वॉशिंगटन डीसी4 घंटे पहले
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नेतन्याहू ने शुक्रवार को जैसे ही UN में भाषण शुरू किया, कई देशों के डिप्लोमैट्स हॉल से बाहर चले गए।
इजराइली पीएम नेतन्याहू के भाषण का संयुक्त राष्ट्र (UN) में बॉयकॉट किया गया। नेतन्याहू ने शुक्रवार को जैसे ही UN महासभा में स्पीच देना शुरू किया, कई देशों के डिप्लोमैट्स हॉल से बाहर चले गए। हालांकि, नेतन्याहू ने भाषण जारी रखा।
नेतन्याहू ने कहा कि पिछले एक साल में हालात बदल गए हैं। इजराइल ने अपने सभी दुश्मनों को खत्म कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि इजराइल ने यमन में हूती, गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह, सीरिया में असद और सबसे अहम ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को तबाह कर दिया।
नेतन्याहू के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का वारंट जारी है, ऐसे में वे आज UN में बैठक में शामिल होने के लिए रास्ता बदलकर न्यूयॉर्क पहुंचे। नेतन्याहू 5 यूरोपीय देशों के एयरस्पेस से बचते हुए 600 किमी एक्स्ट्रा ट्रैवल करके अमेरिका पहुंचे।
नेतन्याहू बोले- ईरानी न्यूक्लियर प्रोग्राम का मकसद अमेरिका को धमकाना
नेतन्याहू ने कहा कि ईरान का बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु प्रोग्राम सिर्फ इजराइल को खत्म करने के लिए नहीं है, बल्कि उसका मकसद अमेरिका को धमकाना और दुनियाभर के देशों पर दबाव बनाना भी है।
नेतन्याहू ने कहा कि जब वे पिछली बार UN में खड़े हुए थे, तब ईरान अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ा रहा था और उसके समर्थक हमास और हिजबुल्लाह, इजराइल को लगातार निशाना बना रहे थे। लेकिन अब इजराइल इन खतरों को मिटा चुका है।
नेतन्याहू के भाषण की 6 फोटोज…

नेतन्याहू ने बताया कि ईरान के साथ-साथ अल कायदा, हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठन अमेरिकी और यूरोपीय लोगों की हत्या में शामिल थे।

नेतन्याहू ने मिडिल ईस्ट की फोटो दिखाकर बताया कि इजराइल ने किन-किन दुश्मनों को खत्म कर दिया है।

नेतन्याहू ने भाषण के दौरान QR कोड वाला बैज पहना था। यह QR कोड 7 अक्टूबर, 2023 के हमास हमले से जुड़ी एक वेबसाइट से लिंक करता है।

UN हॉल से वॉकआउट से पहले ईरानी डिप्लोमैट ने अपनी टेबल पर इजराइली हमले में मारे गए मासूम बच्चों की तस्वीर रखी।

डिप्लोमैट्स के बॉयकॉट के बाद UN असेंबली हॉल की खाली कुर्सियां।

UN असेंबली के बाहर इजराइली पीएम को शैतान बताकर प्रदर्शन किया गया।
फिलिस्तीन को देश की मान्यता देने का विरोध किया
नेतन्याहू ने कहा कि गाजा युद्ध मिडिल ईस्ट में शांति लाएगा और इससे अब्राहम अकॉर्ड मजबूत होगा। इसके साथ ही उन्होंने कई पश्चिमी देशों की तरफ से फिलिस्तीन को देश की मान्यता देने का विरोध किया।
उन्होंने इसे गलत बताते हुए कहा कि इससे हमास जैसे समूहों को बढ़ावा मिलेगा और यहूदी व अन्य लोगों पर हमले बढ़ेंगे। उन्होंने 7 अक्टूबर, 2023 के हमले की तुलना अमेरिका के 11 सितंबर, 2001 के हमले से की।
नेतन्याहू कहा कि यरुशलम के पास फिलिस्तीनी देश बनाना न्यूयॉर्क के पास अल-कायदा को राज्य देने जैसा है। उन्होंने कहा कि गाजा में हमास अभी भी खतरा है और उसे पूरी तरह खत्म करना बाकी है।

