ऑल इंडिया बैंक मित्र फेडरेशन का अखिल भारतीय बैंक मित्र महाअधिवेशन जयपुर में आयोजित किया गया।
ऑल इंडिया बैंक मित्र फेडरेशन का अखिल भारतीय बैंक मित्र महाअधिवेशन जयपुर में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन ऑल राजस्थान बैंक मित्र एसोसिएशन द्वारा बैंक मित्र दिवस के उपलक्ष में किया गया।
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महाअधिवेशन में 11 राज्यों से 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। राजस्थान एसोसिएशन के महामंत्री विजय शंकर विजय ने कहा कि बैंकों द्वारा बैंक मित्रों पर दबाव बनाकर ई-कोड बंद किए जा रहे हैं। उन्होंने महाअधिवेशन को संबोधित करते हुए आश्वासन दिया कि बैंक मित्रों की समस्याओं को सरकार तक प्रभावी रूप से पहुंचाया जाएगा।
बिचौलिया कंपनियों की व्यवस्था समाप्त करने की मांग
विजय शंकर ने यह भी मांग की कि बैंक और बैंक मित्रों के बीच कार्य कर रही बिचौलिया कंपनियों की व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए। इससे बैंक मित्रों को सीधा लाभ मिल सकेगा।
महाअधिवेशन में देशभर से प्रतिनिधियों ने भाग लिया। गुजरात से देवांगन देसाई एवं देवेश भाई, ओडिशा से राकेश जी, उत्तर प्रदेश से गरीश गुप्ता और बिहार से चंदू, मध्य प्रदेश से प्रवीण सोनी, असम से सेपुरल इस्लाम, पश्चिम बंगाल से दुबेन्दु और हरियाणा से दीपक गुप्ता ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई। राजस्थान के लगभग 25 जिलों के बैंक मित्रों ने भी इसमें हिस्सा लिया।
बैंक मित्रों के लिए सुरक्षा की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। उनका सुरक्षा बीमा भी नहीं है। किसी हादसे की स्थिति में उनके परिवार के बेसहारा होने का खतरा बना रहता है।
बैंक की सुविधाएं घर-घर तक पहुंचाने वाले बैंक मित्र वर्तमान में उपेक्षा के शिकार हैं। उन्हें किसी भी प्रकार की कोई सुविधा नहीं मिल रही है। बैंकों की मूलभूत सेवाएं जन-जन तक पहुंचाने में बैंक मित्रों का महत्वपूर्ण योगदान है।
बैंक मित्र विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे नया बचत खाता खोलना, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री युवा रोजगार योजना, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, किसान सम्मान निधि आदि को लोगों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

बैंक मित्र गठन की आवश्यकता भारत के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में आज भी बैंक शाखाओं की पहुंच सीमित है।
बैंक मित्र गठन की आवश्यकता भारत के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में आज भी बैंक शाखाओं की पहुंच सीमित है। लोग छोटे-छोटे लेन-देन के लिए दूर बैंक शाखाओं तक नहीं जा सकते। इसी समस्या के समाधान के रूप में बैंक मित्रों की अवधारणालाई गई। इसके माध्यम से न केवल बैंकिंग सेवाएँ सुलभ हुई बल्कि ग्रामीण युवाओं को रोजगार भी मिला।
बैंक मित्र गठन प्रक्रियाः
बैंक मित्र बनने के लिए किसी व्यक्ति को संबंधित बैंक के माध्यम से चयनित किया जाता है। इसके लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और कंप्यूटर का बुनियादी जान आवश्यक होता है। उन्हें एक विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है और आधारभूत उपकरण जैसे को एटीएम, मोबाइल, लैपटॉप आदि प्रदान किए जाते हैं।अपने खर्च से चलाते हैं । बैंक मित्र जिस बैंक से जुड़ते हैं उनकी महत्वपूर्ण योजनाओं को जन-पहुंचाते हैं। उसके लिए जो सेंटर खोलने हैं उस सेंटर के लिए बैंक द्वारा उनक्षलोगों को कोई सरकारी धन नहीं उपलब्ध कराया जाता है। बैंक मित्र अपने पास से ही पूरी व्यवस्था करते हैं फिर अपने पैसे से ही अपना सेंटर चलाते हैं। बैंक मित्र कभी-कभी धोखाधड़ी के शिकार भी हो जाते हैं जिसको लेकर कोई समुचित उपाय नहीं किया जाता है।
जन-धन खाता खोलने में बैंक मित्रों की थीअहम भूमिका
प्रधानमंत्री को महत्वपूर्ण योजना जन धनखाता खोलने में बैंक मित्रों का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिसके कारण सबसे ज्यादा खाता खोलने का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में बैंक मित्रों ने ही नाम दर्ज है। खुद प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में भी बैंक मित्रों की काफी प्रशंसा की है।
बैंक मित्रों के कारण बैंकों में लगने वाली भीड़ हुई कमः
हर बैंकों के अलग-अलग बैंक मित्र होने के बैंकों में जो भीड़ लगी रहती थी जहां अब हर 5 किलोमीटर पर बैंक मित्र अपनी सेवाएं लगातार दे रहे हैं। जिससे आमजन का समय पर काम एवं सुविधा मौके पर ही मिल रही है।
बैंक या सरकार की तरफ से नहीं मिलता है कोई पारिश्रमिक भत्ता:
बैंकों की महत्वपूर्ण योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने वाले बैंक मित्रों को सरकार या बैंक के तरफ में कोई भी पारिश्रमिक भत्ता नहीं दिया जाता है। इनको कमीशन के आधार पर रखा गया है जिसके कारण आए दिन बैंक मित्रों के सामने आर्थिक संकट भी रहता है।
बैंक मित्र एवं बीसी प्वाइंट के लिए नहीं रहती है कोई सुरक्षा व्यवस्था
जिस बीसों पाइंट को चलाने के बैंक मित्र हमेशा तत्पर सहते हैं। बैंक या बैंक मित्रों से संबंधित कंपनी वाले बैंक मित्रों को लगातार परेशान करते हैं। उस बीसी पोइंट और बैंक मित्रों के लिए कोई भी सुरक्षा व्यवस्था नहीं साती है। साल के बारह महीने बीसी प्वाइंट पर डटे रहते हैं। देहात में लोग इसको छोटा बैंक भी वहते है लेकिन इस छोटे बैंक की सुरक्षा व्यवस्था बैंक मित्र के ही भरोसे रहता है। बैंक मित्र अपनी सुरक्षा की जिम्मेदार खुद रखते है। चाहे घर से सेंटर जाना या सेंटर से बैंक कैश लेने जाना हो अकेले ही आना जाना रहता है। कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं रहती है।
संगठन बनाकर संगठित हो रहे हैं बैंक मित्र
आए दिन वैद्या मित्रों को काफी समस्याएं कीलनी पड़ रही है। इसलिए बैंक मित्रों का अह संगठन बन गया है। संगठन के माध्यम से बैंक मित्र अपनी मागी की सरकार तक पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रहे है। जिसके तहत कई वर्षों से कुछ दिन पहले अपने जनपद में बैंक मित्रों ने अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी दिया था।
क्या हैं बैंक मित्रों की मुख्य मांगें
सामाजिक सुरक्षा को लेकर बैंक मित्रों के कोड न बंद किया जाये । सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना के रीनिवल में भी बैंक मित्रों को कमीशन प्रदान किया जाए। बैंकिंग उत्पादौ बिक्री एवं प्रोसेसिंग की सुविधा बैंक मित्रों के पोर्टल पर दी जाय। आधार लिंक, मोबाइल लिक एवं केवाईसी की सुविधा बैंक मित्रों के पेर्टल पर दी जाय। बैंक मित्रों के पोर्टल पर होने वाले अपडेट की सूचना 36 घंटे पहले बैंक मित्रों को दिया जाय। 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 5000 रुपये प्रति माह दिया जाए। बैंक मित्रों को भी अन्य बैंक कर्मियों की तरह की साप्ताहिक अवकाश की घोषणा किया जाय। बैंक मित्री का मासिक पारिश्रमिक सम्बंधित बैंकों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से दिया जाए। सभी बैंक मित्रों को बिचौलियों से मुक्त किया जाए। महंगाई को देखते हुए बैंक मित्रों के पारिश्रमिक को बढ़ाया जाय। पारिश्रमिक 2014 के आधार पर ही दिया जाए। बैंक मित्री के लिए उचित सुरक्षा दी जाए। कार्य अवधि के दौरान जान माल का नुकसान हो तो उनके आश्रितों को दस लाख का अविलम्ब प्रदान करने का प्राविधान किया जाए और उसके आईवी उनके आभिती को स्थानांतरित की जाए।