नई दिल्ली3 मिनट पहले
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14 मार्च को दिल्ली HC जज के सरकारी बंगले में आग लगी थी। वहां दमकल कर्मियों को जले हुए 500 रुपए के नोटों से भरी बोरियां मिलीं थी।
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से मिले कैश केस की जांच कर रहे पैनल की रिपोर्ट गुरुवार को सामने आई है। इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट जज यशवंत वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर सीक्रेट या एक्टिव कंट्रोल था। यहीं 14 मार्च की रात आग लगने के बाद बड़ी संख्या में अधजले नोट मिले थे।
पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे जस्टिस वर्मा के बुरे व्यवहार का पता चलता है, जो इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए। घटना के समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे और अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत हैं।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाले तीन जजों के पैनल ने 10 दिनों तक जांच की। 55 गवाहों से पूछताछ की और जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास का दौरा किया था।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को ध्यान में रखते हुए समिति इस बात पर सहमत है कि CJI के 22 मार्च के लेटर में लगाए गए आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं। आरोप इतने गंभीर है कि जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करनी चाहिए।

पैनल की रिपोर्ट के 3 अहम पॉइंट…
- जस्टिस वर्मा अपने परिसर 30 तुगलक क्रिसेंट स्थित कमरे (स्टोर रूम) में पैसे/नकदी की मौजूदगी के बारे में कैसे जवाब देते हैं। जस्टिस वर्मा से इसके सोर्स के बारे में पूछा गया।
- 15 मार्च की सुबह स्टोर रूम से जले हुए पैसे/नकदी को किसने निकाला था। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा की बेटी की गवाही की आलोचना की, जो घटना के समय घर पर थी। गवाह के व्यवहार ने इस बात को झूठा साबित कर दिया कि वह उस रात की घटना से हैरान थी और घबरा गई थी।
- पैनल ने जस्टिस वर्मा के उस रुख को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि स्टोर रूम के एंट्रेंस पर CCTV कैमरों से लगातार निगरानी रखी जा रही थी और यह सुरक्षा कर्मियों के नियंत्रण में था। इसलिए यह असंभव है कि स्टोर रूम में नकदी रखी गई थी।
