Report on India’s achievements released in UN | भारत की उपलब्धियों से जुड़ी रिपोर्ट UN में जारी: 2 साल में 4 लाख बाल विवाह रोके; असम में 84%, महाराष्ट्र-बिहार में 70% तक गिरावट

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नई दिल्ली17 घंटे पहलेलेखक: ​​​​​​​​​​​​​​अनिरुद्ध शर्मा

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UN में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन की रिपोर्ट ‘टिपिंग पॉइंट टू जीरो: एविडेंस टुवर्ड्स अ चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ यूएन में जारी हुई। फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

UN में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन की रिपोर्ट ‘टिपिंग पॉइंट टू जीरो: एविडेंस टुवर्ड्स अ चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ यूएन में जारी हुई। फाइल फोटो

भारत ने बाल विवाह रोकथाम में बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। 2023 से अब तक 4 लाख बाल विवाह रोके गए। बाल विवाह निरोधक कानून बनने के बाद यह सबसे बड़ी संख्या है। 3 सालों में बाल विवाह 69% घटे।

संयुक्त राष्ट्र (Unites Nations) आम सभा के दौरान एक कार्यक्रम में जारी जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन की रिपोर्ट ‘टिपिंग पॉइंट टू जीरो: एविडेंस टुवर्ड्स अ चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ में ये दावा है।

2023 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा था कि इस रफ्तार से यह कुरीति खत्म करने में 300 साल लग जाएंगे। दुनिया के एक तिहाई बाल विवाह भारत में होते हैं।

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के फाउंडर भुवन ऋभु ने कहा…

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2023 में 257 ऐसे जिले चुने हैं जहां बाल विवाह की दर 23% से ज्यादा थी। 270 संगठन साथ जोड़े। हर संगठन को एक जिले के 50 गांव चुनकर सिर्फ 6 शादियां रोकने की जिम्मेदारी दी। इनके सबूत पोर्टल पर डाले गए। 25 सितंबर तक यह आंकड़ा 4,00,742 हो चुका है।

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नजरिया बदला

  • 96% लोग अब बाल विवाह की शिकायत करने में सहज।
  • 63% लोग बाल विवाह रिपोर्ट करने में बहुत सहज।
  • 33% कुछ हद तक सहज महसूस करते हैं।

भारत में बाल-विवाह से जुड़े ये आंकड़े भी देखें

  • साल 2023-24 में नागर समाज, पंचायतों, और कानूनी हस्तक्षेपों से लगभग 73,501 बाल विवाह रोके गए हैं। इनमें से लगभग 59,364 पंचायतों की मदद से रोके गए और करीब 14,137 कानूनी कार्रवाई द्वारा रोके गए।
  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 27 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों में 11.5 लाख से अधिक बच्चे ऐसे हैं जो बाल विवाह की उच्च-जोखिम स्थिति में हैं। इनमें से सबसे ज़्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में है।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डेटा के अनुसार, 2022 में 3,563 बाल विवाह मामलों को “प्रोहीबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट” के तहत न्यायालयों में सूचीबद्ध किया गया, परन्तु इनमें से केवल 181 मामलों में मुकदमेबाज़ी पूरी हुई।
  • देश में बाल विवाह की दर में समय-समय पर गिरावट देखी गई है। उदाहरण के लिए UNICEF और अन्य संगठनों के अनुसार 1990 से लेकर लगभग 2005 तक की दर लगभग 1% प्रति वर्ष घट रही थी, और पिछले दशक में यह गिरावट लगभग 2% प्रति वर्ष की दर से हुई है।

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