Water Resources Department found ‘opportunity in disaster’ | जल संसाधन विभाग ने ‘आपदा में अवसर’ ढूंढा: कार्यव्यवस्था के नाम पर 22 इंजीनियर बदले, बॉर्डर पर हालात सुधरे तब छूट की आड़ में 9 और तबादले – Jaipur News

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प्रदेश में अभी तबादलों पर प्रतिबंध है। इस बीच ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमावर्ती जिलों में पदों को भरने के लिए 8 मई को छूट दी गई। छूट के नाम पर जल संसाधन विभाग में मनमर्जी से तबादले कर हित साधे जा रहे हैं। विभाग ने पहले 14 मई को आदेश जारी कर 22 इंजीनियरो

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आदेश में कइयों के आगे ‘विशेष विवरण’ में छूट के आदेश का हवाला भी दिया, जबकि सीमा पर स्थितियां सामान्य हैं। इसी आदेश में किसी इंजीनियर को जैसलमेर से तारानगर तो किसी को अजमेर भेजा गया। इसी तरह सांचोर से कामां और हनुमानगढ़ से आईटी सेल जयपुर का भी चार्ज दिया गया। सवाल है क्यों बॉर्डर एरिया में पोस्टिंग दी जा रही है और क्यों उसी लिस्ट में वहीं से हटाए जा रहे हैं।

हजारों अफसर-कर्मचारी प्रतिबंध हटने का इंतजार कर रहे, यहां बिना मंजूरी गली निकाल जयपुर तक लाए: 14मई को विभाग ने कार्यव्यवस्था के नाम एक साथ 22 इंजीनियरों को बदला है। जबकि कार्यव्यवस्था में कुछेक तबादले किए जाने की परंपरा है। यहां विभाग ने तबादलों पर प्रतिबंध के दौरान कोई मंजूरी नहीं ली। एक ही आदेश में जेईएन से एक्सईएन तक के कार्यक्षेत्र बदले गए हैं। बताया जा रहा है कि ज्यादातर इंजीनियरों को ईआरसीपीसीएल में लगाया है, ऐसे में उनकी जगह बाकियों को समायोजित किया है।

जैसलमेर-हनुमानगढ़ से चूरू और जयपुर में दी गई चहेते इंजीनियरों को पोस्टिंग

एसई: 13 जून को 9 इंजीनियरों के तबादले हुए। इसमें अधीक्षण अभियंता महेश चंद परेवा को कार्यालय अतिरिक्त मुख्य अभियंता (पश्चिम) सीएडी बीकानेर से ओएफडी वृत्त सीएडी बीकानेर में ही लगाया। बिल्डिंग एक ही है। परेवा पहले दूसरी मंजिल पर बैठते थे, वो अब प्रथम तल पर बैठेंगे। इसमें ‘विशेष विवरण की’ टिप्पणी दी कि ‘सीमावर्ती जिलों में स्थानांतरण, पदस्थापन की छूट के दृष्टिगत।’ जबकि एक ही स्टेशन है। केवल बैन को धता बताने के लिए छूट वाले सर्कुलर का सहारा लिया गया।

एक्सईएन: एक्सईएन रामनिवास मंडा को जिला परिषद बांसवाड़ा से रावतसर कर दिया। यह पद अमीचंद के सेवानिवृति से बाद खाली हुआ था। जबकि ‘विशेष विवरण’ में सीमावर्ती जिलों में स्थानांतरण/पदस्थापन की छूट के दृष्टिगत बताया है।

एईएन: रोहित ढाका को जैसलमेर से तारानगर में लगाया है, जो बॉर्डर एरिया नहीं है। यहां भी टिप्पणी में सीमावर्ती जिलों में छूट की बात लिखी। ढाका जैसलमेर में थे, जो कि बॉर्डर एरिया में आता है। यानी बॉर्डर से नॉन बॉर्डर एरिया चूरू में लाए हैं। एक्सईएन: इसी आदेश में मनमोहन सिंह को कार्यव्यवस्था के नाम जैसलमेर जैसे बॉर्डर एरिया से अजमेर लगाया है।

“एसीएस अभय कुमार ने कहा कि ‘इनको कार्यव्यवस्था के तहत ईआरसीपीसीएल प्रोजेक्ट में लगाया है।’ 13 मई के तबादलों पर उन्होंने स्पष्ट कुछ नहीं कहा। इधर, मंत्री सुरेश सिंह रावत तक पीएस के जरिये दो बार मैसेज भेजा, पर जवाब नहीं आया।”

कार्यव्यवस्था और अतिरिक्त चार्ज के नाम पर उपकृत

एईएन ओमप्रकाश शर्मा को कोटा से जयपुर, भूपसिंह को सांचौर से कामां (भरतपुर) लगाया है। वहीं अतिरिक्त चार्ज के नाम पर बॉर्डर एरिया हनुमानगढ़ में सीताराम स्वरूप को जयपुर आईटी सेल की जिम्मेदारी दी है। यानी ये बॉर्डर एरिया से यहां के काम देखेंगे। सवाल है जब बॉर्डर एरिया में काम नहीं है तो फिर छूट के तहत लगाने का क्या फायदा? जबकि कई बाकियों को बॉर्डर एरिया में लगाया गया।

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