Government doctor’s private clinic in Siddharthnagar | सिद्धार्थनगर में सरकारी डॉक्टर का प्राइवेट क्लिनिक: मेडिकल कॉलेज के मेडिसन HOD प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए कैमरे पर कैद, दो पर्चों ने खोली पोल – Siddharthnagar News

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रोहित सिंह | सिद्धार्थनगर3 मिनट पहले

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सिद्धार्थनगर में सरकारी अस्पतालों की लापरवाही के बीच, दैनिक भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम ने चौंकाने वाला खुलासा किया। माधव प्रसाद मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष (HOD) डॉ. गौरव दुबे को राम मेडिकल स्टोर, साड़ी तिराहा के अंदर निजी मरीज देखते हुए कैमरे में पकड़ा गया।

भास्कर की टीम ने डमी मरीज भेजा। स्टोर के काउंटर पर मरीज से कहा गया, “फीस जमा कीजिए, 200 रुपए लगेंगे।”फीस जमा होने के बाद मरीज को केबिन में भेजा गया, जहाँ डॉ. गौरव दुबे बैठे थे। उन्होंने मरीज से कहा, “सीटी स्कैन करवाना पड़ेगा।”जब रिपोर्टर ने कहा कि सरकारी में करवा दीजिए, डॉक्टर ने जवाब दिया कि सरकारी पर्चा बन जाएगा, वहाँ हम लिख देंगे।

फिर उन्होंने मरीज को 5 दिन की दवा लिखी और पर्चा थमाया, साथ ही निर्देश दिया कि दवा वही स्टोर से लें। यानी डॉ. की प्राइवेट प्रैक्टिस और मेडिकल स्टोर की बिक्री दोनों चल रही थी।

दो तस्वीरें देखिए…

डॉक्टर ने मरीज को 5 दिन की दवा लिखी और पर्चा थमाया।

डॉक्टर ने मरीज को 5 दिन की दवा लिखी और पर्चा थमाया।

सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई

डॉ. गौरव दुबे माधव प्रसाद मेडिकल कॉलेज में HOD हैं।सरकारी नियमों के अनुसार कोई भी सरकारी डॉक्टर, खासकर कॉलेज का स्थायी चिकित्सक, किसी रूप में निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकता।लेकिन कैमरे पर डॉ. का प्राइवेट क्लिनिक चलना दर्शाता है कि नियम केवल कागज पर हैं।

कॉलेज के कर्मचारी भी शामिल

स्टिंग में डॉक्टर के साथ मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी अनिल तिवारी भी नजर आए।वे मरीजों की एंट्री करवा रहे थे और डॉक्टर से बातचीत कर रहे थे।इससे साफ हुआ कि सरकारी संसाधनों और कर्मचारियों का इस्तेमाल निजी कमाई के लिए हो रहा है।

भास्कर टीम ने दो पर्चे जुटाए। राम मेडिकल स्टोर पर मरीज को लिखा गया पर्चा और माधव प्रसाद मेडिकल कॉलेज का सरकारी पर्चा।

भास्कर टीम ने दो पर्चे जुटाए। राम मेडिकल स्टोर पर मरीज को लिखा गया पर्चा और माधव प्रसाद मेडिकल कॉलेज का सरकारी पर्चा।

सरकारी और प्राइवेट पर्चों की तुलना

भास्कर टीम ने दो पर्चे जुटाए:

  • राम मेडिकल स्टोर पर मरीज को लिखा गया पर्चा
  • माधव प्रसाद मेडिकल कॉलेज का सरकारी पर्चा

दोनों की हैंडराइटिंग और लिखने की शैली समान पाई गई।यह ठोस प्रमाण है कि वही डॉक्टर, जो सरकारी ड्यूटी पर मरीज देखते हैं, वही बाहर भी निजी रूप से फीस लेकर इलाज कर रहे हैं।

स्टोर के काउंटर पर मरीज से कहा गया, “फीस जमा कीजिए, 200 रुपए लगेंगे।

स्टोर के काउंटर पर मरीज से कहा गया, “फीस जमा कीजिए, 200 रुपए लगेंगे।

अवैध क्लिनिक, बिना अनुमति

साड़ी तिराहा स्थित स्टोर के अंदर बने केबिन में क्लिनिक चलता है, न कोई अनुमति, न पंजीकरण। ड्रग कंट्रोल एक्ट के अनुसार किसी मेडिकल स्टोर में प्राइवेट प्रैक्टिस या क्लिनिक संचालन सख्त वर्जित है।

कैमरे पर डॉक्टर कहते सुने गए- “आपका सीटी स्कैन मेडिकल कॉलेज में करवा लीजिए, वहां मैं देख लूंगा।” यानि निजी क्लिनिक में देखे गए मरीज को सरकारी अस्पताल में टेस्ट कराने भेजा जा रहा था।

इस मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभागाध्यक्ष (HOD) हैं डॉ. गौरव दुबे।

इस मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभागाध्यक्ष (HOD) हैं डॉ. गौरव दुबे।

मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल बोले- जांच के बाद कार्रवाई होगी

प्रिंसिपल डॉ. राजेश मोहन:“यदि कोई सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते पाया जाता है, तो नियमों का उल्लंघन है। जांच के बाद कार्रवाई होगी।” मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रजत चौरसिया- “जिले में शासन के आदेश पर समिति गठित है। दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

सरकारी डॉक्टर राम मेडिकल स्टोर में डॉक्टर मरीज देख रहे थे।

सरकारी डॉक्टर राम मेडिकल स्टोर में डॉक्टर मरीज देख रहे थे।

भास्कर स्टिंग ने सिस्टम के भीतर सिस्टम दिखाया

  • राम मेडिकल स्टोर में डॉक्टर मरीज देख रहे थे
  • कॉलेज का कर्मचारी मौजूद था
  • फीस ली गई, पर्चा लिखा, दवा स्टोर से दी गई
  • सरकारी और निजी पर्चों की हैंडराइटिंग एक जैसी
  • मरीज को सरकारी जांच की सलाह दी गई

कानून क्या कहता है

  • सरकारी सेवा आचार संहिता धारा 13(1): कोई भी सरकारी चिकित्सक सरकारी समय या बाहर निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकता।
  • मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रोफेशनल कंडक्ट रेगुलेशन: सरकारी चिकित्सक का निजी क्लिनिक चलाना गंभीर पेशेवर अपराध है।

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