PM Narendra Modi Podcast LIVE Updates; Lex Fridman | Pakistan Proxy War | PM मोदी का 3 घंटे का इंटरव्यू: कहा- पाकिस्तान को पीस नहीं, प्रॉक्सी वॉर पर भरोसा; नवाज को शपथ में बुलाया, विश्वासघात हुआ

Actionpunjab
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नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले

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प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को लेक्स फ्रिडमैन के साथ 3 घंटे के इंटरव्यू में कहा कि मेरी ताकत मेरे नाम में नहीं बल्कि 1.4 अरब भारतीयों और देश की कालातीत संस्कृति और विरासत के समर्थन में निहित है। जब मैं विश्व के नेताओं से हाथ मिलाता हूं, तो ऐसा मोदी नहीं बल्कि 1.4 अरब भारतीय करते हैं।

जब भी हम शांति की बात करते हैं, तो दुनिया हमारी बात सुनती है, क्योंकि भारत गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है। मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित किया था, ताकि एक नया अध्याय शुरू कर सकूं, लेकिन शांति के हर प्रयास का सामना दुश्मनी और विश्वासघात से हुआ।

पाकिस्तान के लोग शांति चाहते हैं। हम पूरी ईमानदारी से आशा करते हैं कि पाकिस्तान को एक दिन सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का रास्ता अपनाएगा।अपनी आलोचना के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- मैं किसी भी तरह की आलोचना का स्वागत करता हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह लोकतंत्र की आत्मा है।

9 पॉइंट में पीएम मोदी का इंटरव्यू

RSS पर RSS ने देश के लिए जीना सिखाया जवाब: RSS में हमें जो मूल्य सिखाया गया, उनमें से एक यह था कि आप जो भी करें, उसे उद्देश्यपूर्ण तरीके से करें। आप पढ़ाई करते हैं, तो राष्ट्र के लिए योगदान देने के लिए पर्याप्त सीखने के लक्ष्य के साथ पढ़ाई करें।

आप व्यायाम करते हैं, तो राष्ट्र की सेवा करने के लिए अपने शरीर को मजबूत बनाने के उद्देश्य से करें। यही हमें सिखाया गया था।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर मोदी बोले- संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन विफल कोविड ने हर देश की सीमाओं को उजागर किया है। इससे सीखने के बजाय दुनिया और अधिक विखंडित हो गई है। वैश्विक नियमों को लागू करने में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन विफल रहे। स्थिरता बनाए रखने के लिए बनाई गई संस्थाएं प्रासंगिकता खो रही हैं। जो लोग कानूनों की अनदेखी करते हैं, उन्हें कोई परिणाम नहीं भुगतना पड़ता।

गुजरात दंगों पर अब राज्य में स्थायी शांति बनी है 24 फरवरी 2002 को मैं पहली बार निर्वाचित प्रतिनिधि बने और 27 फरवरी, 2002 को गोधरा कांड हुआ, जिसने प्रदेश में हिंसा भड़का दी। गुजरात में 2002 से पहले भी 250 से अधिक दंगे हो चुके थे। 1969 का दंगा छह महीने तक चला था। 2002 के दंगे दुखद थे, लेकिन उसके बाद राज्य में स्थायी शांति बनी। सरकार के खिलाफ कई आरोप लगाए गए, लेकिन न्यायपालिका ने दो बार जांच के बाद उन्हें निर्दोष करार दिया।

पाकिस्तान पर पाकिस्तान के लोग आतंक में रहने से थक गए होंगे 2014 में मैं जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाला था तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। उम्मीद थी कि दोनों देश एक नया अध्याय शुरू करेंगे।

हालांकि शांति का हर नेक प्रयास का सामना दुश्मनी और विश्वासघात से हुआ। पाकिस्तान के लोग शांति चाहते हैं। वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहने से थक गए होंगे।

चीन पर भारत-चीन को प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं राष्ट्रपति शी के साथ मेरी बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है। हम 2020 से पहले के स्तर पर स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं। विश्वास में समय लगेगा, लेकिन हम बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने संघर्ष के बजाय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। 21वीं सदी एशिया की सदी है। भारत और चीन को स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं।

महात्मा गांधी पर बापू सिर्फ 20वीं सदी नहीं हर सदी के महान नेता हैं महात्मा गांधी सिर्फ 20वीं सदी नहीं हर सदी के महान नेता हैं। जहां तक मोदी का सवाल है मेरे पास एक दायित्व है। लेकिन दायित्व इतना बड़ा नहीं है जितना देश बड़ा है। मेरी ताकत मोदी नहीं, 140 करोड़ देशवासी हैं। मैं जहां भी जाता हूं, वहां मोदी नहीं जाता वहां 140 करोड़ लोगों का विश्वास जाता है। इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता से हाथ मिलाता हूं तो मोदी हाथ नहीं मिलाता है। 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है। ये सामर्थय मोदी का नहीं भारत का है।

