Kurukshetra Dr. Himanshu from tribal area becomes Delhi AMO | Kurukshetra video update | आदिवासी एरिया के डॉ. हिमांशु बने दिल्ली के AMO: पड़ोसी बोलते थे जड़ी-बूटी से कौन करवाएगा इलाज; UPSC में 15वीं रैंक; ओडिशा के रहने वाले – Kurukshetra News

Actionpunjab
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डॉ. हिमांशु बोले- बगैर कोचिंग के UPSC पास किया।

पड़ोसी मेरा मजाक उड़ाते थे। बोलते थे तेरे बस का कुछ नहीं है, क्योंकि नीट के बाद मैंने MBBS के अप्लाई किया, मगर बुरी किस्मत, मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाया। मैं आयुर्वेद में आया तो पड़ोसी फिर मुझे ताने देने लगे कि आयुर्वेद में तो कोई फ्यूचर ही नहीं है। अगर प

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ये बातें ओडिशा के बालेश्वर जिले के गोपीनाथपुर नीलगिरी के रहने वाले डॉ. हिमांशु भूषण प्रधान से दैनिक भास्कर के साथ शेयर की। डॉ. हिमांशु ने बताया कि आस पड़ोस के ताने सुनकर मुझे बुरा तो बहुत लगता था, लेकिन मैं उनको बोलकर जवाब नहीं देना चाहता था। कल मेरा UPSC का रिजल्ट आया तो मैने तो ऑल इंडिया में 15वीं रैंक हासिल की।

आदिवासी एरिया से निकलकर AMO बना

डॉ. हिमांशु ने बताया कि मेरे लिए ये सुकून भरा पल था, क्योंकि मैं अपने गांव का पहला आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर (AMO) बन गया। मेरा म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली में बतौर AMO सिलेक्शन हुआ है। हालांकि अभी उनकी श्री कृष्ण आयुष यूनिवर्सिटी कुरुक्षेत्र से काय चिकित्सा विभाग (मेडिसिन) में पोस्ट ग्रेजुएट (PG) की पढ़ाई चल रही है।

इंटरव्यू में सिलेक्शन के बाद विक्टरी का साइन बनाते डॉ. हिमांशु प्रधान।

इंटरव्यू में सिलेक्शन के बाद विक्टरी का साइन बनाते डॉ. हिमांशु प्रधान।

हरियाणा से अकेले का सिलेक्शन

डॉ. हिमांशु के मुताबिक, पूरे हरियाणा से अकेले उनका सिलेक्शन AMO के लिए हुआ है। AMO के लिए दिल्ली सरकार की ओर से 40 पोस्ट निकाली गई थी। करीब एक हजार कैंडिडेट ने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) का एग्जाम दिया था। इंटरव्यू के लिए 140 लोग लाइन में थे। घरवालों और अपने गुरुजनों के आशीर्वाद से उनका इंटरव्यू भी सफल रहा।

ओडिशा में भी AMO बने

डॉ. हिमांशु ने बताया कि उन्होंने साल 2014 में मेडिकल से 12वीं पास की थी। इसके 2 साल बाद साल 2016 में नीट परीक्षा पास कर राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल (बलांगीर) ओडिशा में BAMS में दाखिला लिया। यहां वे सेकेंड टॉपर रहे। फिर स्नातकोत्तर (PG) के लिए ऑल इंडिया आयुष पीजी प्रवेश परीक्षा में 316वीं रैंक हासिल कर श्री कृष्ण आयुष यूनिवर्सिटी में प्रवेश किया। पिछले साल ओडिशा लोक सेवा आयोग में भी बतौर AMO उनका सिलेक्शन हो गया था।

माता-पिता मेरी बैकबोन

डॉ. हिमांशु ने कहा कि मेरे माता-पिता और बहनें मेरी बैकबोन हैं। उनके पिता योगेश्वर प्रधान और माता लक्ष्मी प्रिया ओडिशा गांव में रहते हैं। पिता योगेश्वर प्रधान ग्रामीण बैंक में प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हैं। बड़ी बहन मधुस्मिता और सुचिस्मता शादीशुदा हैं। डॉ. हिमांशु बताते हैं कि किसी मंजिल को हासिल करने के लिए दृढ़ निश्चय बेहद जरूरी है।

अपने परिवार के साथ डॉ. हिमांशु प्रधान।

अपने परिवार के साथ डॉ. हिमांशु प्रधान।

बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखा

डॉ. हिमांशु का कहना है कि ओडिशा के ज्यादातर एरिया में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। बचपन में अस्पतालों में इलाज के लिए तरसते लोगों की भीड़ देखी तो मन में ठान लिया था कि एक दिन सफेद कोट पहनकर उनकी सेवा करनी है। डॉक्टर बनकर सपना तो पूरा हो गया था। मगर दिल में एक और मंजिल बाकी UPSC एग्जाम पास करना था।

बगैर कोचिंग पास किया एग्जाम

उन्होंने UPSC एग्जाम पास करने के लिए कोई कोचिंग नहीं ली। वे दिन में 8-10 घंटे पढ़ाई करते थे। शुरुआत में उनको काफी परेशानी हुई, क्योंकि आयुर्वेद की पढ़ाई में ज्यादातर संस्कृत भाषा का इस्तेमाल हाेता है। इन शब्दों की जानकारी गूगल से मिलती थी। फिर भी कोई डाउट होता तो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से क्लियर करता था। इसके अलावा वे ऑनलाइन टेस्ट देते रहते थे। इससे उनको काफी कुछ सीखने को मिल गया।

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