Harsh-Vyas water play today | हर्ष-व्यास पानी का खेल आज: हर्षों के चौक में दो घंटे तक एक-दूसरे की पीठ पर पानी से वार करेंगे दोनों जाति के युवा – Bikaner News

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बीकानेर में मंगलवार की दोपहर हर्षों के चौक में दो जातियों के बीच “जल-युद्ध” होगा। कहने को ये युद्ध है लेकिन हकीकत में दो जातियों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने का तीन शताब्दी पुराना प्रयास है। हर साल की तरह होली से पहले दोनों जातियों के बीच करीब दो घं

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पिछले तीन सौ साल से बीकानेर के हर्षों के चौक में ये खेल हो रहा है। इसके लिए सड़क पर ही पानी के बड़े कड़ाव रखे जाते हैं। जिसमें टैंकरों से पानी भरा जाता है। सारे टैंकर भरने के बाद दोनों जाति के युवा अपनी-अपनी डोलची लेकर पहुंचते हैं। इस डोलची में पीछे तो ग्लास की तरह गोल हिस्सा होता है लेकिन आगे जाकर ये नुकीला हो जाता है। पानी भरने के बाद इसी डोलची से एक-दूसरे की पीठ पर जोर से वार किया जाता है। कुछ लोग इस दिन अतिरिक्त कपड़े पहनकर पहुंचते हैं ताकि वार का असर कम हो लेकिन कुछ युवा बिना बनियान पहने भी पहुंचते हैं ताकि सामने वाले को वार करने का पूरा आनन्द आ सके। हर्ष और व्यास जाति के बच्चों से बुजुर्ग तक इस मौके पर उपस्थित रहते हैं। युवाओं के साथ बच्चे और बुजुर्ग भी एक-दूसरे पर जमकर पानी से वार करते हैं।

क्यों शुरू हुआ ये खेल

दरअसल, हर्ष और व्यास जाति के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद हो गया था। दोनों जातियों के बीच झगड़ा इतना बढ़ा कि तोड़फोड़ की गई। तब दोनों जातियों के लोगों ने मिलकर इस झगड़े को खत्म किया। संवाद हीनता खत्म करने के लिए दोनों के बीच हर साल होली से पहले पानी डोलची का खेल शुरू किया गया। इस दौरान दोनों एक दूसरे के खिलाफ हंसी मजाक और हास्य के लिए गेवर के गीतों के माध्यम से टिप्पणी भी करते हैं लेकिन कोई बुरा नहीं मानता।

इससे बढ़ता है प्रेम

हर्ष समाज के एडवोकेट शंकरलाल हर्ष का कहना है कि दोनों समाज के लोगों का मानना है कि इससे आपसी प्रेम बढ़ता है। साल में एक दिन ऐसा आयोजन आपसी वैमनस्य को खत्म करते हुए रिश्ते बनाए रखने में सहयोग करता है। वहीं वास्तुविद् राजेश व्यास का कहना है कि बचपन से एक-दूसरे पर पानी से वार करके आपसी रिश्ते करते आए हैं।

डेढ़ बजे शुरू होगा खेल

आयोजन से जुड़े गिरिराज हर्ष ने बताया कि मंगलवार को ये खेल दोपहर डेढ़ बजे शुरू होगा। करीब दो घंटे तक चलने वाले इस खेल के बाद दोनों जातियों के लोग गेवर निकालते हैं। गुलाल उछालकर खेल के समापन की सांकेतिक घोषणा की जाती है। व्यास जाति की ओर से पंच मक्खन व्यास व्यवस्था को संभालते हैं।

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