PM Modi Brazil BRICS Summit 2025 LIVE Updates China Russia | QUAD के बाद BRICS ने पहलगाम हमले की निंदा की: मोदी बोले- ये अटैक इंसानियत पर चोट; इजराइल के खिलाफ ईरान के सपोर्ट में ब्रिक्स देश

Actionpunjab
13 Min Read


रियो डी जनेरियो3 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
BRICS देशों की 17वीं समिट का आयोजन ब्राजील के रियो डी जनेरियो शहर के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में हो रहा है। - Dainik Bhaskar

BRICS देशों की 17वीं समिट का आयोजन ब्राजील के रियो डी जनेरियो शहर के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में हो रहा है।

ब्राजील के रियो डी जनेरियो में रविवार को आयोजित 17वें BRICS सम्मेलन में सदस्य देशों ने 31 पेज और 126 पाइंट वाला एक जॉइंट घोषणा पत्र जारी किया। इसमें पहलगाम आतंकी हमले और ईरान पर इजराइली हमले की निंदा की गई।

इससे पहले 1 जुलाई को भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की मेंबरशिप वाले क्वाड ग्रुप के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी पहलगाम हमले की निंदा की गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समिट में कहा कि पहलगाम आतंकी हमला सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत पर चोट है। आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होना चाहिए, सुविधा नहीं। इसके साथ ही उन्होंने एक नई विश्व व्यवस्था की मांग उठाई।

PM ने कहा, ’20वीं सदी में बनाई गईं वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में नाकाम हैं। AI के दौर में तकनीक हर हफ्ते अपडेट होती है, लेकिन एक वैश्विक संस्थान 80 सालों में एक बार भी अपडेट नहीं होती। 20वीं सदी के टाइपराइटर 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकते।’

PM मोदी के ब्राजील दौरे की तस्वीरें…

ब्राजील के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में रिसीव किया।

ब्राजील के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में रिसीव किया।

PM मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा और BRICS देशों के नेताओं ने ग्रुप फोटो खिंचवाई।

PM मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा और BRICS देशों के नेताओं ने ग्रुप फोटो खिंचवाई।

ब्राजील पहुंचने पर भारतीय मूल के लोगों ने एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत किया।

ब्राजील पहुंचने पर भारतीय मूल के लोगों ने एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत किया।

PM मोदी का रविवार को रियो डी जनेरियो में गैलेओ एयरपोर्ट पर स्वागत किया गया।

PM मोदी का रविवार को रियो डी जनेरियो में गैलेओ एयरपोर्ट पर स्वागत किया गया।

ब्रिक्स देशों के जॉइंट घोषणा पत्र की प्रमुख बातें…

  • नए सदस्य और भागीदार देश: इंडोनेशिया को ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बनाया गया।बेलारूस, बोलीविया, कजाकिस्तान, क्यूबा, नाइजीरिया, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, युगांडा, और उज्बेकिस्तान को ब्रिक्स भागीदार देश के रूप में शामिल किया गया।
  • संयुक्त राष्ट्र में भारत और ब्राजील की भूमिका: चीन और रूस ने संयुक्त राष्ट्र, खासतौर पर सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत और ब्राजील की बड़ी भूमिका का समर्थन किया।
  • जलवायु परिवर्तन और COP30: ब्रिक्स देशों ने COP30 की सफलता के लिए प्रतिबद्धता जताई, जो UNFCCC और पेरिस समझौते को लागू करने में मदद करेगा।भारत की 2028 में COP33 की मेजबानी की उम्मीदवारी का स्वागत किया गया।
  • ब्रिक्स अध्यक्षता: ब्राजील की 2025 की अध्यक्षता की सराहना की गई।भारत को 2026 में ब्रिक्स अध्यक्षता और 18वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए समर्थन दिया गया।
  • अवैध प्रतिबंधों की निंदा: ब्रिक्स देशों ने उन एकतरफा प्रतिबंधों की निंदा की जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के खिलाफ हैं
  • ग्लोबल ट्रेड: एकतरफा टैरिफ लगाने के फैसलों पर चिंता जताई गई, जो विश्व व्यापार संगठन (WTO) नियमों के खिलाफ हैं।पारदर्शी, और समावेशी ट्रेड सिस्टम का समर्थन किया गया, जिसमें विकासशील देशों से बिना भेदभाव का व्यवहार शामिल है।
  • आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता: आतंकवाद को किसी धर्म, देश, सभ्यता या जातीय समूह से जोड़ने से इनकार किया गया।22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ईरान पर इजराइली हमले की कड़ी निंदा की गई।संयुक्त राष्ट्र की तरफ से घोषित आतंकवादियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की गई।आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और दोहरे मापदंड को खारिज करने पर जोर दिया गया।
  • बिग कैट्स अलायंस: भारत की ‘इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस’ पहल का स्वागत किया गया, जिसका मकसद दुर्लभ प्रजातियों, खासकर बड़ी बिल्लियों (जैसे शेर, बाघ) के संरक्षण के लिए सहयोग करना है।
  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB): NDB की ग्लोबल साउथ में विकास और आधुनिकीकरण के लिए बढ़ती भूमिका की सराहना की गई।बैंक की लोकल करेंसी फाइनेंसिंग, इनोवेशन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का समर्थन बढ़ाने की बात कही गई।

