करनाल कोर्ट के बाहर की प्रतीकात्मक फोटो।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा तय समय पर न देने से परेशान किसानों और जमीन मालिकों की गुहार पर अब अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। अतिरिक्त सेशन जज डा. सुशील गर्ग की अदालत ने एचएसवीपी पंचकूला के मुख्य प्रशासक
.
1981 में अधिग्रहण, आज तक नहीं मिला मुआवजा किसानों और जमीन मालिकों की ओर से अदालत में दाखिल याचिकाओं में बताया गया कि 6 जुलाई 1981 को एचएसवीपी ने 246.21 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। उस समय भूमि अधिग्रहण कलेक्टर ने बाजार मूल्य 28 हजार 512 रुपये प्रति एकड़ तय किया था। लेकिन इस कीमत से संतुष्ट न होकर जमीन मालिकों ने 1894 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 18 के तहत अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। इन याचिकाओं को न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण कलेक्टर को वापस भेजा ताकि अधिसूचना की धारा 4 के अनुसार बाजार मूल्य का सही निर्धारण हो सके।

कोर्ट द्वारा जारी किया गया नोटिस।
हलफनामा में HSVP ने खुद माना- 2022 तक देना था मुआवजा एचएसवीपी की ओर से अदालत में दाखिल किए गए हलफनामे में माना गया कि उन्हें 31 दिसंबर 2022 तक याचिकाकर्ताओं को मुआवजा देना था। लेकिन आज तक उन्हें कोई भुगतान नहीं किया गया। याचिकाकर्ता लगातार एचएसवीपी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। यह लापरवाही अब एचएसवीपी पर भारी पड़ सकती है। अदालत ने HSVP पंचकूला के मुख्य प्रशासक और करनाल के संपदा अधिकारी को स्पष्ट चेतावनी दी है। अदालत ने कहा है कि अदालत के आदेशों को नजरअंदाज करना और मुआवजा न देना न्यायपालिका की अवमानना है।
अदालत की सक्रियता से पहले भी दिलवाया करोड़ों का मुआवजा इससे पहले रेवाड़ी में भी ऐसे ही कई मामलों में अतिरिक्त सेशन जज डॉ. सुशील गर्ग ने याचिकाकर्ताओं को करोड़ों रुपये का मुआवजा दिलवाया है। कोर्ट की पहल के बाद एचएसवीपी जैसे बड़े संस्थानों की जिम्मेदारी तय होती नजर आ रही है।