Protests against Zelensky in Ukraine | यूक्रेन में जेलेंस्की के खिलाफ विरोध प्रदर्शन: नया कानून लाए, भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की आजादी खत्म की

Actionpunjab
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कीव2 घंटे पहले

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लोगों ने राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर राष्ट्रपति जेलेंस्की के खिलाफ नारेबाजी की। - Dainik Bhaskar

लोगों ने राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर राष्ट्रपति जेलेंस्की के खिलाफ नारेबाजी की।

रूस-यूक्रेन युद्ध के 3 साल बाद पहली बार यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों में राष्ट्रपति जेलेंस्की के खिलाफ आम जनता और सैनिक सड़कों पर उतर आए।

यूक्रेन की संसद ने हाल ही में एक कानून पास किया है, जिसके तहत 2 प्रमुख भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं, नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो ऑफ यूक्रेन (NABU) और स्पेशलाइज्ड एंटी-करप्शन प्रोसिक्यूटर ऑफिस (SAPO) पर निगरानी बढ़ाई जाएगी।

आलोचकों का कहना है कि यह कानून इन संस्थाओं की आजादी छीन लेगा और राष्ट्रपति जेलेंस्की के नियुक्त किए गए अटॉर्नी जनरल को जांच का नियंत्रण देगा। इस फैसले से पारदर्शिता, लोकतंत्र और युद्ध के मूल उद्देश्यों को आघात पहुंचा है।

प्रदर्शन की तस्वीरें देखें…

यूक्रेन में राष्ट्रपति कार्यालय के पास नए पारित कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए लोग।

यूक्रेन में राष्ट्रपति कार्यालय के पास नए पारित कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए लोग।

विरोध प्रदर्शन में लोगों ने झण्डा लहराया।

विरोध प्रदर्शन में लोगों ने झण्डा लहराया।

यूरोपीय संघ और G-7 देशों ने आलोचना की

कई घायल सैनिकों ने इसे मोर्चे पर लड़ रहे जवानों के साथ विश्वासघात बताया। इस कदम की यूरोपीय संघ और जी-7 देशों ने भी आलोचना की है, जिससे यूक्रेन की EU सदस्यता की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।

यूक्रेन के लिए भ्रष्टाचार से लड़ना अहम है, क्योंकि यह यूरोपीय संघ में शामिल होने और पश्चिमी देशों से मिल रही अरबों डॉलर की मदद को बनाए रखने के लिए जरूरी है। इस कानून के पास होने से यूक्रेन में लोगों में गुस्सा है।

कई लोगों का कहना है कि रूस के ड्रोन और मिसाइल हमलों से ज्यादा यह कानून नैतिक रूप से बड़ा झटका है।

जेलेंस्की ने कहा- भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए जरूरी कानून को लेकर राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि करोड़ों डॉलर की भ्रष्टाचार जांचें लंबित थीं और एजेंसियों की जवाबदेही तय करना जरूरी हो गया था। देश में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए यह जरुरी है।

यूक्रेन सरकार ने कहा है कि युद्ध के दौरान यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी था। सरकार का कहना है है कि इन एजेंसियों में रूसी खुफिया एजेंसियों की घुसपैठ हो चुकी थी, इसलिए उन्हें अटॉर्नी जनरल के अधीन लाना जरूरी हो गया।

आलोचकों का कहना है कि यह कानून इन संस्थाओं की आजादी छीन लेगा। इस फैसले से लोकतंत्र को आघात पहुंचा है।

आलोचकों का कहना है कि यह कानून इन संस्थाओं की आजादी छीन लेगा। इस फैसले से लोकतंत्र को आघात पहुंचा है।

विपक्ष- एजेंसियों पर काबू चाहते हैं जेलेंस्की यूक्रेनी विपक्ष ने फैसले पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका आरोप है कि यह कानून ‘लोकतंत्र को कमजोर करने और पूरी सत्ता को जेलेंस्की के कब्जे में लाने की कोशिश’ है।

उनका कहना है कि पहले ही रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते 3 साल से जेलेंस्की चुनाव नहीं करा रहे रहे हैं। पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने ने आरोप लगाया कि जेलेंस्की युद्ध का बहाना बनाकर चुनाव नहीं करा रहे और सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं।

दोनों संस्थाओं ने बयान जारी किया

नए कानून को लेकर दोनों संस्थाओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘अगर यह कानून लागू हुआ, तो SAPO का प्रमुख सिर्फ नाम का रह जाएगा, और NABU अपनी आजादी खोकर प्रॉसिक्यूटर जनरल के ऑफिस का हिस्सा बन जाएगा।’

यूरोपीय संघ की विस्तार आयुक्त मार्टा कोस ने इस कानून पर चिंता जताई। उन्होंने X पर लिखा, ‘यह कदम यूक्रेन को पीछे ले जाएगा है। NABU और SAPO जैसी स्वतंत्र संस्थाएं यूक्रेन के EU में शामिल होने के रास्ते के लिए बहुत जरूरी हैं। कानून का शासन EU में शामिल होने की शर्तों के केंद्र में है।’

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