kaithal Village Polar Vacant Update; Haryana News । Archaeological Survey of India | हरियाणा में लोग गांव छोड़ने को तैयार नहीं: बोले- यहां जन्मे, यहीं मरेंगे, छोड़कर नहीं जाएंगे; ASI ने गांव खाली करने का ऑर्डर भेजा – Kaithal News

Actionpunjab
7 Min Read


कैथल का गांव पोलड़ और जानकारी देते हुए ग्रामीण।

हरियाणा में कैथल के गांव पोलड़ को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने खाली करने आदेश दिया। इसके बाद से ग्रामीणों में डर का माहौल है। लोग बेघर होने के ख्याल से घबरा रहे हैं। वे स्थानीय विधायक से मदद मांग रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान होता नहीं दि

.

मौजूदा समय में सबसे बड़ी समस्या यह है कि गांव में न तो पंचायत है और न ही नगरपालिका में आता है। इसलिए, गांव का एक सुर में प्रतिनिधित्व करने वाला कोई व्यक्ति नहीं है। लोगों के पास उनकी जमीनों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं है, जिससे वे खुद ही कानूनी लड़ाई लड़ सकें।

लोग बस यही कह रहे हैं कि वे अपना घर नहीं छोड़ेंगे। वे यहां जन्मे, सिर पर मिट्‌टी ढोकर घर बनाए, पूर्वजों की यादें यहीं से जुड़ी हैं। मर जाएंगे, लेकिन गांव छोड़कर नहीं जाएंगे।

गांव छोड़ने का आदेश मिलने के बारे में कैथल की DC प्रीति ने कहा है कि वह कानून के दायरे में रहकर लोगों के लिए जो कर सकेंगी, करेंगी। वहीं, गुहला के विधायक देवेंद्र हंस कहते हैं कि वह लोगों के साथ हैं। अगर, गांव छोड़ने की नौबत आई तो वह सरकार से अपील करेंगे कि इन्हें कहीं और बसाने का इंतजाम किया जाए।

पोलड़ गांव में यह नहर है, जिसे लोग सरस्वती नदी कहते हैं। हालांकि, लोगों की मान्यता के अलावा इसके कोई भौतिक प्रमाण नहीं हैं।

पोलड़ गांव में यह नहर है, जिसे लोग सरस्वती नदी कहते हैं। हालांकि, लोगों की मान्यता के अलावा इसके कोई भौतिक प्रमाण नहीं हैं।

15 मई से बना डर का माहौल, ASI ने आदेश भेजा गांव पोलड़ कैथल-पटियाला रोड पर सीवन कस्बे के पास स्थित है। 15 मई को ASI की ओर से गांव पोलड़ के लोगों को गांव छोड़ने का आदेश दिया गया। ASI के आदेश में बताया गया कि यह जमीन उसकी है। हालांकि, ASI ने पूरा गांव पर अपना दावा नहीं ठोका है। ग्रामीणों के अनुसार, गांव में करीब 600 घर हैं। उनमें से कुल 206 घरों को खाली करने का ऑर्डर आया है। इन घरों में रहने वाले लोगों में ही डर का माहौल है।

चुनिंदा घरों को आदेश मिलने के बारे में गांववालों का कहना है कि ASI ने गांव के उन लोगों को चले जाने के लिए कहा है जो सरस्वती नदी के किनारे की जमीन पर बसे हुए हैं। ASI ने उन घरों की जमीन को अपना बताकर उसे संरक्षित करने की बात नोटिस में कही है।

ASI का 48.31 एकड़ भूमि पर दावा ASI ने गांव की 48.31 एकड़ भूमि पर अपना दावा ठोका है। इसमें गांव के 206 घरों के अलावा गांव के बाहर मौजूद प्राचीन मंदिर, सरस्वती नदी और खेती में प्रयुक्त जमीन शामिल है। ASI के नोटिस में जिक्र है कि इसे विभाग ने 1926 में मुआवजा देकर खरीदा था।

ASI का मानना था कि यह जमीन ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे संरक्षित करना जरूरी है। इसमें खोदाई कर कुछ ऐतिहासिक वस्तुएं मिलने की संभावना है।

गांव के मंदिर के बाहर सदियों पुराना एक शिवलिंग है। इसे लोग पुलस्त्य मुनि के काल से जुड़ा मानते हैं।

