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- Motivational Story The Pot Of Greed Never Gets Filled, Inspirational Story About Greed And Happiness, Story Of King And His Servant
11 घंटे पहले
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लालच कैसे हमारी सुख-शांति छीन लेता है, ये बात एक लोक कथा से समझ सकते हैं। पुराने समय में किसी गांव में एक पति-पत्नी सादगी और संतोषपूर्ण जीवन जीते थे। पति राजा के महल में काम करता था और रोज की मेहनत से एक स्वर्ण मुद्रा कमाकर लाता था। उसकी ईमानदारी के कारण राजा भी उससे प्रसन्न था और उसकी पत्नी बुद्धिमत्ता से घर संभालती थी।
एक दिन उसे रास्ते में एक यक्ष मिला, जिसने उसकी ईमानदारी और मेहनत से प्रभावित होकर उसे सात सोने के सिक्कों से भरे घड़े भेंट करने का वचन दिया। घर लौटने पर वह देखता है कि घर में सात घड़े रखे हुए हैं, लेकिन उनमें से छह घड़े तो सोने के सिक्कों से पूरे भरे हैं, जबकि सातवां घड़ा थोड़ा खाली है। ये देखकर उस व्यक्ति को यक्ष पर गुस्सा आ गया।
गुस्से में वह व्यक्ति उसी जगह पहुंच गया, जहां उसे यक्ष मिला था। वहां यक्ष फिर प्रकट होता है और कहता है कि सातवां घड़ा तुम अपनी कमाई से भर लेना।
व्यक्ति को लगता है, ये तो आसान काम है। घर लौटकर वह पत्नी से कहता है कि अब हमें बचत करनी होगी, तभी ये सातवां घड़ा हम भर पाएंगे।
इसके बाद पति-पत्नी सातवें घड़े को भरने के प्रयास में लग जाते हैं। धीरे-धीरे ये प्रयास कंजूसी, तनाव और असंतोष में बदल जाता है। घर में धन तो था, लेकिन जीवन से शांति गायब हो गई। पति का स्वभाव बदल गया, वह कठोर और चिंतित रहने लगा। पत्नी से भी विवाद होने लगे। राजा ने जब अपने सेवक को दुखी देखा तो उसने उसकी तनख्वाह दोगुनी कर दी, परंतु तब भी उसका सुख वापस नहीं आया।
जब राजा ने देखा कि सेवक अभी भी परेशान रहता है तो एक दिन उन्होंने उससे पूछा कि क्या तुम्हें किसी यक्ष ने सात घड़े दिए हैं? ये प्रश्न सुनते ही सेवक ने राजा को सबकुछ बता दिया।
राजा ने समझाया कि सातवां घड़ा लोभ का है, ये कभी नहीं भरता। तुम तुरंत जाओ और उस यक्ष के सभी घड़े उसे लौटा दो। राजा की बात समझ में आते ही व्यक्ति ने वह सारे घड़े यक्ष को वापस कर दिए। इसके बाद फिर से उसके जीवन में शांति और संतोष आ गया।
कहानी से सीखें लाइफ मैनेजमेंट के ये 5 सूत्र
- लोभ यानी कभी ना मिटने वाली प्यास
सातवां घड़ा प्रतीक है उस अंतहीन लालच का, जो चाहे कितनी भी दौलत हो, इंसान को संतुष्ट नहीं रहने देता। यह मानसिक अशांति का कारण बनता है।
- संतोष ही असली संपत्ति है
जब तक राजा के सेवक के जीवन में लालच नहीं था, वे खुश थे। जैसे ही उन्होंने थोड़ा और धन कमाने की लालसा पाल ली, जीवन से सुख गायब हो गया। लालच से बचें और संतोष बनाए रखें, तभी सुखी रहेंगे।
- लक्ष्य और जरूरत में अंतर समझें
सातवां घड़ा एक अनावश्यक लक्ष्य था। आज की जिंदगी में भी कई बार हम ऐसे लक्ष्यों के पीछे भागते हैं जिनकी जरूरत नहीं होती, केवल इसलिए क्योंकि दूसरों के पास है, हम भी उसे पाने की कोशिश करते हैं, यही कोशिश अशांति बढ़ा देती है।
- जीवन में संतुलन जरूरी है
धन आने के बाद भी यदि मानसिक शांति न हो तो वह धन व्यर्थ है। जीवन में संतुलन जरूरी है, नहीं तो रिश्ते, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास सब प्रभावित होते हैं।
- रिश्तों को प्राथमिकता दें
कहानी में लालच की वजह से पति-पत्नी के रिश्ते में भी दूरी आ गई थी, क्योंकि आर्थिक लक्ष्य ने दबाव बना दिया, जिससे रिश्ते में तनाव आ गया। हमें लालच से बचना चाहिए, तभी रिश्तों में भी प्रेम बना रहेगा।