इजराइली सेना ने गाजा के चारों तरफ स्पीकर लगाए
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेतन्याहू ने अपने भाषण से पहले इजराइली सेना को गाजा के चारों ओर लाउडस्पीकर लगाने का आदेश दिया था, ताकि फिलिस्तीनियों तक उनके भाषण का प्रसारण किया जा सके।
उन्होंने हमास नेताओं से आत्मसमर्पण करने, अपने हथियार डालने और बंधकों को रिहा करने की अपील की।
नेतन्याहू के खिलाफ ICC का गिरफ्तारी वारंट जारी
नेतन्याहू के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने 2024 में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। उन पर गाजा में जंग को बढ़ावा देने और भुखमरी को जंग के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के आरोप लगे थे।
इस वजह से उन्होंने यूरोप के उन देशों के हवाई क्षेत्र से बचने की कोशिश की, जो ICC के नियमों का पालन करते हैं। इन देशों में फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, आयरलैंड और ब्रिटेन शामिल हैं।
अगर नेतन्याहू का विमान इन देशों के हवाई क्षेत्र से गुजरता तो उन देशों की सरकारें उन्हें रोककर गिरफ्तार कर सकती थीं और हेग (नीदरलैंड) स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) को सौंप सकती थीं।
इजराइली सरकार ने यह रास्ता चुनने की कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई, लेकिन मीडिया का दावा है कि यह कदम ICC वारंट से बचने के लिए उठाया गया।

नेतन्याहू ने 26 सितंबर को सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक से मुलाकात की।
फ्रांस की इजाजत, फिर भी रास्ता बदला
फ्रांसीसी समाचार एजेंसी AFP ने एक राजनयिक सूत्र के हवाले से बताया कि फ्रांस ने नेतन्याहू की उड़ान को अपने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी।
इसके बावजूद उनकी उड़ान ने फ्रांस के ऊपर से उड़ान नहीं भरी। माना जा रहा है कि रास्ते में उड़ान की योजना बदली गई। इससे पहले जुलाई में नेतन्याहू ने अमेरिका की यात्रा की थी, इस दौरान उन्होंने सीधा रास्ता अपनाया था।
पत्रकारों को लेकर साथ नहीं गए नेतन्याहू
इस यात्रा के दौरान सुरक्षा कारणों के चलते कोई पत्रकार भी नेतन्याहू के साथ नहीं गया।
‘द येरुसलम पोस्ट’ के मुताबिक, इस लंबे रास्ते की वजह से उन्हें विमान में जगह नहीं दी गई। ज्यादा ईंधन की जरूरत को पूरा करने के लिए उनके दल को छोटा करना पड़ा।
हाल के महीनों में इजराइल और फ्रांस के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ा है। फ्रांस ने गाजा में हिंसा रोकने और फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
दूसरी ओर, नेतन्याहू फिलिस्तीनी राज्य के गठन का कड़ा विरोध करते हैं और इसे अपने राजनीतिक करियर का मुख्य मुद्दा बनाए हुए हैं।
पहले भी लंबे रास्ते चुन चुके हैं नेतन्याहू
यह पहली बार नहीं है जब नेतन्याहू ने ऐसी सावधानी बरती हो। जुलाई 2024 में भी उनकी एक उड़ान ने यूरोप के हवाई क्षेत्र से बचने के लिए लंबा रास्ता अपनाया था। तब संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि फ्रांसेस्का अल्बनेस ने इटली, फ्रांस और ग्रीस की आलोचना की थी।
उन्होंने कहा था कि इन देशों ने ICC के आरोपी को सुरक्षित रास्ता देकर गलती की। इसके अलावा, फरवरी 2024 में नेतन्याहू की वॉशिंगटन डीसी यात्रा के दौरान भी उनकी उड़ान ने यूरोप में आपात लैंडिंग से बचने के लिए सावधानी बरती थी।
इजराइल के अमेरिका में राजदूत येचियल लेइटर ने एक संगठन को बताया था कि अगर उड़ान को यूरोप में आपात लैंडिंग करनी पड़ती, तो नेतन्याहू को गिरफ्तार किए जाने का खतरा था। इसलिए उड़ान को अमेरिकी सैन्य अड्डों के नजदीक वाले हवाई क्षेत्र में ले जाया गया, ताकि जरूरत पड़ने पर वहां लैंडिंग हो सके।
UNGA के बारे में जानिए…


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