वॉशिंगटन डीसी52 मिनट पहले
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ट्रम्प और जेलेंस्की की 7 महीने में यह तीसरी मुलाकात होगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की आज व्हाइट हाउस में मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात का एजेंडा रूस-यूक्रेन जंग रोकना है।
ट्रम्प ने तीन दिन पहले ही यूक्रेन जंग को लेकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी। 3 घंटे मीटिंग के बाद भी यह बातचीत बेनतीजा रही थी।
ट्रम्प पहले ही कह चुके हैं कि जंग रोकने के लिए यूक्रेन को रूस से जमीन की अदला-बदली करनी होगी। ऐसे में आज की मुलाकात में एक बार फिर से इस मुद्दे पर बात हो सकती है।
इस मीटिंग में ट्रम्प और जेलेंस्की के अलावा ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर, जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्त्ज, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी और नाटो महासचिव मार्क रूटे मौजूद रहेंगे।

पुतिन और ट्रम्प ने शुक्रवार देर रात अलास्का में मुलाकात की थी। यहां दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन जंग पर 3 घंटे मीटिंग की थी।
ट्रम्प और जेलेंस्की में तीखी बहस हुई थी
ट्रम्प और जेलेंस्की की 7 महीने में यह तीसरी मुलाकात होगी। पिछली बार जब जेलेंस्की अमेरिका गए थे तो वहां उनकी ट्रम्प से जमकर बहस हुई थी।
ट्रम्प ने जेलेंस्की से कहा था कि वे अमेरिकी मदद को लेकर शुक्रगुजार नहीं हैं। ट्रम्प ने कहा था- जेलेंस्की थर्ड वर्ल्ड वॉर की संभावना के साथ जुआ खेल रहे हैं। या तो डील करो या हम इस समझौते से बाहर हैं।
दोनों नेताओं में तीखी बयानबाजी के बाद यह बातचीत बिना किसी समझौते के खत्म हो गई थी। इसके बाद दोनों 26 अप्रैल को रोम में पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में मिले थे।

बहस के दौरान जेलेंस्की ने कई बार अपनी बात रखने की कोशिश की थी, लेकिन ट्रम्प ने उन्हें चुप करा दिया।

रोम के वेटिकन में पोप के अंतिम संस्कार के समय 26 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने निजी तौर पर मुलाकात की थी।
जेलेंस्की का तीन मुद्दों पर फोकस रहेगा
ट्रम्प के साथ मीटिंग में जेलेंस्की का मुख्य फोकस तीन मुद्दों पर रहेगा। 1- यूक्रेन में आम लोगों की हत्याएं बंद हो, 2- रूस पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाए जाएं, 3- पहले स्थायी सीजफायर हो फिर सुरक्षा गारंटी मिले।
इसके अलावा जेलेंस्की यूक्रेन, अमेरिका और रूस के बीच त्रिपक्षीय बैठक का समर्थन कर चुके हैं। ट्रम्प के साथ इस मुलाकात में जेलेंस्की का जोर इस बात पर भी रहेगा कि किसी भी समझौते में यूक्रेन की सुरक्षा और संप्रभुता को प्राथमिकता दी जाए।
पुतिन का यूक्रेन के 20% हिस्से पर कब्जा छोड़ने से इनकार
रूस ने यूक्रेन के करीब 20% हिस्से, यानी लगभग 1 लाख 14 हजार 500 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर रखा है। इसमें क्रीमिया, डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
रूस इन क्षेत्रों को अपनी सामरिक और ऐतिहासिक धरोहर मानता है और इन्हें छोड़ने को तैयार नहीं है।
पुतिन साफ कह चुके हैं कि यूक्रेन से शांति को लेकर बातचीत तभी हो सकती है जब यूक्रेन, रूस के कब्जाए गए क्षेत्रों से अपना दावा छोड़े और उन इलाकों को रूस के हिस्से के रूप में स्वीकारे।

जेलेंस्की की मांग- बिना शर्त सीजफायर हो
जेलेंस्की यूक्रेन की एक इंच जमीन भी रूस को नहीं देंगे। उनका मानना है कि अगर यूक्रेन अभी पीछे हटता है तो इससे देश की संप्रभुता और सुरक्षा कमजोर हो सकती है। साथ ही रूस को भविष्य में और ज्यादा हमले करने का मौका मिल सकता है।
ट्रम्प ने 13 अगस्त को यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की। इस मीटिंग में ट्रम्प ने जंग खत्म करने के लिए जमीन अदला-बदली की बात कही थी।
इस पर जेलेंस्की ने कहा- यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता पर किसी भी तरह का फैसला हमारे संविधान और जनता की इच्छा को ध्यान में रखे बिना नहीं हो सकता।
हमारे सिद्धांत और हमारी जमीन से जुड़े फैसले नेताओं के स्तर पर ही होंगे, लेकिन इसमें यूक्रेन की भागीदारी जरूरी है। जेलेंस्की ने बिना किसी शर्त के युद्धविराम की मांग की।
रूस चाहता है नाटो में शामिल न हो यूक्रेन
पुतिन की जंग खत्म करने को लेकर एक शर्त ये भी है कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने की अपनी मंशा छोड़ दे। अलास्का में पुतिन ने ट्रम्प को साफ कर दिया है कि संघर्ष खत्म करने के लिए उनकी सबसे अहम शर्त अभी भी कायम है।
पुतिन का कहना है कि नाटो को अब पूर्व की ओर विस्तार नहीं करना चाहिए। यानी, यूक्रेन को नाटो में शामिल होने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
पुतिन ने कहा कि अगर उन्हें इसका भरोसा हो जाए, तो वे बाकी मुद्दों पर समझौता करने को तैयार रहेंगे। रूस, यूक्रेन को अपने पश्चिमी सीमा पर एक बफर जोन के रूप में देखता है।


