Bhadrapada Dwadashi vrat, bachhbaras vrat on 20th August, govats dwadashi vrat significance, | बछबारस व्रत आज: संतान के सुखद भविष्य और अच्छी सेहत की कामना से किया जाता है भाद्रपद द्वादशी व्रत, जानिए इस व्रत से जुड़ी परंपराएं

Actionpunjab
3 Min Read


कुछ ही क्षण पहले

  • कॉपी लिंक
AI जनरेटेड इमेज. - Dainik Bhaskar

AI जनरेटेड इमेज.

आज (20 अगस्त) बछबारस या गोवत्स द्वादशी (भाद्रपद कृष्ण द्वादशी) व्रत है। ये व्रत जन्माष्टमी के चार दिनों बाद संतान के सौभाग्य और अच्छी सेहत की कामना से किया जाता है। इस दिन गाय और बछड़े की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। शास्त्रों की मान्यता है कि गाय में सभी देवी-देवता वास करते हैं, गाय को कामधेनु कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण को गायों से विशेष स्नेह है। इसीलिए गौ माता की पूजा करने से भगवान की भी कृपा मिलती है।

ऐसे कर सकते हैं गाय और बछड़े की पूजा

इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं गौ माता और उसके बछड़े को थोड़ा-थोड़ा जल-दूध चढ़ाकर वस्त्र और फूलमाला अर्पित करते हैं। हल्दी‑चंदन से तिलक लगाया जाता है। चावल, इत्र, जल और पुष्प मिलाकर गाय-बछड़े के पैरों पर चढ़ाते हैं। भक्त गायों के पैरों से स्पर्श हुई मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाते हैं। पूजा करते समय गाय-बछड़े से थोड़ी दूरी भी बनाकर रखें, सावधानी रखनी चाहिए।

अगर पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो गाय-बछड़े को हरा चारा और रोटी सहित अन्य चीजें खिलाकर तृप्त किया जा सकता है। कई जगहों पर गाय और बछड़े को सजाया जाता है।

बछबारस व्रत में ध्यान रखें ये बातें

इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं भोजन में गेहूं, चावल, गेहूं से बने पदार्थ और गाय का दूध या दही–मक्खन का सेवन नहीं करती हैं। इनके स्थान पर बाजरा, मक्का, ज्वार की रोटियां, अंकुरित अनाज जैसे चना, मोठ, बेसन से बना भोजन कर सकती हैं। इसके अलावा इस दिन चाकू से कटी किसी भी चीज का सेवन करने से बचना चाहिए।

अगर गाय-बछड़े न मिले तो क्या करें

अगर घर के आसपास गाय-बछड़े दिखाई नहीं दे रहे हैं तो घर पर ही मिट्टी से बनी गाय-बछड़े की प्रतिमा या पीतल-चांदी से बनी गाय-बछड़े की प्रतिमा की पूजा कर सकते हैं।

गाय के शरीर में वास करते हैं सभी देवी-देवता

भविष्य पुराण और पद्म पुराण के मुताबिक, गाय के पृष्ठ में ब्रह्मा, गले में विष्णु, मुख में रुद्र, मध्य में समस्त देवता, रोम‑कूपों में ऋषि‑गण, खुरों में पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, नेत्रों में सूर्य‑चंद्र वास करते हैं। गौ पूजा से तीर्थों में तर्पण करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। गौ पूजा से घर की सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं, ऐसी मान्यता है।

बालगोपाल की भी करें पूजा

गाय-बछड़े की पूजा करने के साथ ही घर के मंदिर में विराजित बालगोपाल का भी विशेष अभिषेक करना चाहिए। बालगोपाल को माखन-मिश्री का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। श्रीमद् भगवद् गीता का पाठ करें और इस ग्रंथ की सीख को जीवन में उतारने का संकल्प लें।

खबरें और भी हैं…
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *