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नई दिल्ली58 मिनट पहले
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सोनम वांगचुक को लेह से गिरफ्तार कर पहले दिल्ली ले जाया गया। वहां से विशेष व्यवस्था के तहत जोधपुर लाया गया।
लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को शुक्रवार दोपहर पुलिस ने उनके गांव उल्याकटोपो से गिरफ्तार कर लिया। उन्हें एयरलिफ्ट कर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया है, जिसके तहत लंबे समय तक बिना जमानत हिरासत में रखा जा सकता है।
सरकार ने वांगचुक को लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा का जिम्मेदार बताया था। इस हिंसा में 4 युवकों की मौत हुई थी और 80 लोग घायल हुए थे, जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। अब तक 60 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
लेह में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं। लगातार चौथे दिन कर्फ्यू लगा है और स्कूल-कॉलेज बंद हैं। एहतियातन प्रशासन ने मोबाइल इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।

लेह हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी ऑफिस फूंक दिया था। CRPF की गाड़ी में आग लगा दी थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार किया
शुक्रवार को अचानक घटनाक्रम बदल गया और सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को दोपहर 2:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जब वे लेह नहीं पहुंचे तो आयोजकों को शक हुआ। बाद में गिरफ्तारी की खबर मिली। इसके बावजूद प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। आयोजकों ने माना,

हिंसा उन युवाओं से हुई जो ‘काबू से बाहर’ हो गए थे, लेकिन इसमें किसी विदेशी ताकत का हाथ नहीं है।
लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस और सीआरपीएफ ने न तो पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया और न ही चेतावनी के लिए गोलियां चलाईं, बल्कि सीधे अंधाधुंध फायरिंग की।

वांगचुक को पहले से गिरफ्तारी का अंदेशा था
सोनम वांगचुक को पहले से अंदेशा था कि सरकार उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। एक दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि “इस मुद्दे पर कभी भी गिरफ्तार होना पड़े तो मुझे खुशी होगी।” लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी से माहौल शांत होने के बजाय और बिगड़ सकता है।
माना जा रहा है कि इससे लद्दाख के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच चल रही बातचीत पर भी असर पड़ सकता है। वांगचुक पिछले पांच साल से लद्दाख के अधिकारों की लड़ाई का बड़ा चेहरा रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि वांगचुक हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।

लेह हिंसा के बाद अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई…
- गृह मंत्रालय ने वांगचुक की एक संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। विदेशी अनुदान या दान के लिए एनजीओ को विदेशी अशंदान (विनियमन) एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। जिसमें पाया गया कि संस्था ने फंडिंग का गलत इस्तेमाल किया।
- CBI ने वांगचुक की एक और NGO हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) के खिलाफ भी विदेशी फंडिंग (FCRA) मामले में भी जांच शुरू कर दी है। HIAL पर भी विदेशी चंदा कानून (FCRA) के उल्लंघन का आरोप है। सीबीआई टीम एनजीओ के अकाउंट्स और रिकॉर्ड की जांच कर रही है।
CBI जांच पर वांगचुक ने कहा…

- CBI को केवल 2022 से 2024 तक के खातों की जांच करनी थी, लेकिन अब वे 2020 और 2021 के रिकॉर्ड भी देखने लगे हैं। यहां तक कि शिकायत से बाहर के स्कूलों से भी दस्तावेज मांगे जा रहे हैं।
- पहले स्थानीय पुलिस ने उन पर राजद्रोह का केस लगाया। एक पुरानी चार साल पहले की शिकायत भी दोबारा खोली गई है, जिसमें मजदूरों को वेतन न देने का आरोप था।
- सरकार ने HIAL को दी गई जमीन का पट्टा यह कहकर रद्द कर दिया कि लीज की रकम जमा नहीं की गई, जबकि उनके पास दस्तावेज हैं कि सरकार ने ही फीस न लेने की बात कही थी।
- आयकर विभाग से भी नोटिस आया और अब सीबीआई जांच चल रही है। लद्दाख में तो टैक्स ही नहीं है, फिर भी मैं स्वेच्छा से टैक्स देता हूं। इसके बावजूद नोटिस भेजे जा रहे हैं।
सोनम वांगचुक GenZ Revolution शब्द के इस्तेमाल से पीछे हटे
दरअसल, लेह में हुई हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने ट्विटर पर शब्द GenZ Revolution वर्ड यूज किया था। भास्कर रिपोर्टर वैभव पलनीटकर ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में सोनम से ये सवाल किया तो वो मुकर गए और मुझ पर ही फेक न्यूज फैलाने का आरोप लगाने लगे। वैभव ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही उनको वीडियो का वो अंश सुना दिया है, उसके बाद उनकी आवाज लड़खड़ाने लगी।
अब जानिए 24 सितंबर को हिंसा कैसे भड़की, 2 पॉइंट में…
- सोशल मीडिया से भीड़ जुटाई: आंदोलनकारियों ने 23 सितंबर की रात 24 सितंबर को लद्दाख बंद बुलाने का आह्वान किया था। भीड़ जुटाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया। लोगों से लेह हिल काउंसिल पहुंचने की अपील की। इसका असर दिखा और बड़ी तादाद में लोग पहुंचे।
- पुलिस-प्रदर्शनकारियों की झड़प: लेह हिल काउंसिल के सामने आंदोलनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा रखे थे। जब आंदोलन कारी आगे बढ़े तो पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी, लेकिन भीड़ ने पुलिस की गाड़ी जलाई और तोड़फोड़ की।

6 अक्टूबर को सरकार के साथ बैठक
इन मांगों को लेकर सरकार के साथ बैठक दिल्ली में 6 अक्टूबर को होगी। साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटाते समय जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे। सरकार ने उस समय ही राज्य के हालात सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा दिया था।


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केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में 24 सितंबर को हिंसक प्रदर्शन हुआ। छात्रों की पुलिस और सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोग घायल हैं। पूरी खबर पढ़ें…