क्रिकेट पर भारत-पाक मैच रिजल्ट ने बताया कौन बेहतर अगर आप खेल की तकनीक के बारे में कहेंगे तो मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं। ये बात वही बता सकते हैं जो तकनीक के बारे में जानते हैं। वही बता सकते हैं कि किस प्लेयर की तकनीक अच्छी है और किसकी खराब। लेकिन कई बार परिणाम उस खिलाड़ी के बारे में बोलते हैं। कुछ दिन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच एक मैच हुआ था। नतीजे इस बात को बता देते हैं कि कौन सी टीम बेहतर है। इससे हमें पता चलता है कौन बेहतर है।

फुटबॉल पर MP के शहडोल में मिनी ब्राजील मध्य प्रदेश का शहडोल आदिवासी जिला है। मैं वहां गया तो करीब 80 से 100 युवाओं ने स्पोर्ट्स यूनिफॉर्म पहनी थी। इनमें कुछ बूढ़े थे। मैं उनके पास गया और पूछा कि आप लोग कहां से हैं तो उन्होंने मुझसे कहा कि हम मिनी ब्राजील से हैं। मैं आश्चर्यचकित रह गया।

मैंने उनसे पूछा कि ये मिनी ब्राजील क्या है। उन्होंने बताया कि हम अपने गांव को मिनी ब्राजील कहते हैं। हमारे गांव में चार-पांच पीढ़ियों से लोग फुटबॉल खेलते हैं। करीब 80 नेशनल प्लेयर्स हमारे गांव से निकले हैं। हमारा पूरा गांव फुटबॉल को समर्पित है। जब हमारे यहां राष्ट्रीय फुटबॉल समारोह होता है तो आसपास के गांव से करीब 20-25 हजार लोग मैच देखने आते हैं।

ट्रम्प पर ट्रम्प साहसी, वो अपने फैसले खुद लेते हैं ह्यूस्टन में एक प्रोग्राम था हाउडी मोदी। मैं और राष्ट्रपति ट्रम्प दोनों वहां थे और स्टेडियम पूरा भरा हुआ था। अमेरिका में इतनी बड़ी भीड़ का इकट्ठा होना ही एक बहुत बड़ा मौका था। मैं भाषण दे रहा था। ट्रम्प नीचे बैठकर सुन रहे थे। यह उनका बड़प्पन है। अमेरिका का राष्ट्रपति स्टेडियम में भीड़ के बीच नीचे बैठकर सुन रहा है। मैं भाषण दे रहा हूं। मैं भाषण देने के बाद ट्र्म्प के पास गया और ऐसे ही उनसे कहा कि क्यों न हम दोनों एकसाथ इस स्टेडियम का एक चक्कर लगाएं। बहुत सारे लोग हैं यहां चलते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। अमेरिकी जीवन में ये बात आपके लिए असंभव सी है कि राष्ट्रपति हजारों की भीड़ में चले। लेकिन ट्रम्प बिना एक पल भी इंतजार किए मेरे साथ चल पड़े। ट्रम्प के पास साहस है और वो अपने फैसले खुद लेते हैं।

मोदी का इंटरव्यू लेने वाले फ्रिडमैन इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर इंजीनियर और AI रिसर्चर

लेक्स फ्रिडमैन का जन्म रूस के चकालोव्स्क में 15 अगस्त 1983 को हुआ था। सोवियत संघ के बिखरने के बाद उनका परिवार अमेरिका के शिकागो आ गया था। उन्होंने अमेरिका में ही इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में पीएचडी की है। वे AI रिसर्चर हैं।

फ्रिडमैन अपने पॉडकास्ट में अमेरिकन प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प, टेस्ला CEO इलॉन मस्क, मेटा CEO मार्क जुकरबर्ग, अमेजन CEO जेफ बेजोस, ओपन AI CEO सेम ऑल्टमैन, यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर जेलेंस्की और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इंटरव्यू कर चुके हैं।

PM मोदी का पूरा इंटरव्यू पढ़ने के लिए ब्लॉग से गुजर जाएं…

लाइव अपडेट्स

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सवाल: मैंने कई लोगों से सुना है कि जितने लोगों को वे जानते हैं, उनमें आप सबसे ज्यादा मेहनती हैं। आप हर दिन कई घंटे काम करते हैं क्या आप थकते नहीं हैं? आपके धैर्य और ताकत का सोर्स क्या है?

जवाब: मैं आसपास के लोगों को देखता हूं तो लगता है ये मेरे से ज्यादा काम करते हैं। किसान को देखता हूं कि दिन-रात खेती में लगे रहते हैं। हमारे देश के जवान बॉर्डर पर, पहाड़ों पर, हर मौसम में सुरक्षा करते हैं। घर की महिलाएं सुबह से शाम तक परिवार की जिम्मेदारी उठाती हैं। मेरी जिम्मेदारी मुझे आगे बढ़ाती है। जो जिम्मेदारी देशवासियों ने मुझे दी है, मुझे हमेशा लगता है कि मैं पद पर मौज मस्ती के लिए नहीं आया हूं। मेरे प्रयास में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। चुनाव के दौरान मैं कहता हूं कि मैं कभी भी परिश्रम करने से पीछे नहीं हटूंगा। अपने लिए कुछ नहीं करूंगा। ये मेरी कसौटियां हैं, इन्हीं पर खुद को तोलता हूं।

31 मिनट पहले

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सवाल: आपने इस बारे में बात की है आपके पास दुनिया में शांति स्थापित करने का कौशल है, अनुभव है, जियो पॉलिटिकल दबदबा है। आज दुनिया में कई वॉर चल रही हैं। आप शांति की स्थापना कैसे करेंगे। दो देशों के बीच शांति बनाने के लिए क्या कर सकते हैं, उदाहरण के लिए रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा वॉर?

