Permission to transplant 26 trees in Supreme Court premises | सुप्रीम कोर्ट परिसर के 26 पेड़ों को ट्रांसप्लांट की मंजूरी: 260 नए पेड़ लगाने के शर्त पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया

Actionpunjab
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नई दिल्ली14 मिनट पहले

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पेड़ों के ट्रांसप्लांट को लेकर जस्टिस जस्मीत सिंह की बेंच ने मंजूरी दी। - Dainik Bhaskar

पेड़ों के ट्रांसप्लांट को लेकर जस्टिस जस्मीत सिंह की बेंच ने मंजूरी दी।

सुप्रीम कोर्ट भवन के विस्तार के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने परिसर में खड़े 26 पेड़ों के ट्रांसप्लांट की मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत नए कोर्टरूम, कॉन्स्टीट्यूशनल कोर्ट, जजों के चैबंर और वकीलों के लिए अच्छी सुविधाएं बनाई जाएंगी।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट प्रोजेक्ट डिविजन-1 और सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 26 पेड़ ट्रांसप्लांट करने की परमिशन मांगी थी। इसको जस्टिस जस्मीत सिंह की बेंच ने मंजूरी दे दी।

इसके बाद अब परिसर में मौजूद 16 पेड़ों को सुप्रीम कोर्ट गेट A और B के बीच बगीचे की किनारे वाली जगह पर ट्रांसप्लांट किया जाएगा। वहीं 10 पेड़ गेट नंबर 1 के पास एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग के कोने में शिफ्ट होंगे।

मंजूरी से पहले कोर्ट ने 260 नए पेड़ लगाने का शर्त रखा था दिल्ली हाईकोर्ट ने पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की इजाजत देने से पहले 26 पेड़ों के बदले 260 नए पेड़ लगाने की शर्त रखी थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुधीर मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि ये सभी 260 पेड़ सुंदर नर्सरी में लगाए जा चुके हैं।

हाईकोर्ट ने कहा- ट्रांसप्लांट के लिए ट्री ऑफिसर नया स्पीकिंग ऑर्डर दे कोर्ट ने कहा कि पेड़ ट्रांसप्लांट को लेकर ट्री ऑफिसर का पहले वाला आदेश (स्पीकिंग ऑर्डर) नहीं माना गया। इस कारण ट्री ऑफिसर को दो हफ्तों के अंदर नया स्पीकिंग ऑर्डर देना होगा। इसमें दिल्ली प्रिजर्वेशन ऑफ ट्रीज एक्ट (DPTA) और पहले के कोर्ट फैसलों के आधार पर पर्मिट देना होगा।

पिछले दिनों तेलंगाना में पेड़ काटने का विरोध हुआ, SC ने हस्तक्षेप किया

पिछले महीने तेलंगाना में हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास 400 एकड़ जमीन पर पेड़ों की कटाई हुई। इसको लेकर हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बड़ी संख्या में विरोध किया। इस पर जब देशभर में विरोध शुरू हुआ तो सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास की जमीन पर किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा- तेलंगाना सरकार को जमीन पर पेड़ों की सुरक्षा के अलावा कोई गतिविधि नहीं करनी चाहिए।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य में पेड़ों की कटाई को बहुत गंभीर बताया। पीठ ने कहा- तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की रिपोर्ट इसकी खतरनाक तस्वीर दिखाती है। रिपोर्ट से पता चलता है कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं।

इसके अलावा पीठ ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से यूनिवर्सिटी के पास की जमीन पर पेड़ काटकर काम शुरू करने की जल्दी पर जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि क्या राज्य ने इस तरह की गतिविधियों (पेड़ों की कटाई) के लिए पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का असेसमेंट सार्टिफिकेट लिया है।

3 तस्वीरों में देखिए तेलंगाना पेड़ कटाई का विरोध…

जमीन को समतल करने और पेड़-पौधे हटाने के लिए कई बुलडोजर आए थे।

जमीन को समतल करने और पेड़-पौधे हटाने के लिए कई बुलडोजर आए थे।

छात्र बुलडोजर पर चढ़कर प्रदर्शन करने लगे। पुलिस उन्हें वहां से हटाने की कोशिश करने लगी।

छात्र बुलडोजर पर चढ़कर प्रदर्शन करने लगे। पुलिस उन्हें वहां से हटाने की कोशिश करने लगी।

पुलिस और छात्रों के बीच खींचतान शुरू हुई। पुलिस प्रदर्शनकारी छात्रों को घसीटकर ले गई।

पुलिस और छात्रों के बीच खींचतान शुरू हुई। पुलिस प्रदर्शनकारी छात्रों को घसीटकर ले गई।

विपक्ष बोला- मोहब्बत की दुकान नहीं, विश्वासघात का बाजा

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