एडीजे कोर्ट क्रम 4 के के निर्देश से कोटा में राजस्थान वित्त निगम (RFC) के कार्यालय की नीलामी हुई है।
एडीजे कोर्ट क्रम 4 के के निर्देश से कोटा में राजस्थान वित्त निगम (RFC) के कार्यालय की नीलामी हुई है। कोर्ट ने नीलामी में स्पेशल सेल अमीन सरविंदर कौर को नियुक्त किया। नीलामी में 4-5 लोगों ने भाग लिया।नीलामी 5 करोड़ 66 लाख पर खत्म हुई। मामले में कोर्ट न
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परिवादी के वकील वीरेंद्र कुमार राठौर ने बताया कि परिवादी नरेंद्र गोस्वामी की रोड़ नम्बर 5 पर मिक्सर ग्राइंडर की फैक्ट्री थी। नरेंद्र ने फैक्ट्री गिरवी रखकर लोन लिया था। लोन नहीं चुकाने पर नरेंद्र डिफाल्टर हो गया।
RFC ने बकाया की गलत केलकुलेशन करके वसूली की कार्रवाई करते हुए मुकदमा कर दिया।साल 2006 में नरेंद्र की फैक्ट्री को नीलाम कर दिया। जिसमें 9 लाख और ब्याज की डिक्री ली। इसमें पेनल्टी सहित अन्य जोड़कर 3 करोड़ 51 लाख में नरेंद्र की फैक्ट्री बिक गई।
फैक्ट्री बिकने के बाद RFC ने अपना पैसा कोर्ट से ले लिया। इसके बाद भी पैसा बाकी बता दिया। इस मामले में कोर्ट में हमने डिक्री का पूरा कैलकुलेशन किया तो सब कुछ जोड़कर 45 लाख RFC को लेने थे। लेकिन वह करोड़ों रुपए ले चुके थे।
साल 2017 में परिवादी नरेंद्र की मौत हो गई। उनके मौत के बाद नरेंद्र की पत्नी पुष्पा गोस्वामी व बच्चे परिवादी बने। साल 2019 में एडीजे कोर्ट क्रम 4 ने परिवादी के पक्ष में फैसला दिया। और RFC को एक महीने में 3 करोड़ 6 लाख रूपए परिवादी को लौटाने के नोटिस दिया। एक माह में नही लौटाने पर परिवादी 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर का अधिकारी होगा।
एक महीने तक RFC से पैसे नहीं लौटाए। परिवादी की ओर वसूली की कार्रवाई की गई। प्रोपर्टी अटेचमेंट की एप्लिकेशन लगाई। RFC ने हाईकोर्ट की शरण ली। साल 2025 में हाईकोर्ट ने स्टे खारिज कर दिया। तो RFC से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने इनकी एसएलपी खारिज कर दी। जिसके बाद कोर्ट RFC की प्रॉपर्टी को अटैच कर दिया। परिवादी की रकम 3 करोड़ 6 लाख का ब्याज मिलाकर 4 करोड़ 53 लाख हो गई। आज कोर्ट के निर्देश पर नीलामी की कार्रवाई कर दी।
RFC के शाखा प्रबंधक सीताराम मीणा ने बताया कि मामला पहले से हीचल रहा है। नीलामी रोकने के 2 जुलाई को हाईकोर्ट में रिट लगाई थी। जो 3 जुलाई को रजिस्टर्ड हुई। जिसकी 11 जुलाई को सुनवाई होनी आज एडीजे कोर्ट में भी एप्लिकेशन लगाई थी। कोर्ट की कार्रवाई थी जो करके चले गए।