जवाब: मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जो भगवान बुद्ध की भूमि है, जो महात्मा गांधी की भूमि है। ये ऐसे महापुरुष हैं जिनके उपदेश, व्यवहार शांति को समर्पित है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से हमारा बैकग्राउंड इतना मजबूत है कि जब हम शांति की बात करते हैं तो विश्व हमें सुनता है। हम संघर्ष के पक्ष में नहीं है। हम शांति चाहते हैं। इसमें अगर कोई भूमिका अदा कर सकते हैं तो हम करते हैं। मेरा रूस और यूक्रेन दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध है। मैं राष्ट्रपति पुतिन के सामने बैठकर मीडिया से कह सकता हूं कि ये वॉर का समय नहीं है। मैं जेलेंस्की को भी एक मित्रभाव से उनको कहता हूं कि भाई दुनिया कितनी ही आपके साथ खड़ी क्यों न हो जाए। परिणाम युद्ध भूमि पर नहीं बातचीत से ही निकलने वाला है। युद्ध के चलते पूरी दुनिया को नुकसान हुआ है। मैं न्यूट्रल नहीं हूं, मेरा पक्ष शांति का है।

41 मिनट पहले

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सवाल: गांधी 20वीं सदी के सबसे महान नेताओं में से एक थे। आप 21वीं सदी के महान नेताओं में से एक हैं। ये दोनों समय अलग हैं, आप जियो पॉलिटिक्स के खेल में काफी कुशल हैं। आप बड़े देशों के साथ भी अच्छे से बातचीत करके रास्ता निकाल देते हैं। तो बेहतर क्या है लोगों का आपसे प्यार करना या आपसे डरना। आप इसका संतुलन कैसे बनाते हैं?

जवाब: देखिए महात्मा गांधी सिर्फ 20वीं सदी नहीं हर सदी के महान नेता हैं। जहां तक मोदी का सवाल है मेरे पास एक दायित्व है। लेकिन दायित्व इतना बड़ा नहीं है जितना देश बड़ा है। मेरी ताकत मोदी नहीं, 140 करोड़ देशवासी हैं। मैं जहां भी जाता हूं, वहां मोदी नहीं जाता वहां 140 करोड़ लोगों का विश्वास जाता है। इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता से हाथ मिलाता हूं तो मोदी हाथ नहीं मिलाता है। 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है। ये सामर्थय मोदी का नहीं भारत का है। 2014 में जब मैं पीएम कैंडीडेट बना तो सवाल उठते थे कि मोदी तो एक राज्य का नेता है। यह विदेश नीति कैसे संभाल पाएगा। तब मैंने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत अब न आंख झुकाकर बात करेगा, न आंख उठाकर बात करेगा। अब हिंदुस्तान आंख में आंख मिलाकर बात करेगा। मेरे लिए मेरा देश सबसे पहले है।

58 मिनट पहले

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सवाल: आप 8 साल की उम्र में RSS से जुड़े, जो हिंदू राष्ट्रवाद के विचार का समर्थन करता है। RSS का आप पर क्या प्रभाव पड़ा?

जवाब: बचपन में कुछ न कुछ करते रहना मेरा स्वभाव था। मुझे याद है कि मेरे यहां एक माकोसी थे, मुझे नाम ठीक से याद नहीं। वे सेवादल के हुआ करते थे। वे अपने पास एक डफली रखते थे और देशभक्ति के गीत गाते थे। मैं पागल की तरह उनको सुनता था। मुझे मजा आता था, क्यों आता था पता नहीं। ये मेरे मन को छूता था। इसके बाद हम संघ में आ गए। संघ एक बहुत बड़ा संगठन है, दुनिया में इतना बड़ा स्वंयसेवी संगठन कहीं और होगा, मैंने नहीं सुना। करोड़ों लोग इसके साथ जुड़े हैं। संघ को समझना इतना सरल नहीं है। देश ही सबकुछ है, जनसेवा ही प्रभुसेवा है, ये बातें संघ के लोग ही कहते हैं। मेरा सौभाग्य है कि ऐसे पवित्र संगठन से मुझे संस्कार मिले।

12:49 PM16 मार्च 2025

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सवाल- आप RSS में कैसे शामिल हुए

मोदी ने कहा, हमारे गांव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा थी, जहां हम खेलते थे और देशभक्ति के गीत गाते थे। उन गीतों की कुछ बातें मुझे बहुत छू गईं। उन्होंने मेरे अंदर कुछ हलचल पैदा कर दी और इस तरह मैं आखिरकार RSS का हिस्सा बन गया।