गांव के मंदिर के बाहर सदियों पुराना एक शिवलिंग है। इसे लोग पुलस्त्य मुनि के काल से जुड़ा मानते हैं।

लोगों की नजर में गांव का इतिहास और मौजूदा स्थिति…

  • 1947 में बसा गांव: किसी भी ग्रामीण को गांव के मूल की जानकारी नहीं है। हालांकि, कुछ बुजुर्ग जरूर बताते हैं कि इससे आजादी के समय 1947 में बसाया गया था। शुरुआत में लोग यहां झोपड़ियां बनाकर रहते थे। उस समय यहां सिवाय घने जंगल के कुछ नहीं था।
  • पूर्वजों ने जमीन को रहने लायक बनाया: गांववालों के मुताबिक उनके पूर्वजों ने इस जमीन को रहने लायक बनाया। पहले मिट्‌टी के कच्चे मकान बनाए। अब पूरा गांव पक्का है। इसके पौराणिक इतिहास को लेकर ग्रामीण एकमत नहीं हैं। कोई कहता है कि गांव का इतिहास हड़प्पा काल से जुड़ा है, तो कोई कहता है मुगल काल से इसके संबंध हैं। कुछ लोग इसे महाभारत काल से जोड़कर देख रहे हैं, लेकिन भौतिक तथ्य किसी के पास नहीं हैं।
  • 7 हजार आबादी, 600 घर: गांव की भौगोलिक स्थिति के बारे में ग्रामीण श्रवण कुमार, सुनील व जगजीत सिंह ने बताया कि गांव में 600 के करीब घर हैं। इसकी आबादी करीब 7000 है। इनमें से 2500 के आसपास वोटर हैं। गांव में 90% लोग अनुसूचित जाति के हैं। यह गांव सीवन पंचायत के अधीन आता था। 2 वर्ष पहले जब सीवन को नगरपालिका बनाया गया तो इसे सीवन से अलग कर दिया। इस समय गांव में न पंचायत है, न ही उसे नगर पालिका में शामिल किया गया।
इतिहासकार बृजबिहारी भारद्वाज की लिखी इस किताब में गांव की ऐतिहासिकता के प्रमाण मिलते हैं।

इतिहासकार बृजबिहारी भारद्वाज की लिखी इस किताब में गांव की ऐतिहासिकता के प्रमाण मिलते हैं।

इतिहासकारों ने क्या कहा, 3 पॉइंट में जानिए

  1. रावण के दादा की तपोभूमि: इतिहासकार प्रो. बृजबिहारी भारद्वाज के अनुसार, गांव पोलड़ रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोस्थली रहा है। पुलस्त्य मुनि ने यहां सरस्वती नदी के किनारे स्थित इक्षुमति तीर्थ पर तपस्या की थी। रावण का बचपन भी यहीं बीता था। इसका महाभारत काल में उल्लेख है। यहां पर इक्षुमति और अंशुमति तीर्थ है।
  2. सदियों पुराने मंदिर का पुलस्त्य मुनि के काल से जुड़ाव: बीबी भारद्वाज बताते हैं कि गांव में एक सरस्वती मंदिर है और सदियों पुराना एक शिवलिंग है। उसका पुलस्त्य मुनि के काल से जुड़ाव है। मंदिर की देखरेख नागा साधु महंत देवीदास कर रहे हैं। वह बताते हैं कि मंदिर का निर्माण महंत राघवदास ने करवाया था।
  3. प्राचीन शहर होने की मान्यता: इतिहासकार बताते हैं कि यह स्थान एक प्राचीन नगर हुआ करता था, जो प्राकृतिक आपदा में उजड़ गया। बाद में इसे फिर से बसाया गया। तब इसका नाम ‘थेह पोलड़’ पड़ा। थेह का मतलब, वह स्थान जहां कभी कोई बस्ती रही हो।

गांव छोड़ने के आदेश पर ग्रामीणों और विधायक के बयान…

डीसी ने कहा- हम नियमों से चलेंगे इस बारे में DC प्रीति ने कहा कि मामले में संबंधित अधिकारियों से बात की जाएगी। जो भी नियम के अनुसार और जनहित में कार्रवाई होगी, वही करेंगे।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *