अयोध्या में पांच श्रद्धालुओं ने निकाली कलश शोभायात्रा।
श्री लक्ष्मी नारायण चातुर्मास महायज्ञ शुक्रवार को भव्य कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हो गया। महायज्ञ का आयोजन बड़ा स्थान व्रिक्रम पटना, बिहार के महंत भागवत भास्कर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज के मार्गदर्शन में किया गया जा रहा है। सुबह देव पूजन के बाद
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महायज्ञ में पांच दिनों तक हवन किया जाएगा और इस दौरान एक करोड़ मंत्रों की आहुति देवताओं को समर्पित की जाएगी। वृंदावन की पुज्य सिख्य एश्वरी देवी और आचार्य राघवेंद्र कथा वाचक के रूप में उपस्थित रहेंगे। वे भक्तों को सनातन धर्म के महत्व, भगवत भजन और भक्ति के मार्ग के बारे में विस्तार से बताएंगे। महायज्ञ की पूर्णाहुति सात अक्टूबर को संपन्न होगी।

झुमकीघाट पर एकत्र होकर महिलाओं ने कलश में भरा सरयू जल।
एक लाख श्रद्धालु होंगे शामिल
बीते सात दिनों में देशभर से एक लाख से अधिक श्रद्धालु इस महायज्ञ में शामिल हुए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के लोग भी शामिल हैं।
महंत भागवत भास्कर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि इस महायज्ञ का उद्देश्य भक्तों में आध्यात्मिक चेतना बढ़ाना और धर्म की परंपराओं को जीवित रखना है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अनुशासन बनाए रखने और आयोजन में सहयोग करने का आह्वान किया।

कलश यात्रा में बिहार, उत्तर प्रदेश समेत कई जिलों के लोग हुए शामिल।
इस महायज्ञ में शामिल होने वाले भक्तों का कहना है कि यह आयोजन उनके लिए आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ धार्मिक आस्था को प्रबल करने वाला अवसर है। महायज्ञ के दौरान नियमित हवन, कलश यात्रा और कथा वाचन से श्रद्धालु अपने मन और आत्मा की शांति का अनुभव कर रहे हैं।
श्री लक्ष्मी नारायण चातुर्मास महायज्ञ अयोध्या में धार्मिक आस्था और संस्कृति के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण आयोजन बन गया है, जो क्षेत्रवासियों और देशभर के श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।