Akshaya Tritiya is one of the four auspicious times, significance of Akshaya Tratiya in hindi, worship tips about akshya tratiya | चार अबूझ मुहूर्त में से एक है अक्षय तृतीया: 30 अप्रैल को बिना मुहूर्त देखे कर सकेंगे विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य, जानिए अक्षय तृतीया की खास बातें

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13 मिनट पहले

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वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया 30 अप्रैल को है। इसे अक्षय तृतीया और आखा तीज कहते हैं। अक्षय यानी जिसका कभी क्षय नहीं होता है। इस तिथि पर किए गए शुभ कामों से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है, ऐसी मान्यता है। साल में कुल चार अबूझ मुहूर्त होते हैं, बसंत पंचमी, भड़ली नवमी, देवउठनी एकादशी और अक्षय तृतीया। इन चारों तिथियों पर बिना मुहूर्त देखे, विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार जैसे शुभ काम किए जा सकते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अक्षय तृतीया धर्म-कर्म के साथ ही दान-पुण्य करने का महापर्व है। इस दिन घर के लिए जरूरी सामान की खरीदारी करने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है। ज्यादा दान न कर सके तो इस दिन कम से कम जल का दान जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीजें लंबे समय तक खराब नहीं होती हैं। इस तिथि पर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा भी है।

अक्षय तृतीया और भगवान विष्णु के अवतार

पुराने समय में वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अवतार लिया था। परशुराम चिरंजीवी (अमर) माने गए हैं, इस कारण इनकी जन्म तिथि को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है। इनके अलावा भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव अवतार भी इसी तिथि पर हुए थे। इस वजह से अक्षय तृतीया का महत्व काफी अधिक है।

अक्षय तृतीया पर करें ये शुभ काम

  • अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी और लक्ष्मी जी का अभिषेक करना चाहिए।
  • अक्षय तृतीया पर दिन की शुरुआत गणेश पूजन के साथ करें। इसके बाद गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर दक्षिणावर्ती शंख में भरें, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं का इस दूध से अभिषेक करें। इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें।
  • भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को लाल-पीले चमकीले वस्त्र, हार-फूल, इत्र चढ़ाएं। खीर, पीले फल या पीली मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
  • इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। पूजा करें। किसी मंदिर में या जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, जूते-चप्पल, वस्त्र, छाते का दान करें।
  • अक्षय तृतीया की शाम शालिग्राम के साथ ही तुलसी की पूजा करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, हार-फूल, आंकड़े के फूल और धतुरे से शिवलिंग का श्रृंगार करें।

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