RSS में हमें जो मूल्य सिखाया गया, उनमें से एक यह था कि आप जो भी करें, उसे उद्देश्यपूर्ण तरीके से करें। यहां तक कि जब आप पढ़ाई करते हैं, तो राष्ट्र के लिए योगदान देने के लिए पर्याप्त सीखने के लक्ष्य के साथ पढ़ाई करें।

यहां तक कि जब आप व्यायाम करते हैं, तो राष्ट्र की सेवा करने के लिए अपने शरीर को मजबूत बनाने के उद्देश्य से करें। यही हमें सिखाया गया था। और आज, RSS एक विशाल संगठन है। यह अब अपनी 100वीं वर्षगांठ के करीब है। ऐसा विशाल स्वयंसेवी संगठन शायद ही दुनिया में कहीं और मौजूद हो।

लाखों लोग इससे जुड़े हुए हैं, लेकिन RSS को समझना इतना आसान नहीं है। इसके काम की प्रकृति को सही मायने में समझने के लिए प्रयास करना चाहिए। किसी भी चीज से ज्यादा, RSS आपको एक स्पष्ट दिशा प्रदान करता है, जिसे वास्तव में जीवन में उद्देश्य कहा जा सकता है। दूसरा- राष्ट्र ही सब कुछ है, और लोगों की सेवा करना भगवान की सेवा करने के समान है।

12:44 PM16 मार्च 2025

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सवाल: 17 साल की उम्र में एक रोमांचक मोड़ आता है, जब आप घर छोड़कर दो साल तक हिमालय में घूमते रहे। आप सच और भगवान की तलाश में थे। आपका जीवन संन्यासी वाला था। उस अनुभव के बारे में बताएं?

जवाब: आपने लगता है कि काफी मेहनत की है। मैं इस विषय में ज्यादा बातें नहीं करता हूं, लेकिन कुछ बातें बताता हूं। मुझे वहीं लोगों के बीच में रहना होता था। गांव में लाइब्रेरी थी, वहां किताबों में पढ़ता था कि खुद को कैसे बेहतर बनाएं। मैं भी अपने साथ ऐसे ही कई प्रयोग करता था। दिसंबर में ठंड में, मैं तय करता था कि खुले में सोऊंगा। देखते हैं सर्दी लगती है कि नहीं। मैं बचपन से ही ऐसे प्रयोग कर लेता था। फिर जब हिमालय की तरफ निकला। वहां कई तपस्वी लोगों से मिला। लेकिन मेरा मन स्थिर नहीं था। वहां का मौसम अलग था। बर्फीले पहाड़ों में रहता था। साधना की। लोगों की सेवा की। एक बार वहां प्राकृतिक आपदा आई थी, मैं वहां गांववालों की मदद करने लगा था। मैं एक जगह ज्यादा दिनों तक नहीं रहता था।

12:42 PM16 मार्च 2025

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मोदी बोले- संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन की विफलता से नियम टूट रहे

वैश्विक संघर्ष पर मोदी ने यूक्रेन, मध्य पूर्व और अमेरिका-चीन संबंधों में संघर्षों सहित बढ़ते वैश्विक तनावों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, कोविड ने हर देश की सीमाओं को उजागर किया है। इससे सीखने के बजाय दुनिया और अधिक विखंडित हो गई है।

उन्होंने वैश्विक नियमों को लागू करने में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों की विफलता की आलोचना करते हुए कहा- स्थिरता बनाए रखने के लिए बनाई गई संस्थाएं प्रासंगिकता खो रही हैं। जो लोग कानूनों की अनदेखी करते हैं, उन्हें कोई परिणाम नहीं भुगतना पड़ता।

विस्तारवाद से सहयोग की ओर बदलाव की वकालत करते हुए मोदी ने दोहराया- दुनिया एक दूसरे पर निर्भर है। कोई भी देश अकेले नहीं खड़ा हो सकता। आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता शांति सहयोग और विकास है।

12:39 PM16 मार्च 2025

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सवाल- हां फुटबॉल एक ऐसा खेल है जो न सिर्फ इंडिया बल्कि पूरी दुनिया को जोड़ता है। ये दिखाता है कि खेल की ताकत क्या होती है। आपने हाल ही में अमेरिका का दौरा किया और ट्रम्प के साथ अपनी दोस्ती को एक बार फिर मजबूत किया। एक दोस्त और एक नेता को तौर पर आपको डोनाल्ड ट्रम्प की क्या बात अच्छी लगती है?

