Motivational Story, How to deal with criticism?, inspirational story about criticism in hindi, | प्रेरक कथा: आलोचनाओं का सामना कैसे करें?: शिष्य के सामने लोग कर रहे थे गुरु की बुराई, गुरु ने हाथी का उदाहरण देकर शांत किया शिष्य का गुस्सा

Actionpunjab
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7 घंटे पहले

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हमारे आसपास कई लोग हैं, कुछ लोग हमारे साथ होते हैं, हमें प्रोत्साहित करते हैं, जबकि कुछ लोग केवल हमारी आलोचना करते हैं और हमें पीछे धकेलने की कोशिश करते हैं। ये लोग कभी खुलकर तो कभी पीठ पीछे हमारी बुराई करते हैं। ऐसे लोगों का सामना किस प्रकार करना चाहिए, ये एक लोक कथा से समझ सकते हैं…

एक संत अपने शिष्य के साथ गांव-गांव भ्रमण करते थे। वे जहां भी जाते, लोग उनके प्रवचनों को ध्यान से सुनते और उनके विचारों से प्रभावित होते। एक बार वे एक ऐसे गांव पहुंचे जहां उनके ज्ञान और आचरण से लोग बहुत प्रभावित हुए। वे धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो गए और दूर-दूर से लोग उन्हें सुनने आने लगे।

उसी गांव में एक पुजारी था, जिसे ये सब देखकर संत से ईर्ष्या होने लगी। उसे लगा कि संत की लोकप्रियता उसके प्रभाव को कम कर देगी। असुरक्षा की भावना में आकर उसने संत के खिलाफ दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया। गांव में अफवाहें फैलने लगीं और कई लोग संत के बारे में गलत बातें करने लगे।

एक दिन शिष्य के सामने भी लोग उसके गुरु की बुराई करने लगे। शिष्य क्रोधित हो गया। वह तुरंत अपने गुरु के पास गया और बोला, “गुरुदेव! लोग आपके बारे में झूठी बातें फैला रहे हैं। आपको बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें कुछ करना चाहिए।”

संत मुस्कराए और बोले, “हमें दूसरों की नकारात्मक बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हमें अपने काम में मन लगाना चाहिए।”

शिष्य का गुस्सा शांत नहीं हुआ। तब संत ने एक सुंदर उदाहरण दिया, जो जीवन की बड़ी सच्चाई बताता है:

संत ने कहा, “जब हाथी किसी गांव में प्रवेश करता है तो सारे कुत्ते उसे देखकर भौंकने लगते हैं, लेकिन हाथी बिना रुके अपनी मस्त चाल में चलता रहता है। वह न रुकता है, न प्रतिक्रिया देता है।”

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संत बोले, “हमें भी ऐसे ही बनना चाहिए। जो लोग नकारात्मक बातें करते हैं, वे सिर्फ अपने मन की भड़ास निकालते हैं। लेकिन अगर हम उन्हें जवाब देने लगेंगे, तो अपनी ऊर्जा और समय व्यर्थ कर देंगे। हमारा उद्देश्य सिर्फ ईमानदारी से अपना कार्य करना होना चाहिए। हमारे कर्म ही हमारी पहचान बनाएंगे, और वही अंततः लोगों की सोच बदल देंगे।”

जीवन प्रबंधन के सूत्र

  • इस कथा से हमें जीवन प्रबंधन की महत्वपूर्ण सीख मिलती है- दूसरों की हर बात का जवाब देना जरूरी नहीं है। अगर हम सही हैं तो समय ही उन लोगों को जवाब देता है।
  • जीवन में यदि हम सभी आलोचकों को जवाब देने लगें तो हम अपने मार्ग से भटक सकते हैं। नकारात्मकता को जवाब देकर हम उसमें उलझ जाते हैं और अपना मूल उद्देश्य भूल जाते हैं।
  • हमें धैर्य रखना चाहिए, आलोचना के समय शांत रहना ही ताकत है। अपने कार्य पर केंद्रित रहेंगे तो हम अपने लक्ष्य हासिल कर लेंगे। अपना लक्ष्य कभी न भूलें।
  • हमें अपने आचरण से दूसरों को जवाब देना चाहिए। लोग आपके काम की ईमानदारी देखकर खुद चुप हो जाएंगे।
  • ऊर्जा बचाएंगे तो काम में लाभ मिलेगा। हर बहस में कूदना जरूरी नहीं, अपनी ऊर्जा का सदुपयोग करेंगे तो काम में लाभ मिलने लगेगा।
  • ध्यान रखें, सच्ची सफलता वही है जो शांति, संयम और निरंतर ईमानदारी से मिलती है।

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