पंजाब के लुधियाना में पश्चिम विधानसभा सीट पर गुरुवार (19 जून) को उपचुनाव के लिए वोटिंग संपन्न हुई। चुनाव आयोग के अब तक के जारी आंकड़ों के मुताबिक कुल 51.33% वोटिंग हुई है। अभी आंकड़ों में बदलाव हो सकता है। इसका रिजल्ट 23 जून को आएगा।
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राज्य में बीते 3 सालों में हुए उपचुनावों के ट्रेंड को देखें तो इनमें सत्ता में होने के चलते अब तक आम आदमी पार्टी (AAP) को ही फायदा मिला है। इस ट्रेंड के हिसाब से इस बार भी AAP के खाते में ही यह सीट जा सकती है।
हालांकि, लुधियाना वेस्ट की सीट पर पिछले 5 चुनावों की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा 3 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। जबकि, एक बार अकाली-भाजपा गठबंधन का संयुक्त उम्मीदवार विधायक बना है और बीते चुनाव में AAP ने यहां जीत हासिल की। इस हिसाब से कांग्रेस कैंडिडेट भी टक्कर में हैं।

यहां उपचुनाव क्यों हो रहा बता दें कि लुधियाना वेस्ट सीट से AAP के विधायक गुरप्रीत गोगी की जनवरी 2025 में गोली लगने से मौत हो गई थी। परिजनों ने बताया था कि उन्होंने आत्महत्या की है। इसके बाद से यह सीट खाली थी। इसलिए, अब इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है।
सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा लुधियाना पश्चिम सीट पर पहली बार उपचुनाव हो रहा है। यह सीट 1977 में अस्तित्व में आई और अब तक यहां 10 बार चुनाव हो चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा 6 बार कांग्रेस, 2 बार अकाली दल, एक बार AAP और एक बार जनता पार्टी (पूर्व) का विधायक बन चुका है।

इस उपचुनाव में जीत के चारों प्रमुख पार्टियों के लिए क्या मायने…
इस उपचुनाव को दलों ने 2027 विधानसभा चुनाव से पहले ‘बदलाव की शुरुआत’ बताया है। विशेष रूप से AAP के लिए यह उपचुनाव अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है, क्योंकि पार्टी दिल्ली हार, नेतृत्व संकट और अंदरूनी चुनौतियों से जूझ रही है। इस सीट पर जीत के लिए हर दल ने मेहनत की है और इसके सभी के लिए अलग-अलग मायने हैं।
- AAP: उपचुनाव में यदि AAP उम्मीदवार जीतता हैं, तो इससे पार्टी को 2 बड़े फायदे हो सकते हैं। पहला यह कि दिल्ली का चुनाव हारने और नेतृत्व संकट जूझने के बीच यह जीत पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगी। दूसरा यह कि इस जीत से पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के संसद पहुंचने का रास्ता खुल सकता है। दरअसल, AAP ने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को यहां से कैंडिडेट बनाया है। अगर वह विधायक बनते हैं, तो उन्हें राज्यसभा सीट छोड़नी होगी, जिससे वह सीट खाली हो जाएगी। ऐसी स्थिति में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि AAP उस सीट से केजरीवाल को राज्यसभा भेज सकती है। दिल्ली में जमानत पर बाहर और कई मामलों में फंसे केजरीवाल के लिए राज्यसभा की सदस्यता राजनीतिक रूप से सुरक्षित मंच बन सकती है। इसके जरिए वह संसद में अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे और केंद्र की राजनीति में भी सक्रिय हो पाएंगे। इसलिए, लुधियाना वेस्ट का यह उपचुनाव केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी अहम माना जा रहा है।
- कांग्रेस: यदि लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में कांग्रेस की जीत होती है तो यह AAP के लिए बड़ा झटका होगा। जैसा कि सभी दल बता चुके हैं कि यह बदलाव की शुरुआत होगी, ऐसे में कांग्रेस की जीत राज्य में आगामी चुनाव के लिए पार्टी को मजबूती दे सकती है। ऐसी स्थिति में यह AAP के लिए खतरे की घंटी साबित होगी।
- भाजपा: BJP के लिए लुधियाना वेस्ट की सीट जीतना बहुत मायने रखता है, क्योंकि पंजाब में भाजपा का हाल बुरा है। हालांकि, पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में भी जुटी है। ऐसे में यदि इस उपचुनाव में जीत मिलती है तो इससे BJP के वर्करों का मनोबल बढ़ेगा और 2027 में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जागेगी।
- SAD: शिरोमणि अकाली दल को भी इस जीत की दरकार है। यह पार्टी जिस तरह से टूट रही है और उसमें अंतर्कलह बढ़ रही है, ऐसे में यह जीत अकाली दल को पुनर्गठित करने में मदद कर सकती है।


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