आरयूएचएस में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ तो कम है ही, साथ ही जांच के लिए भी जयपुरिया और एसएमएस अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं। हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न्यूरोसर्जरी विभाग का तो एक भी डॉक्टर अस्पताल में नहीं है और कार्डियक व न्यूर
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आरयूएचएस में मेडिसिन में होने वाली हार्मोन, आयरन, प्रोटीन, विटामिन और बी-12 की जांच नहीं होती। इसके अलावा काडियो में टू डी ईको और ट्रेक मील, न्यूरोलॉजी की एनसीवी और ईएमजी भी नहीं होती। गेस्ट्रोलॉजी की एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी कराने के लिए मरीजों को स्टेट कैंसर हॉस्पिटल भेजा जाता है। राहत की बात यह है कि आरयूएचएस में जरनल सर्जरी, ईएनटी और आंखों की सर्जरी होना शुरू हो गई है। मालूम हो कि अभी आरयूएचएस में हर दिन औसतन 2000 की ओपीडी हो गई है और जांच का दायरा भी बढ़ रहा है।
एक साल में ओपीडी 15 हजार बढ़ी, लेकिन सुविधाएं नहीं
वर्ष 2024 जनवरी में आरयूएचएस की ओपीडी 26,127 थी, जो 2025 जनवरी में 41625 तक हो गई है। वहीं इन्हीं महीनों में आईपीडी 273 से बढ़कर 1024 तक हो गई है। 2025 फरवरी माह में भी ओपीडी 44173 और आईपीडी बढ़कर 1077 तक हो गई है।
प्रताप नगर में बना आरयूएचएस जगतपुरा, वाटिका, सांगानेर सहित आसपास की करीब 10 लाख की आबादी को कवर करता है और बढ़ती आबादी के साथ इमरजेंसी केस भी यहां बढ़े हैं। फरवरी में यहां 2935 और 20 मार्च तक 2028 केस आए हैं। ऐसे में जरूरी है कि अस्पताल में सभी तरह की सुविधाएं, जांच और इलाज शुरू किया जाए।
एमआरआई का टेंडर जारी, कंपनियों के आवेदन करते ही प्रोसेस शुरू
अस्पताल में जल्दी ही न्यूरोलॉजी- न्यूरोसर्जरी के डॉक्टर्स लगाए जाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन ये भी एसएमएस से ही लाए जाएंगे। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि एमआरआई का टेंडर जारी कर दिया गया है। जैसे ही कंपनियां आवेदन करेंगी, पूरे प्रोसेस को जल्द से जल्द किया जाएगा।