Difference in calendars regarding the date of Diwali, diwali 2025 date and time, kartika amawasya significance in hindi | दीपावली की तारीख को लेकर पंचांग भेद: 20 और 21 अक्टूबर को रहेगी कार्तिक अमावस्या, 20 तारीख की रात लक्ष्मी पूजा करना ज्यादा उचित

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12 घंटे पहले

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इस साल दिवाली की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं। पंचांगों में तिथियों के घट-बढ़ के कारण कार्तिक मास की अमावस्या दो दिन 20 और 21 अक्टूबर को है। विद्वानों और ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस वर्ष दिवाली 20 अक्टूबर को मनाना उचित रहेगा, क्योंकि प्रदोष काल की अमावस्या 20 अक्टूबर को ही पड़ रही है और दीपावली की पूजा रात में करने की परंपरा है। 21 अक्टूबर की शाम को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा शुरू हो जाएगी।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर की दोपहर करीब 2:30 बजे शुरू होगी और 21 अक्टूबर को दोपहर करीब 3:57 बजे तक ही रहेगी। तिथियों की शुरुआत और खत्म के समय में भी पंचांग भेद हैं। जिस तारीख पर सूर्यास्त के समय अमावस्या तिथि होती है, उस तारीख पर ये पर्व मनाना चाहिए।

ये है लक्ष्मी जी के प्रकट होने की कथा

पौराणिक कथा है कि महालक्ष्मी का प्राकट्य समुद्र मंथन से हुआ है। ये कथा भागवत पुराण, विष्णु पुराण और महाभारत में भी है। जब देवता और असुरों के बीच लगातार संघर्ष होने लगा, तो देवताओं की शक्ति क्षीण होने लगी। तब भगवान विष्णु की सलाह पर देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र का मंथन करने का निश्चय किया, जिससे अमृत की प्राप्ति हो सके।

समुद्र मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी और वासुकी नाग को रस्सी बनाया गया। यह कार्य अत्यंत कठिन था, लेकिन मंथन से अनेक अमूल्य रत्न, दिव्य वस्तुएं और देवियां उत्पन्न हुईं। इसी मंथन से माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। जब देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं, तो उनके हाथ में कमल था और उनका स्वरूप अद्भुत तेज से युक्त था। सभी देवता, ऋषि, गंधर्व और सिद्धजन उनकी सुंदरता और तेज से मंत्रमुग्ध हो गए।

माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपना पति स्वीकार किया और उन्हें वरमाला पहनाई। माता लक्ष्मी को समृद्धि, सौभाग्य, धन और वैभव की देवी कहा जाता है।

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