षेत्र में किए गए अतुलनीय योगदान की संयुक्त राष्ट्र संघ में भूरी-भूरी प्रशंसा की गई है।
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न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मंगलवार को आयोजित दो विशेष सत्रों में बीएमवीएसएस के संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक डी.आर. मेहता और अध्यक्ष सतीष मेहता ने संस्था की कार्यशैली और उपलब्धियों पर प्रभावशाली प्रस्तुति दी।

यह गोष्ठी विकलांगों के मौलिक अधिकारों और उनके सामाजिक सम्मान की रक्षा के लिए आयोजित की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र ने इस चर्चा के लिए बीएमवीएसएस को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। यह गोष्ठी विकलांगों के मौलिक अधिकारों और उनके सामाजिक सम्मान की रक्षा के लिए आयोजित की गई थी।
डी.आर. मेहता ने अपने संबोधन में बताया कि वैश्विक आबादी का लगभग 15% हिस्सा दिव्यांगजनों का है, जो विश्व का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह बनाता है। उन्होंने कहा कि बी.एम.वी.एस.एस. पिछले 50 वर्षों से इन लोगों के पुनर्वास, रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता के लिए कार्य कर रहा है।

डी.आर. मेहता ने अपने संबोधन में बताया कि वैश्विक आबादी का लगभग 15% हिस्सा दिव्यांगजनों का है, जो विश्व का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह बनाता है।
जयपुर फुट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसकी निर्माण लागत मात्र 100 डॉलर (लगभग ₹8,500) है, जबकि पश्चिमी देशों में यही कृत्रिम पैर ₹8.5 लाख तक में उपलब्ध है। खास बात यह है कि बी.एम.वी.एस.एस. यह उपकरण जरूरतमंदों को बिल्कुल निशुल्क प्रदान करता है।
डी.आर. मेहता ने यह भी बताया कि जयपुर फुट की गुणवत्ता इतनी उच्च है कि इसका उपयोग करने वाला व्यक्ति न केवल आसानी से चल सकता है, बल्कि दौड़ सकता है, ऊंकड़ू बैठ सकता है, पेड़ पर चढ़ सकता है और सीढ़ियां भी चढ़ सकता है।
संस्था के अध्यक्ष और भारत के पूर्व राजदूत सतीष मेहता ने कहा कि आज जयपुर फुट के पदचिह्न 44 देशों में देखे जा सकते हैं। बी.एम.वी.एस.एस. ने अब तक 114 अंतरराष्ट्रीय शिविरों के माध्यम से 50,000 से अधिक विदेशी विकलांगजनों को लाभान्वित किया है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा संचालित “India for Humanity” कार्यक्रम के तहत इन शिविरों से भारत की छवि वैश्विक मंच पर और भी सशक्त हुई है।