Gogoi said-PM should apologize for the delay in Manipur visit | गोगोई बोले-मणिपुर दौरे में देरी के लिए पीएम माफी मांगे: न्याय में देरी होना, न्याय न मिलने के बराबर है; राज्य में अभी भी कई चुनौतियां

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इम्फाल24 मिनट पहले

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गौरव गोगोई के साथ I.N.D.I अलायंस के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी.सुंदर्शन रेड्डी और अन्य लोग। - Dainik Bhaskar

गौरव गोगोई के साथ I.N.D.I अलायंस के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी.सुंदर्शन रेड्डी और अन्य लोग।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, ‘पीएम मोदी की मणिपुर की संभावित यात्रा को किसी लक्ष्य का अंत नहीं मानना चाहिए, बल्कि राज्य में शांति, न्याय, सुलह और लोकतंत्र को वापस लाने की लंबी यात्रा की सिर्फ शुरुआत है।’

उन्होंने कहा- पीएम की संभावित यात्रा दो साल पहले होनी चाहिए थी। जैसा कि कहा जाता है कि न्याय में देरी होना, न्याय न मिलने के बराबर है, उसी तरह मणिपुर के लोगों को पीएम की यात्रा से बहुत लंबे समय तक वंचित रखा गया है।

गोगई ने कहा- जब पीएम आएंगे, तो उन्हें सबसे पहले उन्हें पिछले 2 सालों में न आने के लिए मणिपुर के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। राज्य में अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं।

दरअसल, शुक्रवार को गौरव गुवाहाटी पहुंचे थे। यहां I.N.D.I अलायंस के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी.सुंदर्शन रेड्डी के मीडिया इंट्रैक्शन में शामिल हुए थे।

कार्यक्रम में इन मुद्दों पर भी बोले गोगई

  • असम CM हिमंत बिस्वा सरमा के SIT के 10 सितंबर को पाकिस्तानी नागरिक अली तौकीर शेख और भारतीय साथियों के बीच कथित संबंधों सामने आए हैं। इसकी जांच रिपोर्ट सौंपी जानी है। असम कांग्रेस भाजपा सरकार के घोटाले उजागर करती रहेगी।
  • नई इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स (एक्जेम्प्शन) ऑर्डर, 2025 जैस इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर पहले संसद में चर्चा होनी चाहिए थी। गृह मंत्रालय का यह आदेश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों, जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई शामिल हैं, उनको धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए 31 दिसंबर 2024 तक भारत में प्रवेश करने की अनुमति देता है।

PM मोदी 13 सितंबर को मणिपुर जा सकते हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को मणिपुर जा सकते हैं। हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है। पीएम मिजोरम में रेलवे प्रोजेक्ट का उद्घाटन करेंगे। मणिपुर हिंसा के बाद मोदी का यह पहला मणिपुर दौरा है।

मई 2023 में मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी। इस हिंसा में अब तक 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

दौरे की तैयारियों के बीच जिला मजिस्ट्रेट धरुण कुमार ने चुराचांदपुर जिले में गुरुवार को नो-ड्रोन जोन घोषित कर दिया है। आदेश के मुताबिक, अब जिले की सीमा में बिना सरकारी अनुमति के कोई भी ड्रोन, यूएवी, गुब्बारे या अन्य उड़ने वाले यंत्र उड़ाना प्रतिबंधित होगा। चुराचांदपुर कुकी बहुल है और मिजोरम से सटा हुआ है।

मणिपुर को नगालैंड–पूर्वोत्तर से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे खुलेगा मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच गुरुवार को कुकी-जो ( Kuki-Zo) काउंसिल राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2) को पूरी तरह खोलने को तैयार हो गई। अब इस मार्ग से लोगों और जरूरी सामान की आवाजाही बिना रुकावट हो सकेगी।

गृह मंत्रालय (MHA) के मुताबिक, कुकी-जो काउंसिल सुरक्षा बलों के साथ NH-2 पर शांति बनाए रखने में सहयोग करेगी। यह हाईवे मणिपुर को नगालैंड और पूर्वोत्तर से जोड़ने वाली जीवन रेखा है, जो मई 2023 में भड़की मैतेई और कुकी समुदायों की हिंसा के बाद से बंद था।

हालांकि कुकी जो काउंसिल (KZC) ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि नेशनल हाईवे-2 (इम्फाल-दीमापुर) को फिर से खोलने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि सड़क को कभी बंद ही नहीं किया गया था।

दिल्ली में गुरुवार को केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी संगठनों (कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन-KNO और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट-UPF) के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई। बैठक के अंत में नया सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) करार साइन किया गया। यह समझौता एक साल के लिए प्रभावी रहेगा और इसमें नई शर्तें जोड़ी गई हैं।

क्यों महत्वपूर्ण है NH-2 हाईवे NH-2 हाईवे मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर के लिए बेहद जरूरी है। यह राजमार्ग नगालैंड के दीमापुर को मणिपुर की राजधानी इंफाल से जोड़ता है। हाईवे मणिपुर-नगालैंड-मिजोरम का शेष भारत से संपर्क बनाए रखता है। मणिपुर में जरूरतों, जैसे – खाने-पीने का सामान, दवा, ईंधन और व्यापार के सामान, इसी हाईवे से आते-जाते हैं।

यह सेना और सुरक्षा बलों की आवाजाही के लिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच व्यापार, पर्यटन और आपसी जुड़ाव बनाए रखने के लिए NH-2 जीवनरेखा की तरह काम करता है।

4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

  1. कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
  2. मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
  3. नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
  4. सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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मणिपुर में सरकार और कुकी संगठनों के बीच हुए समझौते के मायने मैतेई लीडर दो लाइन में समझा देते हैं। नाम ना जाहिर करने की शर्त पर वे कहते हैं कि शांति चाहिए तो सबको साथ लेकर चलना था। वहीं, कुकी कम्युनिटी का कहना है ‘हम केंद्र सरकार से जो उम्मीद कर रहे थे, ये समझौता उससे काफी कम है।’ पूरी खबर पढ़ें…

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