मोदी बोले- ग्लोबल साउथ डबल स्टैंडर्ड का शिकार

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ग्लोबल साउथ के देश अक्सर डबल स्टैंडर्ड का शिकार रहे हैं। चाहे विकास हो, संसाधनों की बात हो, या सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की, ग्लोबल साउथ को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई है। इनके बिना, वैश्विक संस्थाएं ऐसे मोबाइल की तरह हैं, जिसमें सिम कार्ड तो है लेकिन नेटवर्क नहीं है।’

पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था में जिन देशों का योगदान ज्यादा है, उन्हें फैसले लेने का हक नहीं है। यह सिर्फ प्रतिनिधित्व का नहीं, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी सवाल है।

ब्राजील के रियो डी जनेरियो शहर में 17वीं BRICS समिट हो रही है। इसमें PM मोदी शामिल हुए हैं। वे ब्राजील में आज से अपने 3 दिनों के दौरे पर हैं। इस बार BRICS का एजेंडा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)​​​​ का सही इस्तेमाल, क्लाइमेट एक्शन, ग्लोबल हैल्थ जैसे मुद्दे हैं।

मोदी 12वीं बार BRICS समिट में भाग लेने पहुंचे मोदी 12वीं बार BRICS समिट में भाग ले रहे हैं। वे BRICS के कई सदस्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे। वे दो दिन के लिए राजकीय दौरे पर राजधानी ब्रासीलिया भी जाएंगे। ब्रासीलिया में PM मोदी राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा से द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे।

भारत BRICS में सीमा पार आतंकवाद पर अपनी चिंताओं को भी दोहरा सकता है। मोदी 2 जुलाई से 10 जुलाई तक, 5 देशों की यात्रा पर हैं। वे घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना के बाद रविवार सुबह ब्राजील पहुंचे हैं।

BRICS क्या है? BRICS 11 प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है। इनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब और इंडोनेशिया शामिल हैं।

इसका मकसद इन देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें शुरुआत में 4 देश थे, जिसे BRIC कहा जाता था। यह नाम 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने दिया था।

तब उन्होंने कहा था कि ब्राजील, रूस, भारत और चीन आने वाले दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे। बाद में ये देश एक साथ आए और इस नाम को अपनाया।

2024 में बेलारूस, बोलिविया, कजाकिस्तान, क्यूबा, मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, युगांडा और उज्बेकिस्तान को पार्टनर देशों के रूप में BRICS में शामिल किया गया है।

2024 में बेलारूस, बोलिविया, कजाकिस्तान, क्यूबा, मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, युगांडा और उज्बेकिस्तान को पार्टनर देशों के रूप में BRICS में शामिल किया गया है।

BRICS को बनाने की जरूरत और आगे का सफर

सोवियत संघ के पतन के बाद और 2000 के शुरुआती सालों में दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पश्चिमी देशों का दबदबा था। अमेरिका का डॉलर और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) फैसले करती थीं।

इस अमेरिकी दबदबे को कम करने के लिए रूस, भारत, चीन और ब्राजील BRIC के तौर पर साथ आए, जो बाद में BRICS हो गया। इन देशों का मकसद ग्लोबल साउथ यानी विकासशील और गरीब देशों की आवाज को मजबूती देना था।

2008-2009 में जब पश्चिमी देश आर्थिक संकट से गुजर रहे थे। तब BRICS देशों की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही थी।

आर्थिक संकट से पहले पश्चिमी देश दुनिया की 60% से 80% अर्थव्यवस्था को कंट्रोल कर रहे थे, लेकिन मंदी के दौर में BRICS देशों की इकोनॉमिक ग्रोथ से पता चला कि इनमें तेजी से बढ़ने और पश्चिमी देशों को टक्कर देने की क्षमता है।