जवाब- मैं एक घटना आपके साथ शेयर करना चाहूंगा। शायद आप उसके जरिये यह समझ पाएंगे कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं। ह्यूस्टन में एक प्रोग्राम था हाउडी मोदी। मैं और राष्ट्रपति ट्रम्प दोनों वहां थे और स्टेडियम पूरा भरा हुआ था। अमेरिका में इतनी बड़ी भीड़ का इकट्ठा होना ही एक बहुत बड़ा मौका था। खेल कूद में ऐसा होता है लेकिन किसी राजनीतिक रैली में होना बड़ी बात थी। भारतीय प्रवासी बड़ी संख्या में वहां पर मौजूद थे। हम दोनों ही भाषण दे रहे थे और ट्रम्प नीचे बैठकर हमें सुन रहे थे। यह उनका बड़प्पन है। अमेरिका का राष्ट्रपति स्टेडियम में भीड़ के बीच नीचे बैठकर सुन रहा है। मैं भाषण दे रहा हूं और वह वहां सुन रहे हैं। यह वाकई उनका बड़प्पन है। मैं भाषण देकर नीचे गया और सभी जानते हैं कि अमेरिका में सुरक्षा कितनी कड़ी होती है। कितने तरह की जांच होती है। मैं भाषण देने के बाद ट्र्म्प के पास गया और ऐसे ही उनसे कहा कि क्यों न हम दोनों एकसाथ इस स्टेडियम का एक चक्कर लगाएं। बहुत सारे लोग हैं यहां चलते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। अमेरिकी जीवन में ये बात आपके लिए असंभव सी है कि राष्ट्रपति हजारों की भीड़ में चले। लेकिन ट्रम्प बिना एक पल भी इंतजार किए मेरे साथ चल पड़े। उनकी सुरक्षा व्यवस्था में जो लगे थे, उनमें खलबली मच गई। मुझे उस पल ने छू लिया। इस पल ने मुझे दिखा दिया कि ट्रम्प के पास साहस है और वो अपने फैसले खुद लेते हैं। दूसरी बात ये कि उन्हें मोदी पर भरोसा है। अगर वो साथ चलने को कह रहे हैं तो चलिए चलते हैं। यह आपसी विश्वास का भाव था, यह बता रहा था कि हम दोनों के बीच मजबूत संबंध है। उस दिन मुझे यह दिखाई दिया। उस दिन मैंने राष्ट्रपति ट्रम्प का जो रूप देखा। अपनी सिक्योरिटी से पूछे बिना हजारों की भीड़ में मेरे साथ चल देना, वह शानदार था।

इस चुनाव प्रचार में जब ट्रम्प पर गोली चली तो मुझे वही डोनाल्ड ट्रम्प नजर आए। हिम्मत वाले और दृढ़ निश्चयी ट्रम्प जो उस दिन मेरा हाथ पकड़कर स्टेडियम में चले धे। गोली लगने के बाद भी अमेरिका के लिए जीना, उनकी जिंदगी अमेरिका के लिए है, उनका दृढ़ निश्चय है कि अमेरिका फर्स्ट. यही भावना उनके भीतर है। मेरे लिए भी देश पहले है, इंडिया फर्स्ट है। इसिलए हम दोनों की जोड़ी जम जाती है। हम इतनी अच्छी तरह से घुलमिल जाते हैं। यही वो चीजें है जो मुझे अपील करती है। दुनियाभर में राजनेताओं के बारे में इतना कुछ छपता है। हर आदमी एक-दूसरे को मीडिया के जरिए आंकता है। ज्यादातर लोग एकदूसरे से मिलकर एक दूसरे को नहीं जान पाते और न ही पहचान पाते हैं। दरअसल आपकी तनाव का कारण भी यही है कि जब तीसरा पक्ष दखलंदाजी करता है।

जब मैं पहली बार व्हाइट हाउस में उनसे मिलने गया, तब प्रेसिडेंट ट्रम्प के बारे में मीडिया में बहुत कुछ छपता था। तब वे नए-नए आए थे। दुनिया में उनकी अलग ही छवि बनी हुई थी। मुझे भी तरह-तरह की बातें बताई गई थीं। मैं व्हाइट हाउस पहुंचा तो पहले ही मिनट में उन्होंने प्रोटोकॉल की सारी दीवारें तोड़ दीं। इसके बाद वे खुद मुझे पूरा व्हाइट हाउस घुमाने ले गए। जब वे मुझे चीजें बता रहे थे तो मैंने देखा कि उनके हाथ में कोई नोट या कागज नहीं था। उनके साथ कोई व्यक्ति नहीं था। और. वे मुझे बता रहे थे कि अब्राहम लिंकन यहां रहते थे। इस टेबल पर इस राष्ट्रपति ने दस्तखत किए थे. ये कमरा इतना बड़ा क्यों है। मेरे लिए यह बहुत प्रभावशाली था कि वे इस संस्थान का कितना सम्मान करते हैं। वे अमेरिका के इतिहास के साथ कितने सम्मानपूर्ण और गहराई से उनका जुड़ाव है। मैं यह महसूस कर रहा था और वे मुझसे खुलकर बात कर रहे थे। यह मेरी उनसे पहली मुलाकात का अनुभव था। मैंने देखा कि पहले कार्यकाल के बाद जब बाइडेन चुनाव जीत गए और यह चार साल का समय बीत गया। इस बीच हम दोनों को जानने वाला कोई भी उनसे मिलता था तो उन्होंने पचासों बार कहा होगा कि मोदी मेरे दोस्त हैं और उन्हें मेरी शुभकामनाएं देना। आमतौर पर ऐसा कम ही होता है। हम आमने सामने भले ही न मिलें. हमारा डायरेक्ट और इनडायरेक्ट कनेक्शन होता रहता है। हमारे बीच का विश्वास अटूट रहा है।

