तलीन गुप्ता अपने परिवार के साथ।
‘IIT कानपुर में जब आया तो ऐसा नहीं लगा कि कही दूसरी जगह पर आया हूं, यहां पर खूब दोस्त बने और अच्छे लोगों से मिलने का एख बेहतरीन मौका मिला है। अब यहां से बहुत सारी यादें लेकर जा रहा हूं।
.
जब आया था तो मुझे नहीं पता था कि यहां पर आकर मैं मेडल भी लेकर जाऊंगा, मगर आज जो खुशी है उसे मैं शब्दों में बयां भी नहीं कर सकता हूं।’
ये बात पंजाब के पठान कोट निवासी तलीन गुप्ता ने कही। तलीन नें प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। ऑनलाइन मोड से शुरू की थी जर्नी
तलीन कहते है कि मैंने ऑनलाइन मोड पर आकर आईआईटी कानपुर की जर्नी को शुरू किया था। इसके बाद ऑफलाइन मोड पर आ गए थे। आज जो उपलब्धि मुझे मिली है। इसका श्रेय मैं अपने प्रोफेसर और माता-पिता को देता हूं, उन्होंने सपोर्ट किया।
ज्यादा से ज्यादा फ्रेंड्स बनाकर बातें शेयर करना चाहिए
तलीन ने कहा कि जब आप हाई एजुकेशन की तरफ बढ़ते है तो तनाव भी बढ़ता है। इसमें सबसे अच्छा है कि आप खूब ढ़ेर सारे दोस्त बनाए और उनसे अपनी बातों को जरूर शेयर करें। इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी हिस्सा लेना चाहिए। मैं यहां पर हमेशा खाली समय में स्क्वैश भी खेलता था। मुझे एक टॉवर रिसर्च कंपनी में 1.2 करोड़ के पैकेज में जॉब मिला है। अभी कोई स्टार्टअप का प्लान नहीं हैं।

कलश तलाटी के परिवार के लोगों ने जताई खुशी।
उम्मीद से ज्यादा आईआईटी कानपुर ने दिया
डॉक्टर्स गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले इंदौर के कलश तलाटी भी स्क्वैश के खिलाड़ी हैं। अभी तो मैं अभी अपनी जॉब करना चाहूंगा। गुड़गांव की एक कंपनी में मुझे 50 लाख रुपए का पैकेज मिला है।
आईआईटी कानपुर एक बहुत अच्छी जगह है। यहां के प्रोफेसर औप वातावरण काफी अच्छा है। ये संस्थान आपको मौका देता है कि यदि आप फेल हो जाए तो आप फिर से एक बाद स्टैंड कर सकते हैं। मैंने जेईई के बाद सिर्फ आईआईटी कानपुर ही अपनी च्वाइंस में भरा था और वो मुझे मिला।
फिजिक्स में करूंगा रिसर्च
कलश ने कहा कि मेरा सब्जेक्ट फिजिक्स था अब आगे भविष्य में मैं इसी में कुछ नया रिसर्च करना चाहूंगा। मेरे पिता मनीष तलाटी बिजनेस मैन है और मां रैनी तलाटी हाउस वाइफ, मेरी एक बहन है जो आर्केटेक्ट इंजीनियर हैं।
रिसर्च के लिए यूएस जाऊंगा
देवरिया के अभिषेक कुमार यादव ने डॉ. शंकर दयाल शर्मा अवार्ड प्राप्त किया है। वो केमिस्ट्री डिपार्टमेंट से थे। उन्होंने कहा कि जब मैं आईआईटी कानपुर आया तो पहले साल तो बिल्कुल नॉर्मल रहा मेरे लिए, लेकिन एक साल बाद मुझे लगा कि मैं यहां से कुछ अच्छा कर के जा सकता हूं।

अभिषेक कुमार यादव अपने पिता व भाई के साथ।
अब मैं आगे रिसर्च के लिए यूएस जाने वाला हूं, वहां पर मैं डिफेंस से संबंधित चीजों पर शोध करूंगा। यहां से कभी कुछ यादें लेकर जा रहा हूं। संस्थान से काफी कुछ सीखने को मिला, जो अब मेरे आगे काम आएगा।