Ashwatthama was cursed for his incomplete knowledge; mahabharata story, unknown facts about mahabharata in hindi, shrikrishna and ashwatthama story | महाभारत की सीख: अधूरे ज्ञान की वजह से अश्वत्थामा को मिला शाप; सफलता चाहते हैं तो पूरी जानकारी हासिल करने के बाद ही आगे बढ़ें

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23 घंटे पहले

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किसी भी कार्य को अधूरे ज्ञान के साथ करना ठीक वैसा ही है जैसे अंधेरे में रास्ता तय करना, जहां हर कदम पर गिरने का खतरा बना रहता है। अधूरा ज्ञान न केवल असफलता की ओर ले जाता है, बल्कि ये अपने साथ ही दूसरों के लिए भी संकट खड़ा कर देता है। ये बात हम महाभारत के एक प्रसंग से समझ सकते हैं…

अधूरे ज्ञान की वजह से अश्वत्थामा को मिला शाप

महाभारत युद्ध के अंत में दुर्योधन ने मृत्यु से पहले अश्वत्थामा को कौरव पक्ष का सेनापति नियुक्त किया था। इसके बाद अश्वत्थामा ने पांडवों के पांच पुत्रों और कई अन्य योद्धाओं की हत्या कर दी। जब अर्जुन ने उसका पीछा किया, तो दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया। दोनों ही महान योद्धा और द्रोणाचार्य के शिष्य थे।

इस युद्ध में अश्वत्थामा ने अर्जुन को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का संधान कर लिया। जवाब में अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र का संधान किया। अगर ये दोनों ब्रह्मास्त्र आपस में टकरा जाते तो पूरी सृष्टि का विनाश हो सकता था। इसलिए वेदव्यास ने दोनों योद्धाओं को अपने-अपने ब्रह्मास्त्र वापस लेने का आदेश दिया।

अर्जुन ने तो तुरंत ब्रह्मास्त्र को वापस ले लिया, लेकिन अश्वत्थामा नहीं कर पाया, क्योंकि उसे ब्रह्मास्त्र को वापस लेने की विद्या का ज्ञान ही नहीं था। ये सुनकर वेदव्यास क्रोधित हो गए और कहा कि जिस विद्या का संपूर्ण ज्ञान तुम्हें नहीं है, उसका प्रयोग करना मूर्खता है। ये पूरे जगत के लिए विनाशकारी हो सकता है।

अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का संधान कर लिया था और वह इसे वापस भी नहीं ले सकता था, तो उसने ब्रह्मास्त्र को उत्तरा के गर्भ पर छोड़ दिया था। अश्वत्थामा चाहता था कि उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु के अंत के साथ पांडवों का वंश ही खत्म हो जाए। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी माया से ब्रह्मास्त्र से उत्तरा और उसके गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा की।

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को दंड देने के लिए उसके माथे पर लगी मणि निकाल ली और उसे कलियुग के अंत तक भटकते रहने का शाप दे दिया।

प्रसंग की सीख

  • अधूरे ज्ञान घातक होता है

अधूरा ज्ञान व्यक्ति को अहंकार देता है और अहंकार विनाश की ओर ले जाता है। अश्वत्थामा का प्रसंग यही बताता है कि किसी विषय की आधी-अधूरी जानकारी होना घातक होता है।

  • काम शुरू करने से पहले तैयारी आवश्यक है

किसी भी काम में उतरने से पहले उसके हर पहलू को समझना जरूरी होता है। बिना तैयारी और गहराई से समझे बिना किया गया काम विफलता ही लाता है। काम शुरू करने से पहले पूरी तैयारी करनी चाहिए।

  • ज्ञान के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी है

ब्रह्मास्त्र चलाना एक शक्ति है, लेकिन उसे नियंत्रित करना एक जिम्मेदारी। ज्ञान का उपयोग कब, कैसे और कितनी समझदारी से करना है, ये जानना भी जरूरी है। ज्ञान हासिल करने के साथ ही अपनी जिम्मेदारी को भी समझना चाहिए। कोई भी प्रोजेक्ट, नौकरी, या निर्णय लेने से पहले उसकी पूरी जानकारी हासिल करें। रिसर्च करें, अनुभवी लोगों से बात करें और फिर कार्य शुरू करें, तभी सफलता मिल सकती है।

  • सही मार्गदर्शक की तलाश करें

अर्जुन को वेदव्यास और श्रीकृष्ण जैसे मार्गदर्शक मिले, वैसे ही हमें भी जीवन में ऐसे लोगों की जरूरत होती है जो सही समय पर हमें दिशा दिखा सकें। सही मार्गदर्शन मिलेगा और उसे हम अपनाएंगे तो सफलता जरूर मिलेगी।

  • जो काम नहीं आता है, उसे सीखें, टालें नहीं

अगर किसी काम का कोई पक्ष समझ में नहीं आ रहा है, तो उसे नजरअंदाज न करें। सीखने की कोशिश करें। अधूरे ज्ञान के साथ आगे बढ़ना ठीक नहीं है।

अधूरा ज्ञान जितना आकर्षक दिखता है, उतना ही खतरनाक भी होता है। इसलिए जो भी काम करें, उसके हर पहलू को समझें, सीखें और फिर आगे बढ़ें। तभी आप जीवन में सफल बन पाएंगे।

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