12:37 PM16 मार्च 2025

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मोदी बोले- भारत-चीन को प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं

चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा- हमारे संबंध भविष्य में भी इसी तरह मजबूत बने रहेंगे। राष्ट्रपति शी के साथ मेरी बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है। हम 2020 से पहले के स्तर पर स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं। विश्वास में समय लगेगा, लेकिन हम बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने संघर्ष के बजाय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। 21वीं सदी एशिया की सदी है। भारत और चीन को स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं।

12:28 PM16 मार्च 2025

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सवाल: बचपन में आपका परिवार ज्यादा संपन्न नहीं था। आप एक कमरे के घर में रहते थे। वो भी मिट्टी का घर था। कम सुविधाओं ने कैसे आपके व्यक्तित्व को बेहतर बनाया?

जवाब: मेरा जन्म गुजरात के वडनगर में हुआ। हमारा घर बहुत छोटा था। इस वक्त हम जहां बैठे हैं, वो तब भी बड़ी जगह है। मेरे घर में कोई खिड़की भी नहीं थी। हमने कभी गरीबी का बोझ फील नहीं किया। हमारी मां और पिता बहुत परिश्रम करते थे। पिता जी सुबह 4 बजे घर से निकल जाते थे। वे जो जूते पहनते थे, वो बहुत हार्ड होते थे। उनसे आवाज आती थी लोग आवाज सुनकर घड़ी मिला लेते थे। मैं स्कूल में कभी जूते पहनकर नहीं जाता था। मेरे मामा रास्ते में मिल गए, उन्होंने 12 रुपए के जूते खरीदकर दे दिए। जूते कैनवास के थे। उस पर दाग लग जाते थे। स्कूल से मैं चॉक के टुकड़े घर ले आता था, उन्हें घोलकर अपने सफेद जूतों पर पॉलिश कर लेता था। मेरे लिए वो बहुत बड़ी संपत्ति थी। मुझे कपड़े वगैरह भी ढंग से पहनने की आदत है, अब कैसे है पता नहीं लेकिन बचपन से थी। जो भी हो उसे ठीक से पहनूं।हमारे पास प्रेस कराने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। मैं तांबे के लोटे में गर्म पानी करके उसे चिमटे से पकड़कर कपड़ों में प्रेस कर लेता था। फिर स्कूल चला जाता था।

12:21 PM16 मार्च 2025

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सवाल- मैंने भी वो सीरीज देखी है, द ग्रेटेस्ट राइवलरी इंडिया वर्सेस पाकिस्तान। इसमें बहुत सारे बेहतरीन मैचों और बहुत से बेहतरीन खिलाड़ियों के बारे में बताया गया है। एसी महान टक्कर देखकर अच्छा लगता है। आपने फुटबॉल के बारे में भी बात की, भारत में फुटबॉल बहुत पॉपुलर है। एक और मुश्किल सवाल आपका पसंदीदा फुटबॉल खिलाड़ी कौन है?? हमारे पास मैसी, क्रिश्चियानो रोनाल्डो, मैराडोना, पेले और जिनेदिन जिदान जैसे नाम हैं। आपको आज तक का सबसे महान फुटबॉल खिलाड़ी कौन लगाता है।

जवाब- यह बात सच है कि भारत के कई क्षेत्रों में फुटबॉल खेला जाता है। स्ट्रॉन्ग फुटबॉल कल्चर है। हमारी महिला फुटबॉल टीम अच्छा कर रही है। पुरुष टीम भी अच्छी तरक्की कर रही है। अगर हम इतिहास की बात करें तो 80 के दशक में मैराडोना का नाम उभरकर सामने आता है। हो सकता है कि उस पीढ़ी के लोग उन्हें एक हीरो के रूप में देखते हों। अगर आज की पीढ़ी की बात करोगे आप तो वो मैसी का नाम लेंगे।

आपने पूछा तो मुझे एक दिलचस्प घटना याद आ रही है। हमारे देश में एक क्षेत्र है, जिसे मध्य प्रदेश कहा जाता है। यह भारत के मध्य में है। यहां एक जिला है शहडोल। वह एक आदिवासी जिला है और ज्यादातर आदिवासी आबादी है। मैं वहां महिला स्वसहायता समूह चलाने वाली आदिवासी महिलाओं से बात करता हूं, मुझे यह पसंद है। मैंने उनसे जाकर बात करने का फैसला किया।

मैं वहां गया तो एक बात ने मुझे बहुत प्रभावित किया। करीब 80 से 100 युवाओं ने स्पोर्ट्स यूनिफॉर्म पहन रखे थे। कुछ इनमें से युवा थे और कुछ बूढ़े थे। मैं उनके पास गया और पूछा कि आप लोग कहां से हैं तो उन्होंने मुझसे कहा कि हम मिनी ब्राजील से हैं। मैं आश्चर्यचकित रह गया।

मैंने उनसे पूछा कि ये मिनी ब्राजील क्या है। उन्होंने बताया कि हम अपने गांव को मिनी ब्राजील कहते हैं। हमारे गांव में चार-पांच पीढ़ियों से लोग फुटबॉल खेलते हैं। करीब 80 नेशनल प्लेयर्स हमारे गांव से निकले हैं। हमारा पूरा गांव फुटबॉल को समर्पित है। जब हमारे यहां राष्ट्रीय फुटबॉल समारोह होता है तो आसपास के गांव से करीब 20-25 हजार लोग मैच देखने आते हैं।

मैं आज कल भारत में फुटबॉल का जो क्रेज देख रहा हूं मैं उसे एक शुभ संकेत माानता हूं। क्योंकि ये सिर्फ किसी का पैशन नहीं है, लेकिन ये सच्ची खेल भावना भी पैदा करता है।

12:20 PM16 मार्च 2025

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सवाल- भारत या पाकिस्तान में से कौन सी क्रिकेट टीम बेहतर है? दोनों टीमों के पिच पर दुश्मनी के चर्चे सभी ने सुने हैं और दोनों के बीच जियो पॉलिटिकल तनाव भी है। स्पोर्ट्स जैसे क्रिकेट फुटबॉल संबंध बनाने में बेहतर भूमिका कैसे निभाते हैं?

जवाब- मुझे लगता है कि खेलों में वह ताकत है कि वे पूरी दुनिया को ऊर्जावान बना सकते हैं। खेल भावना अलग-अलग देशों के लोगों को एकसाथ लाती है। मैं इसीलिए कभी खेलों को बदनाम होते नहीं देखना चाहता हूं। मैं हमेशा से ही खेलों का मानव विकास में बहुत बड़ा रोल मानता हूं। ये खेल लोगों को गहराई से जोड़ते हैं। अब सवाल है कि कौन अच्छा है और कौन बुरा। अगर आप खेल की तकनीक के बारे में कहेंगे तो मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं। ये बात वही बता सकते हैं जो तकनीक के बारे में जानते हैं। वही बता सकते हैं कि किस प्लेयर की तकनीक अच्छी है और किसकी खराब। लेकिन कई बार परिणाम उस खिलाड़ी के बारे में बोलते हैं। कुछ दिन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच एक मैच हुआ था। नतीजे इस बात को बता देते हैं कि कौन सी टीम बेहतर है। इससे हमें पता चलता है कौन बेहतर है।

12:20 PM16 मार्च 2025

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सवाल: क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी दुनिया के बड़े नेताओं से मिले हों और पूरी तरह उपवास पर रहे हों। उस वक्त उनका क्या रिएक्शन होता है?

जवाब: ऐसा है मैं ज्यादातर लोगों को पता नहीं चलने देता हूं। जब मैं सीएम, पीएम बना तब लोगों को पता चला। एक बार पीएम बनने के बाद ओबामा के साथ मेरी मीटिंग थी। उस वक्त डिनर भी रखा था। उन्हें बताया गया कि पीएम कुछ खाएंगे नहीं। जब हम बैठे मेरे लिए गर्म पानी आया। मैंने ओबामा जी से मजाक में कहा देखो मेरा भाई मेरा खाना आ गया। बाद में जब मैं दोबारा गया तो उन्हें याद था, इस बार उपवास नहीं हुआ तो दोगुना खाना पड़ेगा।

12:10 PM16 मार्च 2025

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गुजरात दंगों पर बोले- अब राज्य में स्थायी शांति बनी है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में गुजरात दंगों, देश की सुरक्षा स्थिति और अपने शुरुआती राजनीतिक सफर को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि 2002 से पहले देश में लगातार आतंकी हमले और अस्थिरता का माहौल था, जिससे तनाव चरम पर था।

गुजरात दंगों से पहले देश में बड़े आतंकी हमले हुए पीएम मोदी ने कहा कि 1999 में कंधार विमान अपहरण, 2000 में लाल किले पर हमला, 9/11 (2001) अमेरिका आतंकी हमला, जम्मू-कश्मीर विधानसभा और भारतीय संसद पर हमले जैसे कई बड़े घटनाक्रम देश को झकझोर चुके थे। इस दौरान गुजरात भी 2001 के विनाशकारी भूकंप से उबर रहा था।

गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के तीन दिन बाद हुआ गोधरा कांड मोदी ने बताया कि 7 अक्टूबर, 2001 को जब उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री पद संभाला, तब उन्हें प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था। 24 फरवरी, 2002 को वे पहली बार निर्वाचित प्रतिनिधि बने, और 27 फरवरी, 2002 को गोधरा कांड हुआ, जिसने प्रदेश में हिंसा भड़का दी।

गुजरात में पहले भी होते रहे थे दंगे पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात में 2002 से पहले भी 250 से अधिक दंगे हो चुके थे। 1969 का दंगा छह महीने तक चला था। उन्होंने कहा कि 2002 के दंगे दुखद थे, लेकिन उसके बाद राज्य में स्थायी शांति बनी।

