Rahul Gandhi letter To PM Modi offshore mining | ऑफशोर माइनिंग टेंडर पर राहुल गांधी की PM को चिट्‌ठी: लिखा- यह समुद्री जीवन के लिए खतरा, सरकार इसे कैंसिल करे

Actionpunjab
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नई दिल्ली4 मिनट पहले

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फोटो AI जनरेटेड है। - Dainik Bhaskar

फोटो AI जनरेटेड है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी का पीएम मोदी के नाम लिखा लेटर सामने आया है। इसमें राहुल ने केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार के तटों पर ऑफशोर माइनिंग की परमिशन देने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है। राहुल ने इसे मरीन इकोसिस्टम और कोस्टल कम्युनिटी की आजीविका के लिए खतरा बताया है।

गांधी ने ऑफशोर एरियाज मिनरल (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 की आलोचना भी की। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस कानून का शुरू से ही विरोध हो रहा था, क्योंकि इसमें पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक दुष्प्रभावों की अनदेखी की गई है।

राहुल ने कहा कि सरकार ने बिना प्रॉपर स्टडी और हितधारकों से परामर्श के ही निजी कंपनियों को ऑफशोर खनन की परमिशन दे दी। इसलिए सरकार इसका टेंडर कैंसिल करे।

राहुल की चिट्‌ठी की बड़ी बातें…

  • कई रिसर्च ऑफ शोर माइनिंग के प्रतिकूल प्रभावों की ओर इशारा करते हैं। इनमें समुद्री जीवन के लिए खतरा, प्रवाल भित्तियों को नुकसान और मछली स्टॉक की कमी शामिल है।
  • जब खान मंत्रालय ने 13 अपतटीय ब्लॉकों के लिए लाइसेंस देने के लिए निविदाएं आमंत्रित कीं, तो इस मनमाने कदम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे।
  • 13 ब्लॉकों में से 3 ब्लॉक कोल्लम के तट पर रेत की माइनिंग और कंस्ट्रक्शन के लिए हैं। ये फिश ब्रीडिंग का महत्वपूर्ण स्थान है। तीन ब्लॉक ग्रेट निकोबार द्वीप समूह के तट पर पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के लिए हैं, जो समुद्री जैव विविधता हॉटस्पॉट है।
  • केरल में 11 लाख लोग मछली पकड़ने पर निर्भर हैं। यह केवल उनका पेशा नहीं, बल्कि उनकी परंपरा और जीवनशैली का हिस्सा है।
  • ग्रेट निकोबार दुनिया भर के वन्यजीवों की कई स्थानिक प्रजातियों का घर है। इन इलाकों में होने वाले नुकसान की भरपाई कभी संभव नहीं होगी।
  • जब हमारे कोस्टल इको सिस्टम में हो रहे नुकसान ने चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को और खराब कर दिया है, यह चिंताजनक है कि सरकार वैज्ञानिक मूल्यांकन के बिना जानबूझकर इन खतरों को हरी झंडी दे रही है।
  • इस पर गहन वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाए और सभी हितधारकों, विशेष रूप से मछुआरा समुदाय, से परामर्श लिया जाए। हमारा समुद्र केवल संसाधन नहीं, बल्कि लाखों लोगों की आजीविका का आधार है।
भारत में अभी पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और तटीय नियमन क्षेत्र (CRZ) नियमों के तहत ऑफ शोर माइनिंग की निगरानी की जाती है।

भारत में अभी पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और तटीय नियमन क्षेत्र (CRZ) नियमों के तहत ऑफ शोर माइनिंग की निगरानी की जाती है।

क्या है ऑफ शोर माइनिंग, जिसे लेकर राहुल ने चिंता जताई है

ऑफशोर माइनिंग समुद्र, झीलों या अन्य वाटर सोर्सेस के नीचे मौजूद खनिजों और संसाधनों के खनन की प्रक्रिया है। यह खनन समुद्र की सतह के नीचे या समुद्री तलहटी में गहराई तक किया जाता है। इस प्रक्रिया में समुद्री बालू, बहुमूल्य धातुएं, तेल, गैस और अन्य खनिजों को निकाला जाता है।

ऑफ शोर माइनिंग 3 तरह की होती है…

  • शेल्फ माइनिंग: यह उथले समुद्री क्षेत्रों में किया जाता है, जहां समुद्र की गहराई कम होती है।
  • डीप-सी माइनिंग: गहरे समुद्र में खनिज निकालने के लिए होती है। इसमें पॉलीमेटालिक नोड्यूल्स, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट-समृद्ध क्रस्ट्स शामिल होते हैं।
  • ऑफशोर ड्रिलिंग: इसमें समुद्र की गहराई में तेल और प्राकृतिक गैस निकाली जाती है।

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