CDS Genral Anil Chouhan indo-china war 1962 indian airforce operation sindoor | 1962 में एयरफोर्स के इस्तेमाल से तनाव बढ़ता था: CDS चौहान बोले- भारत-चीन युद्ध में वायुेना का उपयोग चीन की बढ़त को रोक सकता था

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पुणे35 मिनट पहले

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CDS जनरल अनिल चौहान पुणे में एक कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल हुए थे। फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

CDS जनरल अनिल चौहान पुणे में एक कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल हुए थे। फाइल फोटो

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा, ‘1962 के भारत-चीन युद्ध में अगर भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल किया जाता तो चीन की सेना की बढ़त को काफी हद तक धीमा किया जा सकता था।’

उन्होंने कहा- उस समय वायुसेना का इस्तेमाल ‘तनाव बढ़ाने वाला कदम’ माना जाता था, इसलिए इसकी परमिशन नहीं दी गई। वायुसेना के इस्तेमाल से सेना को जल्दी हमला करने, अनुकूल स्थिति का फायदा लेने और दुश्मन पर दबाव डालने का अवसर मिलता है।

CDS चौहान ने कहा…

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1962 की फॉरवर्ड पॉलिसी लद्दाख और पूर्वोत्तर सीमांत क्षेत्र (अब अरुणाचल प्रदेश) में एक जैसी नहीं हो सकती थी, क्योंकि दोनों क्षेत्रों की भौगोलिक और राजनीतिक स्थिति अलग थी। लद्दाख में चीन पहले ही कब्जा कर चुका था, जबकि पूर्वोत्तर में भारत का दावा मजबूत था।

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दरअसल, CDS बुधवार को पुणे में लेफ्टिनेंट जनरल एस. पी. पी. थोराट की आत्मकथा ‘रिवेली टू रिट्रीट’ के रिवाइज्ड सेरेमनी लॉन्च वर्जन कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे। जहां उन्होंने ये बात कही।

सरकार ने CDS जनरल अनिल चौहान का कार्यकाल बढ़ाया

केंद्र सरकार ने बुधवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान (64) का कार्यकाल 8 महीने बढ़ाकर 30 मई 2026 तक कर दिया। जनरल चौहान का कार्यकाल पहले 30 सितंबर 2025 को समाप्त होने वाला था। CDS के लिए आयु सीमा 65 साल है और सरकार इस अवधि को बढ़ा भी सकती है।

जनरल चौहान सितंबर 2022 से CDS और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिटरी अफेयर्स के सचिव के रूप में सेवा दे रहे हैं। CDS ने ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना, वायु सेना) के समन्वय को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।

उन्होंने सेना में संयुक्त कार्य और रणनीतिक योजना पर भी ध्यान केंद्रित किया है। जनरल चौहान ने मई 2021 में सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद CDS का पद संभाला था। वे जनरल बिपिन रावत के निधन के 9 महीनों बाद इस पद पर आए थे।

उनका सैन्य करियर बेहद प्रतिष्ठित रहा है। वे 1981 में 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्राप्त कर चुके हैं और जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में आंतरिक सुरक्षा अभियानों का अनुभव रखते हैं।

CDS चौहान को पैराम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल समेत कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है।

क्या होती है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की भूमिका?

  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में काम करता है। CDS भले ही तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में रक्षा मंत्रालय को सलाह देता है, लेकिन अब भी तीनों सेनाओं-आर्मी, नेवी और एयरफोर्स-के प्रमुख ही उनकी संबंधित सेवाओं से जुड़े मामलों में सलाह देते हैं।
  • मतलब, CDS, तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में रक्षा मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर काम करता है, लेकिन वह तीनों में से किसी सेना का प्रमुख नहीं होता है, बल्कि इसके लिए इन तीनों सेनाओं के प्रमुख ही अपनी-अपनी सेना की कमान संभालते हैं।
  • भारत एक न्यूक्लियर वेपन से संपन्न देश है, ऐसे में CDS न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के लिए सैन्य सलाहकार के तौर पर भी काम करता है, इस कमांड का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।
  • भारत ने 2008 में सेना, अंतरिक्ष विभाग और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बीच बेहतर तालमेल के लिए अपने एयरोस्पेस कमांड (द इंटीग्रेटेड स्पेस सेल) का गठन किया था। CDS के पास इस साइबर वारफेयर डिविजन का भी चार्ज है।
  • CDS का काम अनुमानित बजट के आधार पर तीनों सेवाओं की लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ कैपिटल एक्विजिशन की जरूरतों को सुव्यवस्थित करने में मदद करना है।
  • पहले के चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC), (जोकि तीनों सेना प्रमुखों में से सबसे सीनियर बनता था) के उलट CDS के पास शासनात्मक शक्तियां हैं।

कैसे हुआ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का गठन?

  • 1999 में कारगिल युद्ध के तुरंत बाद इस बात की समीक्षा के लिए कृष्णास्वामी सुब्रह्मण्यम के नेतृत्व में कारगिल रिव्यू कमेटी (KRC) का गठन किया गया था कि वे कौन सी कमियां थी जिनकी वजह से पाकिस्तानी सेना को रणनीतिक महत्व वाली जगहों पर कब्जा करने का मौका मिला।
  • कारगिल रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट फरवरी 2020 में संसद में पेश की गई थी। इसमें कारगिल युद्ध के दौरान शुरुआत में सुस्त भारतीय प्रतिक्रिया, और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों का सुझाव दिया था।
  • इस कमेटी की सिफारिशों के बाद 2001 में गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह (GoM) ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CSS) की नियुक्ति की सिफारिश की थी।
  • लेकिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति अगले दो दशक तक अलग-अलग वजहों से नहीं हो सकी। आखिरकार 15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाए जाने की घोषणा की।

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‘कल के हथियारों से आज की जंग नहीं जीत सकते’: CDS बोले- विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता हमें कमजोर बना रही, स्वदेशी एडवांस टेक्नोलॉजी जरूरी

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने जुलाई में कहा था कि हम कल के हथियारों से आज की लड़ाई नहीं जीत सकते। उन्होंने कहा था कि विदेश से इम्पोर्ट की गई टेक्नोलॉजी पर निर्भरता हमारी युद्ध तैयारियां कमजोर करती है। यह हमें कमजोर बना रही है। ऑपरेशन सिंदूर ने हमें दिखाया कि हमारे लिए स्वदेशी C-UAS (काउंटर-अनमैंड एरियल सिस्टम) यानी एंटी ड्रोन सिस्टम क्यों जरूरी है। हमें अपनी सुरक्षा के लिए इन्वेस्टमेंट करना होगा। पूरी खबर पढ़ें…

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