the tradition of making Kheer in the light of the royal moon on sharad purnima, perform Abhishek of Goddess Lakshmi and Lord Vishnu, significance of sharad purnima | आज शरद पूर्णिमा: आज राज चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाने की परंपरा, देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का करें अभिषेक

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34 मिनट पहले

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आज (6 अक्टूबर) शरद पूर्णिमा है, इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, ये पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल पंचांग भेद की वजह से आश्विन पूर्णिमा आज और कल 7 अक्टूबर को दो दिन है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ दिखाई देता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने की परंपरा है। 7 तारीख की सुबह स्नान-दान की पूर्णिमा रहेगी।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शरद पूर्णिमा न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि आयुर्वेद की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे निकट आता है। चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो इस दिन रात्रि के समय विशेष रूप से सक्रिय होते हैं।

इस रात के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात वृंदावन में गोपियों के साथ दिव्य रास लीला की थी। अतः ये दिन भक्ति, प्रेम और अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है।

जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं…

  • खीर बनाकर चांदनी में रखना

शरद पूर्णिमा की रात खीर (दूध और चावल से बनी खीर) को चांद की चांदनी में रखने की परंपरा है। मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें जब खीर पर पड़ती हैं, तो वह औषधीय गुणों से भर जाती है। इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।

  • व्रत और रात्रि जागरण

इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और रात भर जागरण भी करती हैं। इसे कोजागरी व्रत कहा जाता है। कोजागरी शब्द का अर्थ है- कौन जाग रहा है? माना जाता है कि मां लक्ष्मी इस रात पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति जागकर भक्ति में लीन होता है, उसे धन, समृद्धि और सुख का आशीर्वाद देती हैं।

  • लक्ष्मी पूजन

शरद पूर्णिमा की रात विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। दीप जलाकर घर के हर कोने को रोशन किया जाता है, ताकि मां लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके।

  • शुद्धता का पालन करें

शरद पूर्णिमा का व्रत रखने से मन और शरीर दोनों की शुद्धि होती है। इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और मानसिक रूप से शांत रहना चाहिए। विचारों को सकारात्मक और शुद्ध बनाए रखें।

शरद पूर्णिमा से जुड़ी अन्य बातें

  • शरद पूर्णिमा की रात भजन-कीर्तन, मंत्र जप और ध्यान करते हुए जागरण करें। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है।
  • इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  • शरद पूर्णिमा पर क्रोध, ईर्ष्या और झूठ जैसे नकारात्मक भावों से बचना चाहिए। इन भावों से हमारे पुण्य का क्षय होता है। मांसाहार, शराब आदि का भी सेवन न करें।
  • ध्यान रखें जब खीर चांदनी में रखी जाए तो उसे किसी जालीदार ढक्कन से ढंक देना चाहिए, ताकि उसमें गंदगी या कीट न जाएं।
  • आयुर्वेद के अनुसार, शरद ऋतु में शरीर का ताप बढ़ जाता है। इस समय चंद्रमा की शीतल किरणें शरीर की गर्मी को संतुलित करती हैं। इसलिए इस रात को खुले आसमान के नीचे समय बिताना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। विशेषकर चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर को खाने से पित्त संबंधित विकारों में राहत मिलती है।

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