श्री अकाल तख्त साहिब पर नतमस्तक होने पहुंचे ज्ञानी रघबीर सिंह।
श्री अकाल तख्त साहिब के नव-नियुक्त जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की ताजपोशी पर पूर्व जत्थेदार और श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जब किसी जत्थेदार की ताजपोशी अनुशासन और
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ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि हाल ही में हुई ताजपोशी को लेकर देश-विदेश से लोग फोन करके सवाल पूछ रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर व्यक्तिगत रूप से कोई टिप्पणी करने से मना किया है, क्योंकि वह नहीं चाहते कि इस मामले पर कोई विवाद पैदा हो।
ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि जब किसी जत्थेदार की नियुक्ति होती है, तो इस प्रक्रिया को बहुत सम्मान और मर्यादा के साथ किया जाता है। पहले मीडिया में इसकी सूचना दी जाती है और बाद में यह सूचना विभिन्न जत्थेबंदियों, टकसालों, संप्रदायों और संत महापुरुषों को भेजी जाती है।

जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की ताजपोशी की तस्वीरें।
जानें क्या है ताजपोशी की मर्यादा
ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि गुरु की हाजरी में गुरमत समागम होता है, फिर पहुंची प्रमुख शख्सियतें स्पीकर पर बोलती हैं और गुरु चरणों में अरदास की जाती है, हुकमनामा पढ़ा जाता है, कड़ा प्रसाद की देग की जाती है, फिर श्री अकाल तखत साहिब पर जत्थेदार की ताजपोशी का समागम होता है।
ताजपोशी के समय श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी, श्री अकाल तखत साहिब की फसील से जत्थेदारी देने का माइक से ऐलान करते हैं और संगत की ओर से जैकारे लगाकर उसकी मंजूरी दी जाती है। फिर श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी पहले दस्तार पहनाते हैं, और इसके बाद वहां पहुंची हुई संगत भी दस्तार पहनाती हैं, फिर श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार की ताजपोशी होती है।
श्री अकाल तखत साहिब से ही तखत श्री केसगढ़ साहिब और तखत श्री दमदमा साहिब के जत्थेदारों का ऐलान भी श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार द्वारा किया जाता है। उसका जो मता होता है, वह जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ही पढ़कर सुनाते हैं। जो पिछले दो दिनों में हुआ है, उससे संगत के मन को भी ठेस पहुंची है।
पारंपरिक रूप से होती है ताजपोशी
उन्होंने यह भी कहा कि ताजपोशी से पहले यह पूरी प्रक्रिया पारंपरिक रूप से होती है, लेकिन हाल में जो घटनाएं हुई हैं, उन पर पंथ के मन में आक्रोश है। ताजपोशी के समय गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश से पहले पालकी साहिब को मथा टेकने का कार्य किया गया और शस्त्र भी उचित तरीके से प्रस्तुत नहीं किए गए, जो कि मर्यादा का उल्लंघन है।
ज्ञानी रघबीर सिंह ने सिख समुदाय से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर गहरे सोच-विचार करें और इस पर विचार करें कि सिख पंथ की मर्यादाओं का उल्लंघन होना पंथ के लिए ठीक नहीं है।