14 मिनट पहले
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भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक पर JPC की बैठक के लिए संसद भवन पहुंचे थे।
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की आज बैठक होगी। ये मीटिंग सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी। मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस हेमंत गुप्ता अपनी बात रखेंगे। इसके बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एसएन झा राय देंगे।
दिन के दूसरे सेशन में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस और भारत के 21वें विधि आयोग के अध्यक्ष डॉ. जस्टिस बीएस चौहान शामिल होंगे। अंत में राज्यसभा सदस्य और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी शामिल होंगे।
इससे पहले 25 मार्च को हुई थी जेपीसी बैठक इससे पहले जेपीसी की आखिरी मीटिंग 25 मार्च को हुई थी। इसमें अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल, जेपीसी सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा समेत और अन्य लोग शामिल हुए थे।
अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने JPC से कहा- प्रस्तावित कानूनों में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है। एक साथ चुनाव कराने के विधेयक संविधान की किसी भी विशेषता को प्रभावित नहीं करते। ये कानून की दृष्टि से सही हैं।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल किया था कि क्या स्वीडन और बेल्जियम जैसे देशों की तुलना भारत जैसे देश से की जा सकती है। एक साथ चुनाव कराने से जुड़ी फायदे की सभी बातें केवल दावे हैं। क्योंकि कोई स्टडी नहीं की गई है।
हालांकि, विपक्षी दलों ने ‘एक देश-एक चुनाव’ को संविधान का उल्लंघन करने वाला बताया। इसके नकारात्मक पहलुओं को पैनल के सामने रखा।

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व CJ बोले- एक साथ चुनाव अच्छी पहल 25 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व CJ डी एन पटेल ने ‘एक देश एक चुनाव’ प्रस्ताव के पॉजिटिव पहलुओं के साथ इसकी चुनौतियों पर भी चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि लॉन्ग टर्म में इससे बेहतर शासन में मदद मिलेगी। राजनीतिक दलों के बेहतर आकलन हो सकेगा। चुनाव की लागत कम होगी।
हालांकि, उन्होंने प्रस्तावों के सामने आने वाली चुनौतियों में राज्य की स्वतंत्रता पर संभावित प्रभाव के साथ प्रशासन की चिंता, क्षेत्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दों के हावी होने की भी बात कही। साथ ही कुछ अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता की संवैधानिक बाधाओं का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि राज्य चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ कराने के लिए कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
वेंकटरमणी ने कहा- मैं सरकार का नहीं, भारत का अटॉर्नी जनरल हूं वेंकटरमणी ने सदस्यों से कहा कि वे केंद्र सरकार के नहीं, भारत के अटॉर्नी जनरल हैं। इसलिए ऐसा नहीं सोचें की मैं इस मामले में केंद्र सरकार की राय का समर्थन करूंगा। उन्होंने कहा कि मुझे भेजे गए सवालों के जबाव देंगे।
भाजपा सांसद और JPC अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि एक साथ चुनाव कराना देश के हित में है। समिति इसे लागू करने के सर्वोत्तम तरीकों पर विचार-विमर्श कर रही है। कानूनी विशेषज्ञों से मिली राय समिति को अपनी सिफारिशें तैयार करने में मदद करेंगी।

एक देश-एक चुनाव क्या है… भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय वोट डालेंगे।
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद दिसंबर, 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

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