2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में हुई बैठक में BRICS देशों ने मल्टीपोलर वर्ल्ड यानी बहुध्रुवीय दुनिया की कल्पना की गई, जहां पश्चिमी देशों की आर्थिक पकड़ कमज़ोर हो और सभी देशों को बराबरी का हक मिले।

2014 में BRICS ने एक बड़ा कदम उठाते हुए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड देता है। इसके साथ-साथ एक रिजर्व फंड भी बनाया गया ताकि आर्थिक संकट के समय इन देशों को अमेरिकी डॉलर पर निर्भर न रहना पड़े।

ब्राजील में हो रही BRICS समिट खास क्यों

ब्राजील के रियो डी जनेरियो में BRICS समिट 2025 का आयोजन ‘ग्लोबल ऑर्डर के लिए ग्लोबल साउथ का सहयोग’ की थीम पर किया जा रहा है।

इस बार होने वाली बैठक में पहली बार 11 सदस्य देश शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा 13 पार्टनर कंट्रीस भी हिस्सा ले रही हैं।

ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा BRICS को पश्चिमी देशों के विरोधी के बजाय समावेशी संगठन के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसका मकसद समावेशी विकास, खाद्य सुरक्षा और क्लाइमेट जस्टिस जैसे मुद्दों पर बात करना है।

BRICS समिट 2025 में 3 मुद्दों पर फोकस रहने वाला है-

  • पहला- डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और पेमेंट सिस्टम
  • दूसरा- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए नियम
  • तीसरा- सदस्य देशों में लोकल करेंसी में ट्रेड

पश्चिमी देशों के लिए BRICS एक चुनौती

BRICS देशों में पिछले कई सालों से SWIFT पेमेंट सिस्टम की तर्ज पर अपना पेमेंट सिस्टम बनाने की चर्चा होती रही है। हालांकि इसे लेकर अभी तक कोई सहमति बन नहीं पाई है और न ही कोई ठोस कदम उठाए गए हैं।

2023 में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने एक समिट के दौरान कहा था कि BRICS संगठन के देशों को व्यापार के लिए एक नई करेंसी बनाने की जरूरत है। उन्होंने सवाल उठाया था कि हम क्यों डॉलर में ट्रेड कर रहे हैं।

BRICS देशों के पेमेंट सिस्टम और अपनी करेंसी बनाने का आइडिया हमेशा से पश्चिमी देशों खासतौर पर अमेरिका के लिए चिंता का विषय रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने शपथ ग्रहण से पहले ही पिछले साल दिसंबर में चेतावनी दी थी कि अगर BRICS देश ऐसा करते हैं तो उन पर 100% टैरिफ लगेगा। ट्रम्प ने इसे अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की साजिश बताया था।

हालांकि इस सब के बीच भारत अपना रुख साफ कर चुका है। दिसंबर 2024 में कतर की राजधानी दोहा में एक फोरम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था कि अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने में भारत की कोई रुचि नहीं है।

……………………………………

PM मोदी की विदेश यात्रा से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति ने मोदी को गले लगाया: खनिज-व्यापार और निवेश पर बातचीत की; PM ने अर्जेंटीना के नेशनल हीरो को श्रद्धांजलि दी

PM मोदी अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से गले मिलते हुए।

PM मोदी अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से गले मिलते हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से मुलाकात की। राष्ट्रपति जेवियर ने पीएम मोदी को गले लगाकर स्वागत किया। दोनों नेताओं ने ब्यूनस आयर्स में डेलिगेशन लेवल पर बातचीत की। मोदी और जेवियर के बीच जरूरी खनिजों, व्यापार-निवेश, ऊर्जा, कृषि सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर बातचीत हुई। पूरी खबर पढ़ें…

PM मोदी को त्रिनिदाद एंड टोबैगो का सर्वोच्च सम्मान: यह अवॉर्ड पाने वाले पहले विदेशी, 25 देश दे चुके हैं अपना सबसे बड़ा सम्मान

PM मोदी को त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राष्ट्रपति ने देश का सबसे बड़ा अवॉर्ड दिया।

PM मोदी को त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राष्ट्रपति ने देश का सबसे बड़ा अवॉर्ड दिया।

त्रिनिदाद और टोबैगो के दौरे पर पहुंचे PM मोदी को राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू ने देश के सर्वोच्च पुरस्कार, ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद और टोबैगो’ से नवाजा है। PM मोदी ने राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू और पीएम कमला परसाद बिसेसर को इसके लिए शुक्रिया कहा। PM मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो के ‘ऑर्डर ऑफ द ऑर्डर’ से सम्मानित होने वाले पहले विदेशी नेता बन गए हैं। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *