वॉशिंगटन डीसी28 मिनट पहले
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शुक्रवार को व्हाइट हाउस में आर्मेनिया और अजरबैजान के नेताओं ने शांति समझौते पर साइन किए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 37 साल पुरानी जंग को खत्म कराने के लिए समझौता करा दिया है।
अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल ने शुक्रवार को ट्रम्प की मौजूदगी में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों में विवादित इलाके के लिए एक ट्रांजिट कॉरिडोर बनाने पर सहमति बनी है।
इस कॉरिडोर को ट्रम्प रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी नाम दिया जाएगा। यह कॉरिडोर अजरबैजान को उसके नखचिवान एंक्लेव इलाके से जोड़ेगा, जो आर्मेनिया से होकर गुजरेगा।
दोनों नेताओं ने ट्रम्प और उनकी टीम को इसका श्रेय दिया और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए।
इस दौरान ट्रम्प ने एक बार भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ बड़े संघर्ष में उलझे हुए थे।
आर्मेनिया और अजरबैजान के अलावा ट्रम्प अब तक दुनियाभर में 6 और जंग खत्म करवाने का दावा कर चुके हैं।

ट्रम्प रूट पर तेल-गैस पाइपलाइन भी बिछेगी
ट्रम्प प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में दोनों देशों के साथ वार्ता शुरू की थी। समझौते के बाद अगले हफ्ते से ट्रम्प रूट पर रेल, तेल-गैस पाइपलाइन और फाइबर ऑप्टिक लाइन विकसित करने पर बातचीत शुरू होगी।
इसके अलावा, अमेरिका के साथ ऊर्जा, तकनीक और अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाने के अलग-अलग समझौते भी हुए हैं। साथ ही आर्मेनिया और अजरबैजान ने एक पत्र पर हस्ताक्षर कर ओएससीई मिन्स्क ग्रुप को भंग करने की मांग की है। यह ग्रुप 1990 के दशक से रूस, फ्रांस और अमेरिका की अगुआई में इस विवाद का मध्यस्थ था।
ट्रम्प ने पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक दिन बताया था
समझौते से पहले शुक्रवार को ट्रम्प ने आर्मेनिया, अजरबैजान, अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। ट्रम्प ने कहा था कि यह शिखर सम्मेलन दक्षिण काकेशस क्षेत्र की संभावनाओं को पूरी तरह खोलने में मदद करेगा।
ट्रम्प ने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा-

आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच 1988 से विवाद
1920 के दशक में, सोवियत संघ ने आर्मेनिया और अजरबैजान पर कब्जा कर लिया था। 1980 के दशक के दौरान सोवियत संघ का शासन कमजोर हुआ।
इसके बाद 1988 में नागोर्नो-काराबाख की संसद ने आर्मेनिया के साथ जाने का फैसला किया। इससे इलाके में रहने वाले अजरबैजानी लोगों का गुस्सा बढ़ गया। दोनों समुदायों के बीच 1991 में हिंसक झड़पें तेज हो गई।
आर्मेनियाई लोग ईसाई हैं, जबकि अजरबैजानी तुर्किश मूल के मुस्लिम हैं। इन धार्मिक और सांस्कृतिक अंतरों ने दोनों समुदायों के बीच अविश्वास और टकराव को बढ़ाया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर सांस्कृतिक विरासत और मस्जिदों-चर्चों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।

ट्रम्प का 6 देशों के बीच जंग रुकवाने का दावा
भारत-पाकिस्तान: 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच 7 मई को संघर्ष शुरू हुआ। यह 4 दिन चला। ट्रम्प ने इसे रुकवाने का दावा किया, हालांकि भारत ने इससे इनकार किया है।
इजराइल-ईरान: यह जंग 13 जून को शुरू हुई, जब इजराइल ने ईरान के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया। ये जंग 12 दिनों तक चली।
थाईलैंड-कंबोडिया: 24 जुलाई को प्रसात ता मुएन थॉम मंदिर के पास सीमा विवाद के कारण सैन्य झड़प शुरू हुई। 5 दिन बाद यह संघर्ष थम गया।
रवांडा- कांगो: 2023 में रवांडा के M23 विद्रोही समूह ने जातीय भेदभाव के कारण कांगो में हमले शुरू किए। जून 2025 में ये हिंसा तेज हुई। इसके बाद ट्रम्प ने जून में दावा किया कि उनके प्रशासन ने रवांडा और कांगो के बीच सीजफायर कराया है।
सर्बिया-कोसावो: 2023 में कोसोवो के बनज्स्का में सर्बियाई हमलावरों और कोसोवो पुलिस के बीच हिंसक झड़प से जंग शुरू हुई थी। ये 2025 में जारी भी जारी रही। ट्रम्प ने जून में दावा किया था कि उन्होंने हस्तक्षेप कर इस जंग को रोका था।
मिस्र-इथियोपिया: 2020 में नील नदी पर ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां डैम (GERD) के पानी के उपयोग को लेकर संघर्ष शुरू हुआ। जुलाई 2024 में मिस्र ने सैन्य तैनाती बढ़ाई, जिससे विवाद बढ़ा। ट्रम्प ने जून 2025 में मिस्र-इथियोपिया विवाद सुलझाने की बात कही।
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