जमीन की अदला-बदली पर रूस-यूक्रेन में विवाद
पुतिन ने ट्रम्प के सामने डोनेट्स्क के बदले दक्षिणी यूक्रेन के खेरसॉन और जापोरिज्जिया इलाकों में अपने मोर्चे को स्थिर करने का प्रस्ताव रखा है। इसका मतलब यह होगा कि पुतिन की सेना वहां नए हमले करके और जमीन पर कब्जा करने की कोशिश नहीं करेगी।
दरअसल, रूस डोनेट्स्क के लगभग 70% हिस्से पर नियंत्रण रखता है। यूक्रेन के पास अभी भी इस क्षेत्र के पश्चिमी हिस्से के कुछ बड़े शहर हैं, जो उसकी सेना और सुरक्षा रणनीति के लिए अहम माने जाते हैं।
डोनेट्स्क यूक्रेन के पूर्वी हिस्से का एक इलाका है, जिसे डोनबास क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। यह इलाका कोयले की खदानों और हैवी इंडस्ट्री के लिए जाना जाता है और आर्थिक रूप से यूक्रेन का सबसे समृद्ध इलाका है।
यूरोपीय देशों ने सीजफायर से पहले यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी मांगी
यूरोपीय देश, खासकर जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस, यूक्रेन के आत्मसमर्पण के पक्ष में नहीं हैं। वे रूस की शर्तों को मानने से इनकार कर चुके हैं और यूक्रेन की संप्रभुता का समर्थन करते हैं।
यूरोपीय देशों का मानना है कि बिना यूक्रेन को शामिल किए या सुरक्षा गारंटी दिए कोई समझौता करना गलत होगा। इससे शांति वार्ता में सहमति बनाना मुश्किल हो रहा है।
वहीं, पुतिन ने कहा कि यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं को शांति को लेकर हो रही बातचीत में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि यूक्रेन और यूरोपीय देश इसे समझेंगे और कोई बाधा नहीं डालेंगे।”

ट्रम्प-पुतिन की हालिया बैठक में त्रिपक्षीय बैठक का प्रस्ताव
- कोई युद्धविराम समझौता नहीं: ट्रम्प और पुतिन ने लगभग तीन घंटे तक चर्चा की, लेकिन सीजफायर पर कोई ठोस समझौता नहीं हुआ। ट्रम्प ने कहा, ‘कोई समझौता तभी है, जब समझौता हो,’ और कुछ खास बिंदुओं पर सहमति नहीं बन पाई।
- त्रिपक्षीय बैठक का प्रस्ताव: ट्रम्प ने एक त्रिपक्षीय बैठक (ट्रम्प, पुतिन, जेलेंस्की) का प्रस्ताव रखा था। ट्रम्प ने कहा कि वह जेलेंस्की और नाटो नेताओं से बात करेंगे। वहीं, पुतिन ने अगली बैठक के लिए ट्रम्प को रूस में आमंत्रित किया।
- कोई नए प्रतिबंध नहीं: ट्रम्प ने पहले रूस पर और प्रतिबंधों की धमकी दी थी। हालांकि, मीटिंग के बाद ट्रम्प ने रूस और उससे तेल खरीदने वाले देशों पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाने की बात कही।
- कैदियों की रिहाई: ट्रम्प ने मीटिंग के बाद कहा था कैदियों की अदला-बदली से जुड़ा एक समझौता हो सकता है। ट्रम्प ने कहा था, ‘मैं 50/50 कहता हूं, क्योंकि बहुत सी चींजे हो सकती हैं। लेकिन मुझे लगता है कि राष्ट्रपति पुतिन समस्या का समाधान करना चाहते हैं।’
अमेरिका-यूक्रेन के बीच मिनरल डील हुई थी
यूक्रेन और अमेरिका ने 30 अप्रैल को मिनरल डील पर साइन किए। इस डील के तहत अमेरिका को यूक्रेन के नए मिनरल (खनिज) प्रोजेक्ट्स में खास एक्सेस मिला। इसके बदले में अमेरिका यूक्रेन के पुनर्निर्माण में निवेश करेगा।
साथ ही इस डील के तहत यूक्रेन के रि-डेवलपमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के लिए एक जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड बनाया जाएगा।
इसके अलावा ट्रम्प सरकार ने इस डील के बारे में ज्यादा डिटेल्स तुरंत जारी नहीं की हैं, और ये भी साफ नहीं है कि इसका अमेरिका की सैन्य मदद पर क्या असर पड़ेगा।
यूक्रेन की इकोनॉमी मिनिस्ट्री ने कहा है कि अमेरिका इस फंड में सीधे या फिर मिलिट्री मदद के जरिए योगदान देगा, जबकि यूक्रेन इस फंड में अपने नेचुरल रिसोर्सेज के इस्तेमाल से होने वाली कमाई का 50% हिस्सा डालेगा।
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