नई दिल्ली37 मिनट पहले
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इस अभ्यास में भारत का नया जहाज़ INS Nistar पहली बार ऑपरेशनल तौर पर तैनात किया गया। इसके साथ ही DSRV Tiger X को भी अभ्यास में लगाया गया।
भारतीय नौसेना ने सिंगापुर नौसेना के आयोजित मल्टीनेशनल सबमरीन रेस्क्यू एक्सरसाइज XPR-25 में अपने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) Tiger X को सफलतापूर्वक ऑपरेट (टेस्ट) किया।
ये जॉइंट एक्सरसाइज दो फेज में 15 से 20 सितंबर शोर फेज (जमीन पर ट्रेनिंग) और 20 से 25 सितंबर सी फेज (समुद्र में ट्रेनिंग) साउथ चाइना सी में हुई। इसमें 40 से ज्यादा देशों की नौसेना शामिल हुईं।
ये पहली बार था कि भारत के सबमरीन रेस्क्यू सिस्टम ने हिंद महासागर क्षेत्र के बाहर काम किया और साउथ चाइना सी में फुल-स्पेक्ट्रम रेस्क्यू एक्सरसाइज की, जिसमें भारतीय DSRV को आर्टिफिशियल कंडीशन में मित्र देशों की सबमरीन के साथ डॉक किया गया।
सी फेज में 3 सबमरीन रेस्क्यू यूनिट्स शामिल रहीं। सभी को उनके मदर शिप पर तैनात किया गया था। इनमें सिंगापुर की यूनिट को MV Swift Rescue, जापान की यूनिट को JS Chiyoda और भारत की यूनिट को INS Nistar पर रखा गया। Nistar का हाल ही में भारतीय सेना में कमीशन किया गया है।
समुद्र में सबमरीन की एक्सरसाइज की 3 तस्वीरें…

इस अभ्यास में भारत का नया जहाज INS Nistar पहली बार ऑपरेशनल तौर पर तैनात किया गया।

समुद्र की गहराई में DSRV Tiger X को एक्सरसाइज में लगाया गया।

दक्षिण कोरिया की पनडुब्बी Shin Dol-Seok (S-082) के साथ सफलतापूर्वक डॉकिंग की गई।
साउथ चाइना सी में भारत की DSRV Tiger X की पहली डाइव
23 सितंबर को भारत की DSRV Tiger X ने घरेलू जल क्षेत्र से बाहर अपनी पहली गोताखोरी की। इस दौरान मिनी-पनडुब्बी ने सबसे पहले दक्षिण कोरिया की पनडुब्बी Shin Dol-Seok (S-082) के साथ मेटिंग की। इसके बाद यह सिंगापुर की पनडुब्बी RSS Invincible से भी सफलतापूर्वक डॉक हुई, और दो सफल मेटिंग पूरी की।
भारत के DSRV सिस्टम और TUP तकनीक
भारत वर्तमान में दो DSRV संचालित करता है, जो यूके की कंपनी James Fisher Defence (JFD Global) से 2016 में 193 मिलियन पाउंड के कॉन्ट्रैक्ट के तहत खरीदे गए थे।
प्रत्येक सिस्टम में शामिल हैं:
- रेस्क्यू व्हीकल
- लॉन्च और रिकवरी उपकरण
- TUP सिस्टम (Transfer Under Pressure)
- व्यापक लॉजिस्टिक सपोर्ट
TUP सिस्टम गहरे समुद्र के मिशन में लोगों को सुरक्षित रूप से एक प्रेशर वाले वातावरण (जैसे पनडुब्बी या DSRV) से दूसरे में ट्रांसफर करने में मदद करता है। यह अचानक प्रेशर बदलने से रोकता है और डीकंप्रेशन सिकनेस से बचाता है। उदाहरण के लिए क्रू मेंबर को रेस्क्यू सबमरीन या डाइविंग बेल से बड़े हाइपरबैरिक चेंबर या लाइफबोट में सुरक्षित रूप से ट्रांसफर किया जा सकता है।
डाइविंग सपोर्ट जहाज क्या होते हैं?
डाइविंग सपोर्ट जहाज गहरे समुद्र में डाइविंग और रेस्क्यू ऑपरेशनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह जहाज गोताखोरों को समुद्र की गहराई तक सुरक्षित ले जाने, वहां काम करने और वापस लाने में मदद करता है।
इसमें ऑक्सीजन सप्लाई, दबाव नियंत्रण वाले चेंबर, रोबोटिक उपकरण (ROVs) और रेस्क्यू करने वाली नावें होती हैं। यह पनडुब्बियों में फंसे लोगों को बचाने में भी काम आता है। ऐसे जहाज बहुत कम देशों के पास होते हैं और यह नौसेना की गहरी समुद्री क्षमता को मजबूत बनाते हैं।

