प्रदेश सरकार ने आरएनटी मेडिकल कॉलेज काे उदयपुर जिले के दूरदराज के ग्रामीणों की कैंसर स्क्रीनिंग और उपचार के लिए 1 करोड़ की हाइटेक वैन दे रखी है। अत्याधुनिक जांच-उपचार के उपकरणों और चिकित्सकों सहित 10 मेडिकल स्टाप की टीम से लैस यह वैन जांच-उपचार में सि
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यानी प्रत्येक फेरे में तैनात रहने वाला 10 का स्टाफ केवल 6 लाेगाें की ही स्क्रीनिंग करने की खानापूर्ति करता है, जबकि सरकार ने एक फेरे पर कम से कम 50 लाेगाें की स्क्रीनिंग का लक्ष्य तय कर रखा है। रोज 50 लाेगाें की स्क्रीनिंग के हिसाब से 547 दिनाें में 27 हजार 350 लाेगाें की करनी ही थी, लेकिन ये गाड़ी लक्ष्य से भी 24250 पीछे रह गइर्।
जिन गांवों में वैन पहुंच रही है, वहां उन्हें तय लक्ष्य के अनुरूप कम संख्या में लोग मिल रहे हैं। ऐसे में सरकार का पैसा तो पानी की तरह बह रहा है, लेकिन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा। इस नाकामी पर आरएनटी मेडिकल कॉलेज सीएमएचओ कार्यालय पर ठीकरा फोड़ रहा है, आरएनटी ने गत दिनों स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव को भी इसकी जानकारी दी थी।
स्क्रीनिंग के पूरे संभाग में जाती फेरा
कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर और एनसीडी प्रोग्राम की प्रभारी डॉ. रूपा शर्मा का कहना है कि ये वेन पूरे संभाग में गांवों तक पहुंचती है। मुख्य काम स्क्रीनिंग कर लोगों को घर बैठे उपचार उपलब्ध कराना है। यदि कोई गंभीर मरीज सामने आता है तो उसे उदयपुर बुलाया जाता है। जब भी वेन कहीं जाती है तो करीब एक सप्ताह या पांच दिन पहले एनसीडी कॉर्डिनेटर को जानकारी दी जाती है। ताकि वे सीएचसी तक इसकी सूचना पहुंचा दें और संबंधित सीएचसी पर उस दिन क्षेत्र के सभी कैंसर रोगियों को बुलाकर स्क्रीनिंग करवाई जाए।
मरीज नहीं मिल पाते, लक्ष्य पूरा नहीं होता “10 सदस्यों की टीम ऑन्को वेन लेकर गांव-गांव जा रही है, लेकिन वहां पर हमें पूर्व सूचना देने के बाद भी मरीज नहीं मिल पाते। ऐसे में हमारा लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता। इससे मरीजों को भी इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।” -डॉ. विपिन माथुर, प्राचार्य आरएनटी
काम को बेहतर करने का पूरा प्रयास करेंगे “स्क्रीनिंग के लिए टेस्ट का टाइम ज्यादा लगता है। इस वजह से लोग आकर चले जाते हैं। प्रयास करेंगे कि ये काम और बेहतर हो। पहले वेन गांवों में सीधे ही पहुंच जाती थी, लेकिन अब इसे सीएचसी के जरिये भेजा जा रहा है।” -डॉ. अशोक आदित्य, सीएमएचओ