The first meeting of Lord Rama and Hanuman, Life management tips about success and solutions in hindi, ramayana tips about success | श्रीराम और हनुमान जी की पहली मुलाकात: दूसरों की बातें ध्यान से सुनें, समझें और ऐसे समाधान बताएं, जिनसे सभी का फायदा हो सकता है

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11 घंटे पहले

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रामायण में रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया था। श्रीराम और लक्ष्मण सीता की खोज करते हुए किष्किंधा पहुंच गए थे। उस समय सुग्रीव, हनुमान जी और जामवंत के साथ बालि से डरकर एक गुफा में छिपी हुए थे। जब सुग्रीव ने दो अनजान राजकुमारों को देखा तो वह डर गया और उसने हनुमान जी को इनकी सच्चाई मालूम करने के लिए भेज दिया।

हनुमान जी वेश बदलकर श्रीराम और लक्ष्णण के पास पहुंच गए। जब इन्होंने बात की तो श्रीराम ने हनुमान जी को अपनी तकलीफ बताई कि मेरी पत्नी सीता का एक राक्षस ने अपहरण कर लिया है। हम सीता को खोज रहे हैं, लेकिन हमें कोई जानकारी नहीं मिल रही है।

हनुमान जी ने श्रीराम की बातें बहुत ध्यान से सुनीं, समझीं और उन्होंने कहा कि मैं वानरों के राजा सुग्रीव का दूत हूं। मेरे राजा की परेशानी यह है कि उनका बड़ा भाई बाली उनको मारना चाहता है, बाली बहुत शक्तिशाली है, इसलिए सुग्रीव यहां छिपे हुए हैं। मेरे राजा और आप दोनों परेशान हैं।

आप मेरे पूज्य हैं, मैं आपसे निवदेन करता हूं कि आप सुग्रीव से मित्रता कर लें। आप सुग्रीव की समस्या दूर कर दीजिए और फिर सुग्रीव देवी सीता की खोज में आपकी मदद करेंगे।

श्रीराम ने हनुमान जी की बात सुनी और लक्ष्मण से कहा कि इसे कहते हैं, त्वरित बुद्धि और दूरदर्शिता। हनुमान ने मेरी समस्या सुनी और सुग्रीव की समस्या तो वे जानते ही हैं। दोनों की समस्याएं एक साथ कैसे खत्म हो सकती हैं, इसका समाधान भी हनुमान ने खोज लिया।

इस प्रसंग से सीखें जीवन प्रबंधन के 3 सूत्र

  • सुनना, समझना और समाधान देना

हनुमान जी ने राम जी की बातें ध्यान से सुनीं, समझीं और फिर ऐसा समाधान दिया जिससे सभी का भला हुआ। हमें भी दूसरों की बातें ध्यान से सुननी और समझनी चाहिए, इसके बाद ऐसे समाधान बताएं जो सभी के लिए लाभदायक हो सकते हैं।

  • दूरदर्शिता जरूर रखें

हनुमान जी ने तत्काल परिस्थिति के आगे भी सोचा, सीता की खोज कैसे होगी, किससे मदद ली जा सकती है, ये सब एक ही बात में स्पष्ट कर दिया। हमें भी ऐसी दूरदर्शिता रखनी चाहिए। वर्तमान की परिस्थियों को समझें और फिर भविष्य को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लें।

  • सिर्फ सुझाव न दें, काम भी करें

हनुमान जी ने राम जी को केवल सुझाव ही नहीं दिया, बल्कि सुग्रीव से मित्रता कराने के बाद सीता की खोज करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई। हमें भी दूसरों को सुझाव देने के साथ ही उनकी मदद करने की कोशिश भी करनी चाहिए।

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