18 जुलाई 2025 को INS Nistar की भारतीय नौसेना में कमीशनिंग हुई थी।
18 जुलाई: INS Nistar का भारतीय नौसेना में कमीशन
देश में बना पहला डाइविंग सपोर्ट जहाज INS निस्तार 18 जुलाई को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। इसे समुद्र के अंदर 300 मीटर तक रेस्क्यू अभियान के लिए बनाया गया है। इस जहाज का वजन 10,000 टन से ज्यादा है। साथ ही 118 मीटर लंबा है।
INS निस्तार को हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने तैयार किया है। विशाखापट्नम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में INS निस्तार नौसेना को सौंपा गया था। ऐसा जहाज दुनिया के चुनिंदा देशों के पास है।

नौसेना प्रमुख बोले- भारत इस क्षेत्र का सबमरीन रेस्क्यू पार्टनर बना
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि INS निस्तार सिर्फ एक तकनीकी प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण कदम है। इसके कमीशन होने के बाद भारत क्षेत्र का ‘सबमरीन रेस्क्यू पार्टनर’ बन गया है।
मंत्री सेठ बोले- भारत इंटरनेशनल लेवल के वॉर-शिप भी बना सकता है
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा, ‘INS निस्तार ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक है। इस जहाज के निर्माण में 120 MSMEs (लघु उद्योग) और 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का योगदान है। भारत की शिपयार्ड इंडस्ट्री अब इतनी सक्षम हो चुकी है कि वह इंटरनेशनल लेवल के वॉर-शिप भी बना सकती है।’

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में INS निस्तार नौसेना को सौंपा गया था।
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जंगी जहाज तमाल भारतीय नौसेना में शामिल

तमाल को रूस के यांतर शिपयार्ड में भारतीय विशेषज्ञों की निगरानी में तैयार किया गया है। इसमें 26% स्वदेशी तकनीक शामिल है।
1 जुलाई को भारतीय नौसेना को सबसे आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट ‘INS तमाल’ मिला। INS तमाल को रूस के कैलिनिनग्राद में कमीशन किया गया। कमीशनिंग सेरेमनी वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह की अध्यक्षता में हुआ।
तमाल रूस से मिला आठवां और तुशिल क्लास की दूसरी वॉरशिप है। यह 2016 में हुए भारत-रूस रक्षा समझौते का हिस्सा है, जिसके तहत चार तलवार-क्लास स्टील्थ फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं। इनमें से दो रूस के यंतर शिपयार्ड में और दो भारत के गोवा शिपयार्ड में बन रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…

INS तुशिल दिसंबर में भारत पहुंचा

INS तुशिल दिसंबर में रूस से 12,500 नॉटिकल मील का सफर तय कर भारत पहुंचा था। यह आठ देशों से होकर गुजरा। 9 दिसंबर को इसे कमीशन किया गया था। अब ‘तमाल’ उसकी जगह लेगा, जो और ज्यादा उन्नत तकनीकों से लैस है।

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