ब्रुसेल्स1 घंटे पहले
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यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने यूरोपीय डिफेंस खर्च को 842 अरब डॉलर तक बढ़ाने के लिए एक योजना पेश की।
यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने यूरोप को फिर से हथियारबंद करने के लिए 842 अरब डॉलर जुटाने का प्रस्ताव दिया है। मंगलवार को पेश इस प्रस्ताव को 5 भाग में लागू किया जाएगा, जिसमें यूरोपीय यूनियन (EU) के सदस्य देशों को हथियारबंद करने के लिए 160 अरब डॉलर (150 अरब यूरो) का डिफेंस फंड बनाने प्रस्ताव है।
इस डिफेंस फंड को जुटाने के लिए यूरोपीय यूनियन वॉर बॉन्ड जारी करेगा। EU इससे पहले भी यूक्रेन की मदद के लिए 54 अरब डॉलर (50 अरब यूरो) के बॉन्ड जारी कर चुका है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इस प्रस्ताव के सामने आते ही ब्रिटिश डिफेंस कंपनी BAE सिस्टम्स, जर्मन हथियार निर्माता राइनमेटल और इटली की एयरोस्पेस और डिफेंस फर्म लियोनार्डो के शेयर्स में रिकॉर्ड उछाल आया।
क्यों लाया गया प्रस्ताव ट्रम्प सरकार की तरफ से हाल के दिनों उठाए गए कदमों की वजह से यूरोप अमेरिका पर सुरक्षा निर्भरता कम करना चाहता है। ट्रम्प कई बार अमेरिका को नाटो से अलग करने की बात कह चुके हैं।
व्हाइट हाउस में ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच बहस के बाद 3 मार्च को लंदन में यूरोपीय देशों की समिट उर्सुला वॉन डेर ने यूरोप को तत्काल हथियारबंद करने की जरूरत बताई थी।
उन्होंने कहा था कि हमें डिफेंस निवेश बढ़ाना होगा। यह यूरोपीय यूनियन की सुरक्षा के लिए जरूरी है। हमें फिलहाल सबसे खराब हालात के लिए तैयार रहना चाहिए।

यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की रविवार को ट्रम्प से मिलने अमेरिका पहुंचे थे, जहां बहस के बाद उन्हें व्हाइट हाउस से बाहर निकाल दिया गया था। इसके बाद कई यूरोपीय देश जेलेंस्की के सपोर्ट में आ गए थे।
सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर है यूरोप अमेरिका और USRR (वर्तमान रूस) के बीच कोल्ड वॉर (1947-91) के बाद से यूरोप अपनी सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर यूरोप पर निर्भर रहा है। डिफेंस एक्सपर्ट मनोज जोशी के मुताबिक यूरोप के कई देश अपने डिफेंस पर GDP का 2% से कम खर्च कर रहे हैं। उनकी सेनाएं इतनी कमजोर हो गई हैं कि उन्हें उबरने में समय लगेगा।
दूसरी तरफ ट्रम्प नाटो गठबंधन को समय और धन की बर्बादी समझते हैं। अगर अमेरिका नाटो छोड़ देता है तो यूरोपीय देशों अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए डिफेंस पर कम से कम 3% खर्च करना होगा।
उन्हें गोला-बारूद, ट्रांसपोर्ट, ईंधन भरने वाले विमान, कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, उपग्रह और ड्रोन की कमी को पाटना होगा, जो फिलहाल अमेरिका की तरफ से मुहैया कराए जाते हैं।
यूके और फ्रांस जैसे नाटो सदस्य-देशों के पास 500 एटमी हथियार हैं, जबकि अकेले रूस के पास 6000 हैं। अगर अमेरिका नाटो से बाहर चला गया तो गठबंधन को अपनी न्यूक्लियर-पॉलिसी को नए सिरे से आकार देना होगा।

EU के अंदर सहमति बनाने बड़ी चुनौती यूरोपीय यूनियन को वॉर-बॉन्ड जारी करने में सदस्य देशों के विरोध का समाना करना पड़ सकता है। इससे पहले भी यूक्रेन के सपोर्ट के मुद्दे पर स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको ने कहा था कि वो यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य मदद नहीं देंगे।
वहीं, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने भी जेलेंस्की के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का सपोर्ट किया था। व्हाइट हाउस में दोनों के बीच हुई बहस के बाद उन्होंने ट्रम्प को मजबूत और जेलेंस्की को कमजोर कहा था। ओरबान ने ट्रम्प का धन्यवाद भी किया था।
जॉइंट यूरोपीय सेना के बनने की शुरुआत हो सकती है एक्सपर्ट्स का मानना है कि उर्सुला की तरफ से लाया गया प्रस्ताव जॉइंट यूरोपीय सेना बनाने की शुरुआत हो सकती है। CNN के मुताबिक यूरोप की कुल संयुक्त आर्मी में 20 लाख सैनिक हैं।
कोल्ड वॉर के शुरुआती दिनों में एक साझा यूरोपीय सेना बनाने पर लगातार चर्चा होती रही है। 1953 से 1961 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे आइजनहावर ने इसके लिए यूरोपीय देशों को मना भी लिया था, लेकिन तब फ्रांस की संसद ने इस पर रोक लगा दी थी।
1990 के दशक में यूरोपीय यूनियन के गठन के बाद एक बार फिर से साझा यूरोपीय सेना के विचार पेश किया गया था, लेकिन अमेरिका के विरोध और यूरोपीय देशों की नाटो के लिए प्रतिबद्धता की वजह से इसे समर्थन नहीं मिला।
दिसंबर 1998 में फ्रांस के सेंट मालो में फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक्स शिराक और ब्रिटिश प्रधान मंत्री टोनी ब्लेयर ने यूरोपीय फोर्स बनाने पर सहमति जाहिर की थी, लेकिन यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर (बाएं) फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक्स शिराक (दाएं) ने 1998 में यूरोपीय फोर्स बनाने के प्रस्ताव पर सहमति जाहिर की थी, लेकिन ये प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया।
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