क्राइम के बदले तरीकों के चलते राजस्थान में जांच एजेंसियों को एक्सपर्ट मैनपावर मिले, इसके लिए देश की दूसरी व राजस्थान की पहली पुलिस यूनिवर्सिटी में मास्टर ऑफ कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग के साथ सिलेबस अपग्रेड कर साइबर सिक्योरिटी की डिग्री दी जा रही है
.
विडंबना ये है कि इस यूनिवर्सिटी की डिग्री को राजस्थान में ही मान्यता नहीं मिल रही। ऐसे में यूनिवर्सिटी के डिग्रीधारी सिलेक्शन की लिस्ट में पिछड़ जाते हैं। बड़ी बात तो यह है कि राजस्थान में महाराष्ट्र व अन्य राज्य से मात्र कंप्यूटर साइंस में डिग्री लेकर आए स्टूडेंट को जॉब दी जा रही है। जबकि अपग्रेड सिलेबस के साथ डिग्री लेने वालों को अपात्र माना जा रहा है।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

जोधपुर में देश की दूसरी और राजस्थान की पहली पुलिस यूनिवर्सिटी है।
जोधपुर स्थित पहली पुलिस यूनिवर्सिटी, सरदार पटेल पुलिस सुरक्षा व दंडिक न्याय एकमात्र ऐसी सरकारी यूनिवर्सिटी है, जहां कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग के साथ अपग्रेड सिलेबस साइबर सिक्योरिटी और फोरेंसिक पढ़ाया जाता है। यूनिवर्सिटी में साइबर सिक्योरिटी व फोरेंसिक में मास्टर इन साइंस व मास्टर इन टेक्नोलॉजी की डिग्री दी जाती है। लेकिन राजस्थान की ही FSL के लिए निकलने वाली वैकेंसी में इस डिग्री को मान्य नहीं माना जाता। वैकेंसी में मास्टर ऑफ टेक्नॉलॉजी, मास्टर ऑफ कंम्प्यूटर एप्लिकेशन, एमई और एमएससी डिग्रीधारी को पात्र माना जा रहा है।
मास्टर इन साइंस व मास्टर इन टेक्नोलॉजी की डिग्री की डिमांड अन्य राज्यों के एफएसएल में है। लेकिन, राजस्थान में एफएसएल अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है।
यही हाल क्रिमिनोलॉजी की डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स का है। राजस्थान में एफएसएल इस डिग्री को भी भर्ती में अपात्र मान रहा है। ऐसे में स्टूडेंट पोर्ट व होटल में सिक्योरिटी ऑफिसर की ड्यूटी कर रहे हैं। जबकि वह क्राइम साइकॉलोजी के चलते गृह विभाग की जांच एजेंसियों में जॉब पाना चाहते थे।



डिग्रीधारी बोले- पुराना ढर्रा अपनाए है आरपीएससी डिग्रीधारियों का कहना है कि MSc/MTech इन साइबर सिक्योरिटी को UPSC वैलिड डिग्री मानता है। सेंट्रल व अन्य राज्यों की एफएसएल में भर्ती के लिए योग्यता में शामिल हैं, जबकि RPSC अभी भी भर्ती के लिए पुराने ढर्रा अपनाए हुए है। हमारी डिग्री का नाम एमटेक या एमएससी साइबर सिक्योरिटी है जबकि उसमें सिलेबस में साइबर फोरेंसिक है। जांच के लिए जिस कंप्यूटर व मोबाइल से डेटा निकाला जाता है, उस कंप्यूटर व डेटा को सुरक्षित रखने का काम साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट का होता है। एफएसएल ने भर्ती के लिए जो योग्यता रखी है वह सामान्य मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन ही है, जिसमें फोरेंसिक को लेकर कोई भी सिलेबस नहीं है और उन्हें पात्र माना जा रहा है।
यह था मामला राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा नवंबर 2021 में साइबर फोरेंसिंक खंड में असिस्टेंट डायरेक्टर व सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर के पदों के लिए वैकेंसी जारी की गई थी। इसमें भारत की किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से MTech/ MCA/ME/MSc विद् सेकेंड डिवीजन इन कंम्प्यूटर साइंस और कंप्यूटर एप्लिकेशन की पात्रता रखी गई थी।
रिटन एग्जाम के बाद मार्च 2023 को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय सरदार पटेल यूनिवर्सिटी से साइबर सिक्योरिटी में डिग्रीधारी स्टूडेंट को अपात्र घोषित कर दिया। वहीं वैकेंसी में क्रिमिनोलॉजी डिग्री भी योग्यता में मेंशन नहीं की गई। तीन पद के लिए निकाली गई इस वैकेंसी में दो पद अभी भी रिक्त हैं जबकि एक पद पुणे (महाराष्ट्र) के एमसीए डिग्रीधारी को दिया गया।
स्टूडेंट्स ने बयां किया अपना दर्द

- मास्टर ऑफ साइंस एमटेक इन साइबर सिक्योरिटी डिग्री लेने वाले माधव ने बताया कि राजस्थान की जयपुर स्थित एफएसएल लैब में इसी डिग्री के आधार पर कॉन्टैक्ट बेस पर काम कर चुके हैं। 2023 में माधव गौड़ ने हाईकोर्ट में आरपीएससी व एफएसएल के खिलाफ याचिका दायर की।
- क्रिमिनोलॉजी में डिग्रीधारी जयपुर की स्वाति ने बताया कि अन्य राज्यों में सीबीआई, पुलिस, जेल, एफएसएल आदि में क्रिमिनोलॉजी की डिग्री को मान्यता मिलती है, लेकिन राजस्थान में नहीं। यहां से पासआउट अन्य राज्यों में इसलिए सिलेक्ट नहीं हो पाते क्योंकि वहां उन राज्यों के अनुसार भाषा का ज्ञान जरूरी है। स्वाति वर्मा ने 2021 में हाईकोर्ट में एफएसएल और आरपीएससी के खिलाफ केस दायर किया और मांग की कि अन्य राज्यों की तरह राजस्थान एफएसएल भी सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर के लिए क्रिमिनोलॉजी डिग्री एड करे।
- जोधपुर के सुनील ने यूनिवर्सिटी में क्रिमिनोलॉजी में डिग्री ली और वर्तमान में गुजरात में अडाणी के पोर्ट पर सिक्योरिटी ऑफिसर की जॉब कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्रिमिनोलॉजी में डिग्री इसलिए ली ताकि क्राइम साइकॉलोजी में नौकरी पा सकें, लेकिन सिक्योरिटी संभाल रहे हैं।
यूनिवर्सिटी में सीटें खाली सरदार पटेल यूनिवर्सिटी में साइबर सिक्योरिटी में पिछले तीन साल में 5 से 7 स्टूडेंट ही एडमिशन ले रहे हैं। इस सब्जेक्ट में 24 सीट हैं। 2024 में 7, 2023 में 7, 2022 में 5, जबकि 2021 में 15 स्टूडेंट थे। 2021 में निकली वैकेंसी में इस डिग्री को अपात्र मानने के बाद से स्टूडेंट्स का रुझान इस सब्जेक्ट से हट गया। क्रिमिनाेलॉजी में सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स हैं। 99 प्रतिशत स्टूडेंट अन्य राज्यों से आकर यहां डिग्री ले रहे हैं। राजस्थान के स्टूडेंट्स एडमिशन नहीं ले रहे।