न्यायपालिका ने दी क्लीन चिट उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के खिलाफ कई आरोप लगाए गए, लेकिन न्यायपालिका ने दो बार जांच के बाद उन्हें निर्दोष करार दिया। उन्होंने कहा, “जो लोग दोषी थे, उन्हें कानून के तहत सजा दी गई”।

12:08 PM16 मार्च 2025

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मोदी बोले- पाकिस्तान के लोग आतंक में रहने से थक गए होंगे

मोदी ने पाकिस्तान से शांति के सवाल पर कहा- 2014 में मैं जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाला था तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। उम्मीद थी कि दोनों देश एक नया अध्याय शुरू करेंगे।

यह दशकों में किसी भी तरह का अनूठा कूटनीतिक इशारा था। वही लोग जो कभी विदेश नीति के प्रति मेरे दृष्टिकोण पर सवाल उठाते थे, वे तब हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि मैंने सभी सार्क राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया है।

हालांकि शांति का हर नेक प्रयास का सामना दुश्मनी और विश्वासघात से हुआ। पाकिस्तान के लोग शांति चाहते हैं। वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहने से थक गए होंगे। हम पूरी ईमानदारी से आशा करते हैं कि पाकिस्तान को एक दिन सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा।

हमारे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में उस ऐतिहासिक इशारे का वर्णन किया है। उन्होंने कहा- यह इस बात का प्रमाण है कि भारत की विदेश नीति कितनी स्पष्ट और आत्मविश्वासी हो गई है। इसने दुनिया को शांति और सद्भाव के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के बारे में एक स्पष्ट संदेश दिया, लेकिन हमें वांछित परिणाम नहीं मिले।

12:05 PM16 मार्च 2025

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पीएम बोले- महात्मा गांधी की गो-रक्षा की इच्छा थी

हमारे यहां महात्मा गांधी की गो-रक्षा की इच्छा थी। उसको लेकर आंदोलन चल रहा था। उस समय पूरे देश में एक दिन का व्रत करने का कार्यक्रम था। हम तो बच्चे थे, प्राइमरी स्कूल से निकला था। मुझे भी व्रत रखना था। उस उम्र में मुझे नई एनर्जी मिल रही थी। मुझे लगा कि ये कोई साइंस है। धीरे-धीरे इसके बारे में और समझता गया। मैंने देखा है कि उपवास के दौरान मुझे अगर कहीं अपने विचारों को व्यक्त करना है। तो मैं हैरान हो जाता हूं कि ये विचार कहां से आते हैं। कैसे निकलते हैं।

11:57 AM16 मार्च 2025

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सवाल: मैंने पिछले 45 घंटे से व्रत रखा है। खाना नहीं खा रहा, सिर्फ पानी पी रहा। मैंने सुना है आप काफी उपवास रखते हैं, क्या उपवास रखने का कारण बताएंगे?

PM का जवाब: मेरे लिए आश्चर्य की बात है कि आपने व्रत रखा। भारत में जो धार्मिक परंपराएं हैं। वो दरअसल जीवनशैली हैं और हमारी सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू धर्म की बहुत बढ़िया व्याख्या की है। हिंदू धर्म में सिर्फ पूजा करना नहीं है। यह जीवन जीने की कला है। हमारे शास्त्रों में शरीर, मन, आत्मा को ऊंचाई पर ले जाने के रास्ते हैं, परंपराएं हैं। उसमें एक व्रत भी है। मैं सामान्य भाषा में बात करूं तो जीवन को अंदर और बाहर दोनों तरह के अनुशासन में यह काम आता है।

11:46 AM16 मार्च 2025

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रूस में जन्म हुआ, अमेरिका में पढ़ाई की

15 अगस्त 1983 को रूस के चकालोव्स्क में जन्मे फ्रिडमैन मॉस्को में पले-बढ़े। सोवियत संघ के बिखरने के बाद, 11 साल की उम्र में उनका परिवार रूस से शिकागो चला गया।

उन्होंने इलिनोइस के नेपरविले में न्यूक्वा वैली हाई स्कूल में पढ़ाई की और ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बी.एस. और एम.एस. की डिग्री हासिल की। ​​उन्होंने ड्रेक्सेल से इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में पीएचडी भी की है।

गूगल में नौकरी मिली, छह महीने में छोड़कर आ गए फ्रिडमैन को बायोमेट्रिक्स में पीएचडी के लिए गूगल कंपनी में काम मिल गया। लेकिन छह महीने बाद, उन्होंने नौकरी छोड़ दी। फिर बिग-डेटा एनालिटिक्स पर काम करने के लिए अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से बतौर रिसर्च साइंटिस्ट जुड़ गए।

11:46 AM16 मार्च 2025

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2018 में पहला पॉडकास्ट किया, 2020 में नाम बदला

MIT में रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में काम करते हुए फ्रिडमैन ने 2018 में अपना पॉडकास्ट शुरू किया। शुरुआत में इसका नाम द आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पॉडकास्ट रखा। बाद में 2020 में इसका नाम बदलकर द लेक्स फ्रिडमैन पॉडकास्ट कर दिया गया। 2025 में, इस चैनल के 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हो गए।

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