Birla said – people all over the world have faith in Indian doctors | बिरला बोले-भारत के चिकित्सकों पर दुनियाभर के लोगों का विश्वास: लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने किया हार्ट कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन, अंगदान के लिए बढ़ानी होगी जागरूकता – Jaipur News

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इंडियन सोसाइटी फॉर हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इनश्ल्ट 2025 का आयोजन राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में किया गया।

इंडियन सोसाइटी फॉर हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इनश्ल्ट 2025 का आयोजन राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में किया गया। इसका उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि मैं जब भी किसी विदेश दौरे पर गया तो वहां जि

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उन्होंने कहा कि भारत में एक समय था जब लोग अपना ब्लड तक डोनेट करने से बचते थे। लेकिन अब समय बदल चुका है और जागरूकता इतनी बढ़ गई है कि 18-19 साल के नौजवान भी ब्लड डोनेशन के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। अब अंग दान के लिए भी अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। कोविड काल में हमारे देश के चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ का सेवा भाव पूरी दुनिया ने देखा। उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी रह सकती है लेकिन अनुभव, रिसर्च वर्क में भारतीय चिकित्सकों की विश्व में मान्यता है।

इसका उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया।

इसका उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया।

कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन डॉ. अजीत बाना (कार्डियक), डॉ. वीरेन्द्र सिंह (पल्मोनरी) और ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राजकुमार यादव ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में हार्ट और लंग्स दोनों की बीमारियों और उनके इलाज की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा हो रही है। पहले दिन डॉ. राजीव बगरहट्टा, डॉ. जितेंद्र मक्कड़, डॉ. संजीव शर्मा ने हार्ट फेल्यर, कार्डियक एमआरआई, इजेक्शन फ्रेक्शन के मूल्यांकन पर अपनी रिसर्च प्रस्तुत की। डॉ. संदीप सेठ, डॉ. वीरेंद्र सिंह ने पल्मोनोलॉजी में आई नवीनतम तकनीक पर जानकारी प्रदान की।

मरीजों को 84 प्रतिशत तक फायदा यूएसए से आए डॉ. निकोलस कोलाइटिस ने बताया कि पल्मोनरी हाइपरटेंशन फेफड़ों की धमनियों में रक्त का दबाव असामान्य रूप से बढ़ जाता है, धीरे-धीरे हृदय की दाईं धड़कन को कमजोर करता है। इससे मरीज सांस लेने में कठिनाई, थकान और गंभीर मामलों में चक्कर या बेहोशी जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। इसके इलाज में हाल ही में विकसित नई दवा स्टेटरसेप्ट मरीजों के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आई है।

ट्रायल में इस दवा के उपयोग से मरीजों में बीमारी के बढ़ने या मृत्यु के जोखिम में 84 प्रतिशत तक कमी देखी गई। साथ ही, 6-मिनट वॉक टेस्ट में सुधार, हृदय तनाव के मार्करों में कमी और जीवन गुणवत्ता में बढ़ोतरी भी मिली। यह दवा मौजूदा उपचारों के साथ तीन सप्ताह में एक बार इंजेक्शन के रूप में दी जाती है

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