बीजिंग11 मिनट पहले
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चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात कही।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारत और चीन के रिश्तों को बेहतर बनाने का इकलौता रास्ता ये है कि हाथी और ड्रैगन ताल से ताल मिलाकर चलें। दोनों देशों के पास एक-दूसरे को नीचा दिखाने की बजाय सपोर्ट करने की वजहें ज्यादा हैं, इसलिए दोनों मिलकर एक-दूसरे की सफलता के लिए सहयोग दें।
शुक्रवार को चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि पिछले साल गलवान झड़प खत्म करने को लेकर जो बातचीत हुई, उसके बाद से संबंधों में मजबूती आई है। अक्टूबर में कजान में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए जरूरी नजरिया दिया है।
इसके बाद से दोनों देशों ने अपने लीडर्स के साझा नजरिए के मुताबिक काम किया हैं, सभी स्तरों पर सहयोग और भागीदारी को मजबूत बनाया है जिससे अच्छे नतीजे सामने आए हैं।
सीमा विवाद का असर हमारे रिश्तों पर नहीं पड़ना चाहिए वांग यी ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद या अन्य मुद्दों का असर दोनों देशों के रिश्तों पर नहीं पड़ना चाहिए। दोनों देशों के पास इतनी समझ और क्षमता है कि जब तक सीमा विवाद का सही हल नहीं निकलता, तब तक वे सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रख सकते हैं।

तस्वीर लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प की है। इसी के बाद दोनों देशों के बीच विवाद गहराया।
भारत और चीन मिलकर ग्लोबल साउथ को मजबूत करेंगे
वांग ने कहा कि भारत और चीन को अपने रिश्तों को सीमा विवाद से परिभाषित नहीं करना चाहिए, न ही किसी खास मतभेद को अपने पूरे रिश्ते पर हावी होने देना चाहिए। उन्होंने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि भारत और चीन ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं और उनकी जिम्मेदारी है कि वे दबाव की राजनीति और वर्चस्ववाद का विरोध करें। वांग ने कहा कि अगर भारत और चीन साथ मिलकर काम करें, तो अंतरराष्ट्रीय मामलों में लोकतंत्र बढ़ेगा और ग्लोबल साउथ मजबूत होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि 2025 में भारत और चीन के कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है। चीन भारत के साथ मिलकर पिछले वर्षों के अनुभवों से सीखने और भविष्य में रिश्तों को मजबूती देने के लिए तैयार है। 2024 में भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के अंतिम दो विवादित क्षेत्रों- डेपसांग और डेमचोक से सैनिकों को हटाने पर सहमति बनाई, जिससे चार साल से चला आ रहा तनाव खत्म हुआ।
जनवरी में चीन यात्रा पर गए थे भारतीय विदेश सचिव
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री जनवरी में दो दिवसीय यात्रा पर चीन गए थे। छह हफ्ते से भी कम समय में यह भारत की तरफ से चीन के लिए दूसरी हाई-प्रोफाइल यात्रा थी। इससे पहले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल दिसंबर में भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की 23वीं बैठक में शामिल होने पहुंचे थे। इस बैठक में दोनों देशों के अधिकारी तिब्बत से कैलाश मानसरोवर यात्रा को जल्द शुरू करने, सीमा-पार नदी सहयोग और नाथूला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमत हुए थे।

दिसंबर में बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच बैठक हुई थी।
गलवान में 15 जून 2020 को झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे
15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगहों पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं।
इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे।