वॉशिंगटन डीसी27 मिनट पहले
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डोनाल्ड ट्रम्प अपनी सरकार के कामकाज को चलाने के लिए फंडिंग से जुड़ा बिल सीनेट से पास नहीं करा पाए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सीनेट से फंडिंग बिल को पास नहीं करा पाए हैं। मंगलवार देर रात बिल पर वोटिंग हुई। बिल के समर्थन में 55 और विरोध में 45 वोट पड़े।
इसे पास कराने के लिए 60 वोटों की जरूरत थी, जिसके लिए ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी को विपक्षी डेमोक्रेट्स सांसदों का समर्थन जरूरी था। हालांकि, डेमोक्रेट्स ने बिल के खिलाफ वोट किया।
100 सदस्यों वाली सीनेट में 53 रिपब्लिकन, 47 डेमोक्रेट और 2 निर्दलीय सांसद है। फंडिंग से जुड़े बिल को पास कराने के लिए 60 वोट जरूरी होते हैं।
बिल के पास नहीं होने से अमेरिका में आज भारतीय समयानुसार सुबह 9:30 बजे से शटडाउन शुरू हो जाएगा। इससे सरकारी कामकाज ठप होगा। 9 लाख कर्मचारियों को जबरन छुट्टी पर भेजने का खतरा बढ़ गया है। ट्रम्प ने सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की धमकी दी है।

सीनेट में फंडिंग बिल पर वोटिंग के दौरान रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसदों के बीच तीखी बहस हुई।
ट्रम्प की पार्टी के सांसद ने बिल के खिलाफ वोट किया
ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के एक सांसद ने फंडिंग बिल के खिलाफ वोट किया है। वहीं दो डेमोक्रेट सांसदों ने बिल के समर्थन में वोट किया।
रिपब्लिकन पार्टी के फंडिंग बिल से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी ने हेल्थ केयर के प्रावधानों वाला अपना फंडिंग बिल पेश किया था। हालांकि, यह बिल भी पास नहीं हो पाया था। बिल के समर्थन में 47 और विरोध में 53 वोट पड़े थे।
सभी डेमोक्रेट्स ने इसके पक्ष में और सभी रिपब्लिकन ने इसके खिलाफ मतदान किया।
हेल्थ केयर प्रोग्राम को लेकर सहमति नहीं बन पाई
अमेरिका के दोनों प्रमुख दल डेमोक्रेट और रिपब्लिकन में ओबामा हेल्थ केयर सब्सिडी प्रोग्राम को लेकर ठन गई थी। डेमोक्रेट्स चाहते थे कि हेल्थ केयर (स्वास्थ्य बीमा) की सब्सिडी बढ़ाई जाए।
रिपब्लिकन को डर था कि अगर सब्सिडी बढ़ाई गई तो सरकार को खर्च करने के लिए और पैसे की जरूरत पड़ेगी, जिससे बाकी सरकारी काम प्रभावित होंगे।
शटडाउन रोकने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प और डेमोक्रेटिक नेताओं ने सोमवार को व्हाइट हाउस में बैठक की थी, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

विपक्षी डेमोक्रेट सांसद हकीम जेफ्रीस (बाएं) और चक शूमर (दाएं) सोमवार को राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ बैठक के बाद व्हाइट हाउस से बाहर आते हुए।
अमेरिका में खर्च का सीजन 1 अक्टूबर से शुरू
अमेरिका का फिस्कल ईयर यानी खर्च का साल 1 अक्टूबर से शुरू होता है। यह एक तरह से सरकार का आर्थिक साल होता है, जिसमें वह अपना पैसा खर्च करने और बजट बनाने की योजना बनाती है।
इस दौरान सरकार तय करती है कि कहां पैसा लगाना है, जैसे सेना, स्वास्थ्य या शिक्षा में। अगर इस तारीख तक नया बजट पास नहीं होता, तो सरकारी कामकाज बंद हो जाता है।

शटडाउन से अमेरिका पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिका में सरकारी शटडाउन लगने के बाद अब सरकार के पास खर्च के लिए पैसा नहीं होगा। इससे सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी से लेकर तमाम दूसरे खर्च रुक जाएंगे।
शटडाउन होने से अमेरिकी सरकार को अपने खर्चों में कटौती करनी होगी। हालांकि, इमरजेंसी सर्विसेज जैसे- मेडिकल सर्विस, सीमा सुरक्षा और हवाई सेवाएं जारी रहेंगी।
अमेरिका में पिछले 50 साल में फंडिंग बिल अटकने की वजह से 20 बार शटडाउन हुआ है। ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में ही 3 बार सरकार को शटडाउन का सामना करना पड़ा था।
2019 का शटडाउन सबसे ज्यादा 35 दिन तक जारी रहा था, जिसमें अमेरिकी इकोनॉमी को 25 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।

अमेरिका में शटडाउन के चर्चित मामले
- 2013 में अमेरिका के साथ 8,891 किमी लंबी कनाडा सीमा की देखभाल करने वाला सिर्फ 1 शख्स था। उस पर ही पूरे बॉर्डर इलाके की साफ-सफाई की जिम्मेदारी थी। बाकी सारे कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था।
- अमेरिका के सवा लाख सैनिक (ज्यादातर पहले और दूसरे विश्वयुद्ध) दूसरे देशों में मारे गए हैं। ये दुनियाभर के 24 कब्रिस्तानों में दफन हैं। इनमें से 20 यूरोप में हैं। इनकी देखभाल का खर्च अमेरिकी सरकार उठाती है। 2013 में शटडाउन होने पर ये सारे कब्रिस्तान बंद कर दिए गए थे।
- 2018 के शटडाउन में वेतन नहीं मिलने की वजह से कई कर्मचारी एयरपोर्ट पर काम करने नहीं जा रहे थे जिस वजह से कई उड़ानें रद्द कर दी गईं।
- 2018 के शटडाउन में FBI डायरेक्टर ने चेतावनी दी कि उनके पास पैसे खत्म हो चुके हैं, जिस वजह से उनके काम में दिक्कतें आ रही हैं।
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