लीमा3 मिनट पहले
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पेरू में 20 सितंबर Gen-Z प्रदर्शन शुरू हुए। इस दौरान पुलिस ने कई बार युवाओं पर लाठीचार्ज भी किया।
नेपाल के बाद अब दक्षिण अमेरिकी देश पेरू के Gen-Z भ्रष्टाचार और पेंशन सुधार को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। 27 सितंबर को राजधानी लीमा में हजारों युवाओं ने राष्ट्रपति दीना बोलुआर्ते के खिलाफ नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुई। आंसू गैस और लाठीचार्ज के जवाब में युवाओं ने पथराव किया। दरअसल, ये विरोध 20 सितंबर को पेंशन प्रणाली में किए गए सुधारों के बाद शुरू हुए।
नए नियम के अनुसार, पेरू में 18 साल से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को किसी न किसी पेंशन प्रदाता से जुड़ना होगा। इसके अलावा राष्ट्रपति बोलुआर्ते और संसद के खिलाफ लंबे समय से जनता में असंतोष बना हुआ है।
Gen-Z ने इस प्रदर्शन के लिए फेमस जापानी एनिमे ‘वन पीस’ के केरेक्टर ‘लूफी’ को अपना रोल मॉडल बनाया है। ये केरेक्टर न्याय के लिए लड़ता है।
प्रदर्शन की तस्वीरें…

पेरू में युवा भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं।

प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।

पुलिस ने युवा प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस छोड़े।

युवाओं ने पुलिस के लाठीचार्ज के विरोध में आगजनी की।

पेरू में भ्रष्टाचार और बढ़ता अपराधों के कारण युवाओं ने राष्ट्रपति का विरोध किया।
पेंशन योजना में बदलाव
यहां, भ्रष्टाचार, आर्थिक असुरक्षा, बढ़ता अपराध और जवाबदेही की कमी ने युवाओं को नाराज किया है। 2022 में पूर्व राष्ट्रपति पेद्रो कास्तिलो को हटाए जाने और गिरफ्तार किए जाने के बाद, सुरक्षा बलों की कार्रवाई में दर्जनों प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी। इस पर भी सरकार से सवाल किया जा रहा है।
पेरू सरकार ने हाल ही में पेंशन सिस्टम में बदलाव किया है। पहले लोग चाहें तो पेंशन योजना से जुड़ सकते थे, लेकिन यह अनिवार्य नहीं था।
अब सरकार ने नियम बना दिया है कि पेरू में जो भी नागरिक 18 साल की उम्र पूरी कर लेगा, उसे किसी न किसी पेंशन प्रदाता कंपनी/संस्था से जुड़ना होगा। यानी कोई भी वयस्क इस सिस्टम से बाहर नहीं रह सकता।
पेंशन प्रदाता वे निजी या सरकारी संस्थान होते हैं जो लोगों से हर महीने एक तय रकम जमा कराते हैं। रिटायरमेंट या बुढ़ापे में वही पैसा पेंशन के रूप में वापस मिलता है।
पेरू की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी (INEI) के अनुसार, देश की 27% आबादी 18 से 29 साल की उम्र के बीच है। ये युवा इस आंदोलन की रीढ़ हैं।
लोग नाराज क्यों हैं?
- कई लोगों को लगता है कि यह जबरन वसूली जैसी है।
- युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही, ऐसे में वे पेंशन के लिए पैसे कहां से जमा करेंगे?
- पेंशन प्रदाता संस्थाओं में पहले से ही भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी की शिकायतें हैं।
- लोग चाहते हैं कि यह उनकी इच्छा पर निर्भर हो, मजबूरी न बने।
- लोगों का कहना है कि सरकार को रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए, न कि जबरन पेंशन योजना थोपनी चाहिए।
युवाओं का प्रतीक बना वन पीस का केरेक्टर
इस बार के विरोध में पेरू की Gen-Z यानी 18 से 29 साल के युवा सबसे आगे हैं। वे जापानी कॉमिक्स ‘वन पीस’ के केरेक्टर ‘लूफी’ को अपना प्रतीक बना रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के हाथ में खोपड़ी वाली टोपी का निशान देखा जा रहा है, जो लूफी की पहचान है।
एक छात्र नेता लियोनार्डो मुन्योस ने कहा, ‘लूफी जगह-जगह जाकर भ्रष्ट और तानाशाही शासकों से जनता को आजाद कराता है। पेरू में भी वही स्थिति है। अब और खामोश नहीं रहेंगे’
छात्र सैंटियागो जापाटा ने कहा – ‘हम इस बात से थक चुके हैं कि मौत और भ्रष्टाचार को सामान्य बना दिया गया है। हमारी पीढ़ी अब खामोश नहीं बैठेगी। सरकार को जनता से डरना चाहिए, न कि जनता को सरकार से।’
वन पीस जापान की मशहूर कॉमिक्स और ऐनिमे सीरीज है। इसकी कहानी समुद्री डाकुओं (पाइरेट्स) पर आधारित है, जो आजादी, दोस्ती और न्याय के लिए लड़ते हैं। यह सीरीज पूरी दुनिया में युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय है।

Gen-Z ने प्रदर्शन के लिए जापानी कॉमिक्स ‘वन पीस’ के केरेक्टर ‘लूफी’ के झंडे लहराए।

लूफी जगह-जगह जाकर भ्रष्ट और तानाशाही शासकों से जनता को आजाद कराता है।
पेरू में भ्रष्टाचार से असंतोष बढ़ रहा
पेरू की राजनीति पर शोध करने वाले प्रिंसटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जो-मैरी बर्ट ने रॉयटर्स से कहा, ‘पेरू में असंतोष का स्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है और यह स्थिति काफी समय से बनी हुई है।’
प्रोफेसर बर्ट के अनुसार, ये प्रदर्शन वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र पर बढ़ते दबाव के बीच हो रहे हैं। बोलुआर्ते प्रशासन पर अदालतों, निगरानी संस्थानों और अभियोजकों को कमजोर करने के आरोप हैं।
बर्ट ने इसे 1990 के दशक में अल्बर्टो फुजीमोरी के शासन की याद दिलाने वाला बताया, जब न्याय व्यवस्था को नियंत्रित कर सत्ता को मजबूत किया गया था। 2026 के आम चुनावों से पहले सरकार के निर्वाचन संस्थानों को कमजोर करने की आशंका भी जताई जा रही है।
जुलाई में इंस्टीट्यूट ऑफ पेरुवियन स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार, बोलुआर्ते की लोकप्रियता केवल 2.5% पर सिमट गई है, जबकि संसद की साख महज 3% है।
खनन उद्योग पर गहरा असर
प्रदर्शनों का असर पेरू के महत्वपूर्ण खनन उद्योग पर भी पड़ रहा है। पेरू दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तांबा उत्पादक देश है और सोने व चांदी का भी प्रमुख उत्पादक है।
हडबे मिनरल्स ने मंगलवार को बताया कि चल रहे प्रदर्शनों के कारण उन्होंने अपनी कॉन्स्टैंसिया खदान में मिल को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ सकता है।
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