झुंझुनूं कांग्रेस में मंथन,क्या मौजूदा अध्यक्ष की होगी छुट्टी, ब्लॉक वार फीडबैक अभियान शुरू
झुंझुनूं जिले में संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया तेज हो गई है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के संगठन सृजन अभियान के तहत जिले में नए संगठन की नींव रखने की कवायद शुरू हो चुकी है। इसके लिए जिला प्रभारी कैप्टन प्रवीण डावर और सहप्रभारी रामजीलाल शर्मा
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उन्होंने साफ किया कि जिला अध्यक्ष का पद किसी युवा, ऊर्जावान और संगठन के प्रति वफादार कार्यकर्ता को सौंपा जाएगा, ताकि जमीनी स्तर पर कांग्रेस का आधार मजबूत हो सके।
वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल और कांग्रेस की उपलब्धियां
झुंझुनूं जिला कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष दिनेश सूंडा के कार्यकाल में पार्टी ने विधानसभा चुनावों में पांच सीटें और एक लोकसभा सीट जीतकर अपनी पकड़ मजबूत दिखाई थी। हालांकि, अंदरूनी खींचतान और गुटबाजी कांग्रेस की परंपरागत समस्या रही है। लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेता और झुंझुनूं सांसद बृजेंद्र ओला के नजदीकी खलील बुडाना को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
पिलानी, उदयपुरवाटी, मंडावा और सूरजगढ़ जैसे विधानसभा क्षेत्र के विधायक ओला के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में ओला अपने विश्वसनीय कार्यकर्ताओं को जिला अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल कर सकते हैं।
गुटबाजी और नए समीकरण
झुंझुनूं कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है। वर्तमान अध्यक्ष से कुछ नेताओं की नाराजगी भी नए समीकरण बना रही है। विधायक रीटा चौधरी और नवलगढ़ के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा खुले तौर पर मौजूदा अध्यक्ष से दूरी बनाए हुए हैं। विधानसभा चुनावों के दौरान रणनीति और संगठनात्मक स्तर पर कुछ मुद्दों को लेकर इन नेताओं की नाराजगी सामने आ चुकी है। ऐसे में यह गुट एक नए चेहरे की तलाश में है, ताकि जिला कांग्रेस संगठन को नई दिशा दी जा सके।
कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत नेताओं और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की जा रही है। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि कौन नेता संगठन को समर्पित होकर चला सकता है और गुटबाजी को कम कर कांग्रेस को एकजुट कर सकता है।
प्रभारी प्रवीण डावर ने कहा कि सभी विधायकों और प्रमुख कार्यकर्ताओं की राय एक सामाजिक रिपोर्ट के रूप में तैयार कर प्रदेशाध्यक्ष को सौंपी जाएगी। इसके आधार पर नया जिला अध्यक्ष चुना जाएगा। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस संगठनात्मक मजबूती के जरिए आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करेगी।सांसद बृजेंद्र ओला, रीटा चौधरी और राजकुमार शर्मा जैसे दिग्गजों की राय और पसंद पर ही संगठनात्मक समीकरण टिके रहेंगे।